पांच लाख गोमय दीपक व लक्ष्मी गणेश प्रतिमा तैयार करेंगी 200 महिलाएं

गाय के गोबर से निर्मित दीपक और लक्ष्मी गणेश प्रतिमा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है। गोशाला व सेवा भारती से जुड़ी महिलाएं दीपावली तक पांच लाख गोमय दीपक व लक्ष्मी गणेश प्रतिमा तैयार करेंगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 07:40 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:10 PM (IST)
पांच लाख गोमय दीपक व लक्ष्मी गणेश प्रतिमा तैयार करेंगी 200 महिलाएं
पांच लाख गोमय दीपक व लक्ष्मी गणेश प्रतिमा तैयार करेंगी 200 महिलाएं

महावीर यादव, बादशाहपुर

गाय के गोबर से निर्मित दीपक और लक्ष्मी गणेश प्रतिमा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है। गोशाला व सेवा भारती से जुड़ी महिलाएं दीपावली तक पांच लाख गोमय दीपक व लक्ष्मी गणेश प्रतिमा तैयार करेंगी। कामधेनु गोशाला कार्टरपुरी ने इस काम के लिए 200 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है। एक महिला रोजाना लगभग 200 दीपक व 100 लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा तैयार करने का काम करती हैं।

दीपावली के पावन पर्व पर गोमय दीपक व गाय के गोबर से निर्मित लक्ष्मी गणेश प्रतिमा तैयार कर इससे लोगों को जोड़ा जा रहा है। इससे कई तरह के फायदे सामने आ रहे हैं। जहां गोशाला प्रबंधन की आमदनी बढ़ेगी, वहीं गोमय दीये और लक्ष्मी गणेश प्रतिमा तैयार करने में जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। इस रोजगार से जुड़कर काफी महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।

गोशाला प्रबंधन ने दीपावली के अवसर पर लोगों को गाय के गोबर से निर्मित दीये उपलब्ध कराने के लिए सेवा भारती से संपर्क किया। सेवा भारती ने भी इसमें पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। गोशाला प्रबंधन ने एक माह पहले गाय के गोबर से निर्मित दीपक बनाने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया। शहर की कामधेनु गौशाला के अलावा बसई गोशाला और कई गोशाला में गाय के गोबर से दीपक व लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा बनाने का काम किया जा रहा है। गोमय दीये व लक्ष्मी गणेश प्रतिमा बनाने की विधि

गाय के गोबर से निर्मित दीये व लक्ष्मी गणेश की मूर्ति तैयार करने के लिए काफी महिलाएं गोशाला में जाकर ही काम कर रही हैं। काफी महिलाएं अपने घरों पर ही गोबर मंगा कर दीये बनाने का कार्य कर रही हैं। गोशाला से गाय का गोबर इन महिलाओं के घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सेवा भारती की है।

दीये बनाने के लिए एक किलो सामग्री में 700 ग्राम गाय का गोबर, 200 ग्राम मुल्तानी मिट्टी और 100 ग्राम ग्वारगम मिलाया जाता है। गाय के गोबर को सुखाकर पहले मशीन में पीसा जाता है। उसके बाद तैयार चूरे को मिट्टी और ग्वार गम में मिलाकर दीये तैयार करने की सामग्री बनती है। दीये तैयार करने के बाद उस पर रंगाई-पुताई का काम अलग से किया जाता है। दीपावली पूजन के लिए विशेष पैकेज बनाया है गोशाला प्रबंधन ने

गोशाला प्रबंधन और सेवा भारती ने गाय के गोबर से निर्मित दीये और गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा का एक पैकेज तैयार किया है। इस पैकेज में 21 दीप, लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा 21 दीया-बाती, सरसों का तेल और एक दीपक के लिए गाय का देसी की उपलब्ध कराया जा रहा है। सेवा भारती ने इस पैकेज की सहयोग राशि 175 रुपये तय की है। डिमांड के मुताबिक भेजा जा रहा है।

इस काम से जहां हमारी प्राचीन संस्कृति भी कायम रहेगी, वहीं यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। महिलाओं को रोजगार परक बनाने के लिए भी यह कारगर साबित हो रहा है।

ऊष्मा सचदेवा, मदन पुरी आज के इस दौर में सभी को रोजगार की जरूरत है। गोशाला में गाय के गोबर से निर्मित दीये बनाने का काम महिलाओं को सौंपा है। यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बेहतरीन कदम है। सेवा भारती और गोशाला प्रबंधन इसके लिए बधाई के पात्र हैं।

बबीता गुप्ता, जिला अध्यक्ष, अखिल भारतीय सर्व वैश्य महासभा किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में गाय के गोबर का प्रयोग करते रहे हैं। इस बार दीपावली के पूजन के लिए सेवा भारती ने गाय के गोबर से निर्मित दिए और लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनाने का सराहनीय कार्य किया है। इनकी बाजार में काफी मांग भी बढ़ गई है।

पूनम यादव, निदेशक, महिला जागृति मंच इस मुहिम से जहां महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, वहीं यह पर्यावरण संरक्षण के अनुकूल भी है। दीपावली पूजन के बाद इन दीयों और लक्ष्मी गणेश की मूर्ति को गमले में रखकर उसका प्राकृतिक विसर्जन भी किया जा सकता है।

रजनी कौशिक, शिक्षिका, ए स्टार स्कूल, मोहन नगर

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