सीबीएसई परीक्षा: अभिभावक आश्वस्त हुए, विद्यार्थियों में कुछ खुश, तो कुछ परेशान

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने चार मई से शुरू होने जा रही बोर्ड परीक्षाओं को रद कर दिया है। दसवीं कक्षा कि विद्यार्थियों को इस बार परीक्षा नहीं देनी होगी और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं की तिथि आगे बढ़ा दी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 08:05 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 08:05 PM (IST)
सीबीएसई परीक्षा: 
अभिभावक आश्वस्त हुए, विद्यार्थियों में कुछ खुश, तो कुछ परेशान
सीबीएसई परीक्षा: अभिभावक आश्वस्त हुए, विद्यार्थियों में कुछ खुश, तो कुछ परेशान

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने चार मई से शुरू होने जा रही बोर्ड परीक्षाओं को रद कर दिया है। दसवीं कक्षा कि विद्यार्थियों को इस बार परीक्षा नहीं देनी होगी और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं की तिथि आगे बढ़ा दी है। अभिभावकों ने इस घोषणा ने राहत की सांस ली है, तो विद्यार्थियों में कहीं खुशी, तो कहीं चिता का माहौल है। अभिभावकों का कहना है कि इस समय जबकि देश भर में कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है, परीक्षा देने बच्चों को कैसे भेजा जा सकता था। हालांकि कुछ अभिभावक इस बात से परेशान हैं कि बच्चे परीक्षा की तैयारी पूरी लगन से कर रहे थे। अब इस नई घोषणा से बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी एक बार फिर से ढीले पड़ जाएंगे। इस बारे में शहर के अध्यापकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों ने अपनी राय दी - प्राचार्यों की राय

विद्यार्थियों के हितों का ध्यान रखते हुए यह फैसला लिया गया है। विद्यार्थियों और अभिभावकों को भी यही चाहिए कि वे स्वास्थ्य का ध्यान रखें। विद्यार्थियों ने वर्ष भर मेहनत की है, ऐसे में परेशान होने की बात नहीं है।

- अदिति मिश्रा, निदेशक प्राचार्य, दिल्ली पब्लिक स्कूल सरकार ने बिल्कुल सही निर्णय लिया है। अभिभावकों को भी ध्यान रखना होगा कि जान है तो जहान है। जहां नए म्यूटेंट से बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं तो स्वास्थ्य का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। हमारा लक्ष्य पढ़ाई करवाना है, जोकि पूरा हो चुका है। शिक्षण का उद्देश्य ज्ञान देना होता है, वह हो चुका है।

- रश्मि मलिक, प्राचार्य, सलवान पब्लिक स्कूल मौजूदा हालात देखते हुए सरकार का यह निर्णय बिलकुल सही है। दसवीं कक्षा के पहले भी सीसीई के तहत स्कूल ही बच्चों की परीक्षा लेते थे। कुल मिलाकर स्वास्थ्य प्राथमिकता है। ऐसे में अभिभावकों और बच्चों को चितित होने की आवश्यकता नहीं है।

- अपर्णा ऐरी, डीएवी पब्लिक स्कूल, सेक्टर 14 अभिभावकों की बात

यह निर्णय बेहद विवेकपूर्ण और सराहनीय है। विद्यार्थियों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। ऐसे में सरकार ने बहुत अच्छा फैसला लिया है लेकिन यही डर है कि बच्चों की तैयारी बीच में छूट जाएगी। हालांकि स्वास्थ्य सबसे पहले आता है, ऐसे में राहत मिली सरकार का यह निर्णय सुनकर। अब कम से कम बच्चों को बाहर तो नहीं निकलना होगा।

- रीना, अभिभावक

-------------------------------- विद्यार्थियों की बात

इस समय तक हम अपनी परीक्षा की पूरी तैयारी कर चुके थे। हालांकि यह राहत की बात है कि परीक्षाएं आगे बढ़ गई हैं लेकिन डर भी है कि सारी तैयारी दोबारा करनी होगी। क्योंकि परीक्षा के समय की तैयारी दोबारा करनी ही होती है।

- दीपांशी (छात्रा, कक्षा 12) एक बार तो राहत मिली, अभी बीमारी का डर इतना ज्यादा है कि किसी और चीज के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। वैसे परीक्षा की तैयारी लगभग पूरी थी, बस परीक्षा के पूर्व का दोहराव कर रहे थे। यह फिर से करना होगा।

- सान्या (छात्रा, कक्षा 12) बीमारी से बचाव जरूरी है। लेकिन मन में चिता है कि आगे कैसी स्थितियां रहेंगी। अब जिस पेस में हम जो तैयारी कर रहे थे वह नियमित नहीं रख पाएंगे। वैसे तो कुछ दिनों का ब्रेक मिलेगा तो मानसिक रूप से थोड़ी राहत मिलेगी।

- इशिका गांधी (छात्रा, कक्षा 12) परीक्षा की तैयारी तो पूरी थी लेकिन सरकार का यह निर्णय काफी राहत भरा है। अब उस तरह की चिता नहीं होगी, न स्वास्थ्य की और न पढ़ाई की। माता-पिता भी राहत महसूस कर रहे हैं।

- ध्रुव (छात्र, कक्षा 10)

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