बेड खाली हैं तो लक्षण वाले मरीज अस्पताल में रखे जाएं:डा. गुलेरिया

कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए जिले में किए गए प्रबंधों का जायजा लेने के लिए मंगलवार को केंद्र सरकार की टीम पहुंची। तीन सदस्य वाली टीम का नेतृत्व दिल्ली स्थित अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया कर रहे थे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 06:20 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 06:20 PM (IST)
बेड खाली हैं तो लक्षण वाले मरीज  अस्पताल में रखे जाएं:डा. गुलेरिया
बेड खाली हैं तो लक्षण वाले मरीज अस्पताल में रखे जाएं:डा. गुलेरिया

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए जिले में किए गए प्रबंधों का जायजा लेने के लिए मंगलवार को केंद्र सरकार की टीम पहुंची। तीन सदस्य वाली टीम का नेतृत्व दिल्ली स्थित अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया कर रहे थे। उन्होंने सिविल सर्जन व अन्य अधिकारियों के साथ करीब दो घंटे तक बैठक की। रोकथाम के लिए किए गए इंतजाम की जानकारी लेने के बाद एक्स के निदेशक ने कहा जब सरकारी कोविड अस्पताल में बेड खाली हैं तो उन मरीजों को अस्पताल में दाखिल कराएं, जिनमें लक्षण दिखाई देते हैं।

डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा साठ साल से अधिक उम्र वाले मरीज को तो होम आइसोलेशन में रखने की जगह कोविड अस्पताल में ही रखा जाए। वहीं परिवार के अन्य सदस्यों की जांच तुरंत कराई जाए। इससे कोरोना वायरस की चेन लंबी नहीं हो सकेगी। होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज की भी निरंतर निगरानी होनी चाहिए।

सिविल सर्जन डा. विरेंद्र यादव ने बताया टीम को बताया कि कोविड के एसिम्टोमैटिक मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जा रही है। इसके लिए यदि किसी के घर में पर्याप्त जगह नहीं है तो उनके लिए जिला प्रशासन ने 12 सरकारी पेड आइसोलेशन सुविधा की व्यवस्था की गई है। जिसका पूरा खर्च सरकार वहन करती है और मरीज को कुछ नहीं देना होता। लगातार जांच शिविर लगाए जा रहे हैं। कंटेनमेंट जोन की निगरानी भी की जा रही है।

डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा मरीज बढ़ने की सबसे बड़ी वजह बाजारों की भीड़ तथा समारोह स्थलों पर लोगों का एकत्र होना है। ऐसे में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। लोग यह समझ लें कि जान है तो जहान है।

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