निगम के खजाने में सेंध: एफडी तोड़कर खर्च कर दिए 427 करोड़

सूबे के सबसे बड़े और धनी नगर निगम गुरुग्राम के सरकारी खजाने में सेंध लग चुकी है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाला हाल है। पिछले लगभग दो-ढाई साल में एफडी तोड़कर 427 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 06:01 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 06:01 PM (IST)
निगम के खजाने में सेंध: एफडी तोड़कर खर्च कर दिए 427 करोड़
निगम के खजाने में सेंध: एफडी तोड़कर खर्च कर दिए 427 करोड़

संदीप रतन, गुरुग्राम

सूबे के सबसे बड़े और धनी नगर निगम गुरुग्राम के सरकारी खजाने में सेंध लग चुकी है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाला हाल है। पिछले लगभग दो-ढाई साल में एफडी (फिक्स्ड डिपाजिट) तोड़कर 427 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं। 2019-20 में निगम के खजाने से अंधाधुंध करोड़ों रुपये खर्च करने के कारण अब तेजी से निगम का खजाना खाली हो रहा है। अगर यही हालात रहे तो फरीदाबाद नगर निगम की तरह गुरुग्राम निगम में कर्मचारियों-अधिकारियों को वेतन देने के भी लाले पड़े जाएंगे। निगम गठन के लगभग 12 साल बाद इन एफडी को तोड़ा गया है।

2019 में नगर निगम की कई बैंकों में 1077 करोड़ रुपये की एफडी थी, जोकि अब घटकर लगभग 650 करोड़ रुपये रह गई है। दिसंबर 2020 में गुरुग्राम नगर निगम में 16 नए गांव शामिल हुए थे। इन पंचायतों से मिली 150 करोड़ की एफडी को भी मिला लें तो भी निगम एफडी में जमा कुल राशि सिर्फ 800 करोड़ ही बची है। निगम का खर्च तो बढ़ता जा रहा है, लेकिन खर्च की तुलना में आमदनी न के बराबर है।

एफडी से मिलता है करोड़ों रुपये ब्याज

2008 में नगर निगम का गठन किया गया था। जो पंचायतें नगर निगम में शामिल हुई थीं, उनकी एफडी को नगर निगम के खातों में जमा कर दिया गया था। इस एफडी का करोड़ों रुपये का ब्याज भी हर साल नगर निगम को मिलता है, जिससे लगभग सभी खर्च ब्याज की राशि से ही पूरा हो जाता था। लेकिन अधिकारियों द्वारा बेहिसाब खर्च करने और कई निजी एजेंसियों को नियमों को ताख पर रखकर खर्च करने के कारण करोड़ों रुपये की एफडी खाली कर दी गई।

सालाना 700 करोड़ से ज्यादा है निगम का खर्च, आमदनी पर फोकस नहीं

- सात निजी सफाई एजेंसियों को सालाना 85 करोड़ से ज्यादा का भुगतान होता है।

- सीएंडडी वेस्ट (मलबा निपटान) उठान के नाम पर 43 करोड़ रुपये प्रगति एजेंसी को भुगतान, फिर भी लगे हैं कूड़े के ढेर।

- कचरा प्रबंधन कंपनी को हर माह साढे चार करोड़ का भुगतान। इसमें से दो करोड़ रुपये हर माह फरीदाबाद का भी गुरुग्राम निगम ही कर रहा है भुगतान।

- शौचालयों के रखरखाव पर सालाना 5.50 करोड़ रुपये का भुगतान।

- कर्मचारियों के वेतन के मद में सालाना 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान।

- 13 मैकेनिकल स्वीपिग मशीनों का सालाना भुगतान लगभग छह करोड़ रुपये।

- लगभग 200 करोड़ रुपये सफाई कार्यों पर खर्च हो रहे हैं।

- बागवानी शाखा दो साल में खर्च कर चुकी है लगभग 90 करोड़।

- इंजीनियरिग शाखा का सालाना खर्च 200 करोड़ से ज्यादा। खर्च के मुकाबले नहीं हो रही है आमदनी

संपत्ति कर: 1 अप्रैल से नवंबर तक निगम को महज 127 करोड़ रुपये ही मिले हैं, जबकि यह 250 करोड़ से ज्यादा होना चाहिए।

विज्ञापन: विज्ञापनों से आय इस साल अब तक नौ करोड़ रुपये हुई है, जबकि लक्ष्य 75 करोड़ रखा गया था। विज्ञापनों के 410 करोड़ रुपये भी फंसे हुए हैं।

पेयजल बिल: निगम पेयजल आपूर्ति की एवज में जीएमडीए को सालाना लगभग 120 करोड़ रुपये का भुगतान करता है। पानी और सीवर बिलों से निगम को हर माह लगभग चार करोड़ और पूरे साल में लगभग 50 करोड़ रुपये मिलते हैं। निगम के खजाने पर 70 करोड़ रुपये अतिरिक्त भार है।

विकास शुल्क: नियमित की गई कालोनियों का भी कराड़ों रुपये विकास शुल्क अटका हुआ है।

- निगम की जमीन पर कब्जे हैं, उसको खाली करवाकर लीज पर देना चाहिए। ट्रेड लाइसेंस भी आय का अच्छा जरिया है। निगम को अपनी आय खजाना खाली होने से पहले बढ़ानी होगी।

-विरेंद्र राज, पार्षद -अगर यही हालात रहे तो गुरुग्राम निगम मुश्किल से दो-तीन साल ही चल पाएगा। विज्ञापन और प्रापर्टी टैक्स से आय बढ़ानी चाहिए। 15 दिसंबर को होने वाली सदन की बैठक में यह मु्द्दा उठाया जाएगा।

रविद्र यादव, पार्षद।

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