आस्था, शिक्षा, संस्कृति, व परोपकार का बड़ा केंद्र है आश्रम हरि मंदिर

पटौदी के आश्रम हरि मंदिर में न केवल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है बल्कि दान में आने वाली राशि से संस्कृत महाविद्यालय व स्कूल चलाकर क्षेत्र में शिक्षा की ज्योति जलाई जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 08:07 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 10:54 PM (IST)
आस्था, शिक्षा, संस्कृति, व परोपकार का बड़ा केंद्र है आश्रम हरि मंदिर
आस्था, शिक्षा, संस्कृति, व परोपकार का बड़ा केंद्र है आश्रम हरि मंदिर

डा. ओमप्रकाश अदलखा, पटौदी

पटौदी के आश्रम हरि मंदिर में न केवल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, बल्कि दान में आने वाली राशि से संस्कृत महाविद्यालय व स्कूल चलाकर क्षेत्र में शिक्षा की ज्योति जलाई जा रही है। जरूरतमंद कन्याओं की शादी कराने के लिए भी मंदिर में समय-समय पर सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मंदिर परिसर में चलने वाले संस्कृत महाविद्यालय से क्षेत्र की छात्राएं विशेष रुप से लाभान्वित होती हैं। इस संस्कृत महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर अनेक छात्राएं आज स्कूलों में बतौर शिक्षिका लगी हुई हैं।

30 एकड़ में फैला आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी विभिन्न शैक्षणिक, सांस्कृतिक व धार्मिक गतिविधियों तथा परोपकार के कार्यों व श्रद्धालुओं की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। मंदिर की स्थापना भारत पाक विभाजन के समय स्वामी अमरदेव ने की थी। स्वामी अमरदेव ने हिमालय पर्वत पर साधना करने के बाद 1920 में डेरा इस्माइल खान के कस्बा कोटजाई में (वर्तमान में पाकिस्तान में) संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की। विभाजन के बाद उन्होंने पटौदी को अपनी कर्मभूमि बनाया। हरि मंदिर आश्रम धीरे-धीरे लोगों की आस्था का केंद्र बन गया।

मंदिर में आने वाले दान से सामाजिक उत्थान के कार्य भी शुरू किए गए। इस समय इस मंदिर में संस्कृत महाविद्यालय व सीबीएसई से संबद्ध एक स्कूल चलाया जा रहा है। वृद्धाश्रम में 100 कमरे बने हुए हैं। इसके अलावा यज्ञशाला, स्वामी अमरदेव प्रशिक्षण संस्थान, एक बड़ा पुस्तकालय भी चल रहे हैं। संस्था केवल शिक्षा व धार्मिक सांस्कृतिक गतिविधियों का ही केंद्र नहीं है अपितु परोपकार कार्य भी चलते हैं। गुजरात की भूकंप त्रासदी हो या बिहार की बाढ़, केदारनाथ हादसा हो या नेपाल में आया भूकंप। इस संस्था ने जरूरतमंद लोगों की इन सभी में मदद की। 50 वर्ष पूरे होने पर किया जरूरतमंद कन्याओं का विवाह

संस्था के वर्तमान संचालक महामण्डलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज के 50वें जन्मदिन पर संस्था ने 51 आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की विभिन्न संप्रदायों की कन्याओं का भव्य विवाह करवाया। संस्था के शताब्दी समारोह में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की सभी संप्रदायों की कुल 101 कन्याओं का विवाह कराया। इन कन्याओं को दहेज के रूप में उनको जरूरत का सभी सामान भी दिया गया। आश्रम हरिमंदिर सामाजिक समरसता का केंद्र है। धार्मिक आयोजन व उत्सव सभी मंदिरों में होते रहते हैं। मंदिरों के माध्यम से सामाजिक उत्थान के कार्यक्रम चलाया जाए। मेरा सभी मंदिर समितियों से आग्रह है कि वे धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ समाज को आगे बढ़ाने के कार्यक्रमों में भी रुचि लें।

महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव, संचालक, आश्रम हरिमंदिर, पटौदी

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