ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव की पुण्यतिथि पर हुआ यज्ञ
आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी में आश्रम हरि मंदिर संस्थाओं के आदि संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव महाराज की 46वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर हवन किया गया।
संवाद सहयोगी, पटौदी: आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी में आश्रम हरि मंदिर संस्थाओं के आदि संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव महाराज की 46वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर हवन किया गया। आश्रम के संचालक महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव, उनके शिष्य तथा मुख्य यजमान अभिषेक बांगा, अन्य श्रद्धालुओं तथा विद्यार्थियों ने आहुति डाली। भक्त शंख बजाते हुए तथा हरिओम के जयकारे लगाते हुए ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव के समाधिस्थल पर पहुंचे जहां आरती की गई।
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा कहा कि उन्होंने ईश्वर से मिलने की चाह में 15 वर्ष की आयु में घर त्याग दिया। बारह वर्ष तक उत्तराखंड के पहाड़ों पर साधना की। बाद में उन्होंने पश्चिमी पंजाब में भारतीय संस्कृति के हो रहे लोप को देखते हुए तीन संस्कृत महाविद्यालयों, हरि मंदिर तथा आश्रमों की स्थापना की। भारत विभाजन के बाद उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े पटौदी को अपनी कर्मभूमि बनाया तथा आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की।
उनके द्वारा स्थापित यह संस्था आज अपनी शाखाओं उपशाखाओं के साथ एक वटवृक्ष का रूप ले चुकी है तथा शिक्षा, भारतीय संस्कृति व समाजसेवा का एक प्रमुख केंद्र बनी हुई है। स्वामी धर्मदेव ने कहा ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने अहं का त्याग कर खुद में ही खुदा को पाया जा सकता है। इस अवसर पर उनके शिष्य अभिषेक बांगा, तिलक राज, प्राचार्य मदनमोहन भट्ट, आचार्य यागवलक्य चतुर्वेदी, सुरेंद्र यादव, विजय शास्त्री, रमेश मेंदीरत्ता तथा सीएल अरोड़ा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।