निर्माण के समय से ही विवादों में रहा है एंबियंस माल
दिल्ली-जयपुर हाईवे पर सिरहौल बार्डर के नजदीक बनाया गया एंबियंस माल शुरू से ही चर्चा में है। माल बनाने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है। मामले की जांच सीबीआइ कर रही है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी की पहचान एंबियंस माल से भी है। इस माल का नाम किसी के लिए अनजाना नही है। बहुत से लोग एंबियंस ग्रुप के चेयरमैन राज सिंह गहलोत तक का नाम जानते हैं। यही वजह है कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा करोड़ों रुपये की हेराफेरी के आरोप में उनकी गिरफ्तारी की चर्चा शहर में पूरे दिन चलती रही।
दिल्ली-जयपुर हाईवे पर सिरहौल बार्डर के नजदीक बनाया गया एंबियंस माल शुरू से ही चर्चा में है। माल बनाने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है। मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। गत वर्ष ही जुलाई के महीने के दौरान एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने माल के निर्माण में बरती गई अनियमितताओं को लेकर सीबीआइ जांच कराने का आदेश जारी किया था। याचिका के मुताबिक एंबियंस माल एवं उसमें बनाया गया लीला होटल रजोकरी आयुध डिपो के प्रतिबंधित दायरे में आता है। इसके बाद भी ग्रुप हाउसिग व होटल निर्माण के लिए सरकारी तंत्र पर लाइसेंस देने का आरोप है। यह भी आरोप है कि लाइसेंस के लिए आवेदन दिए जाने के दौरान कई तथ्यों को छिपाया गया था। वन भूमि पर भी माल का कुछ हिस्सा है। इसके लिए कई साल पहले तत्कालीन वन राजिक अधिकारी देवेंद्र राव ने चालान तक किया था। उनका कहना है कि नाथूपुर बांध की जमीन पर एंबियंस माल का कुछ हिस्सा बना हुआ है, जो कि पूरी तरह गैरकानूनी है।