कागजों में गांव लेकिन शहरों की तरह विकसित हुआ गांव कुलां
संवाद सूत्र कुलां टोहाना शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गांव कुलां। कहने क
संवाद सूत्र, कुलां : टोहाना शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गांव कुलां। कहने को कुलां बेशक गांव है, लेकिन वास्तव में अब ये गांव नहीं, बल्कि शहर में तब्दील हो चुका है। ये गांव वैसे तो सदियों पुराना है, लेकिन एक दफा उजड़ जाने के बाद गांव ने पुन इस कदर प्रगति की कि यहां सुख सुविधाओं के लिहाज से जो सुविधाएं शहर में लोगों को मिलती है वह सुविधाएं अब गांव कुलां में भी मिलने लगी है। फिर बात चाहें निजी सुविधा की हो या फिर शासकीय। आस-पड़ोस के एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग कुलां में से अपना घरेलू उपयोगी सामान खरीद कर ले जाते हैं।
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कुलशहर से पड़ा कुलां का नाम
गांव के पुराने बुजुर्गों का बताना है शुरुआत में ग्रामवासी गांव में बने कुएं पर निर्भर थे। कुएं की खेती उस जमाने में लोगों के व्यवसाय का साधन थीं। गांव में सदियों पहले रहते हांसी के सेठ कल्याण व प्यारा लाल की ही गांव की सारी भूमि थीं। इसके बाद वह गांव छोड़कर चले गए। जिनमें सेठ कल्याण द्वारा अपनी भूमि मजदूरों को दी गईं। जबकि प्यारा लाल अपनी जमीन बेच गए थे। पुराने बुजुर्गों का बताना है पहले यह कुलशहर था जिसके बाद कुलशहर से कुलां नाम प्रचलित हुआ। जिसके बाद धीरे धीरे गांव द्वारा प्रगति की रफ्तार पकड़ी गईं। गांव के बारे में विस्तृत चर्चा में बताया गया है। गांव के 50 के करीब युवा व दर्जनभर पूरे परिवार विदेशों में रह रहे है। वहीं गांव में 40 से अधिक युवा सेना में देश की सेवा कर रहें है। और अनेक युवा सरकारी विभागों में कार्यरत है।
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भाईचारे की मिसाल है गांव :
बंटवारे का दौर हो या आपसी तालमेल। यहां के लोग भाईचारे की अनूठी मिसाल रहें है। गांव निवासी बुजुर्ग ओमप्रकाश का बताना है आजादी के दौरान जाते समय मुसलमान अक्सर यहां से गुजरते थे। जिनमें ज्यादातर लड़कियां भी शामिल होती थी। उनका बताना है इस गांव के लोग मुसलमानों का विरोध नहीं करते थे, बल्कि उनका सहयोग करते हुए चाय पानी व खाने की व्यवस्था करते थे। बताया गया है उस समय लोग यहां से गुजरते जत्थों का विरोध करने की बजाए उन्हें चिट्टा कपड़ा दिखाकर शांति का संदेश देते थे।
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7 हजार से अधिक है गांव की आबादी :
इस समय गांव की आबादी लगभग 7 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है। गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेतीबाड़ी व छोटे-मोटे उद्योग धंधे हैं। कुलां की गिनती बड़े गांव के रूप में होती है। यहां सभी बिरादरी के लोग बड़े सौहार्दपूर्ण भाव से रहते हैं।
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यह बने सरपंच
गांव में सबसे पहले 1952 में पंचायत का चुनाव हुआ था। जिसमें 1952 से लेकर निरंतर 30 वर्ष तक यानि छह प्लान में तारा सिंह सरपंच रहे। इसके बाद छबील दास, कुलदीप सिंह, लाल सिंह, बलबीर सिंह, शांति देवी व जगविदर सिंह ने सरपंच पद पर रहते हुए गांव के विकास में अहम भूमिका निभाई। निवर्तमान समय में गांव की सरपंच सुलोचना रानी है।
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यह हैं गांव में सुविधाएं
राष्ट्रीय मार्ग के बीच में बसा गांव कुलां में चौक के पास चारों ओर सैकड़ों दुकानों का निर्माण हुआ है। गांव में पुलिस चौकी, उपतहसील, बिजली घर, तीन बैंक, प्राइमरी व हाई स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, दो गुरुघर, हनुमान मंदिर, दुर्गा मंदिर, रविदास मंदिर, वाल्मीकि मंदिर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पशु चिकित्सा, पंचायत घर व खास तौर पर जिले की एकमात्र मिट्टी पानी लैब यहां स्थित है।