यूपी व बिहार से सस्ता चावल मंगवाकर सरकार को चूना लगाने की फिराक में राइस मिलर्स,

संवाद सूत्र जाखल क्षेत्र में इन दिनों राइस मिलर्स बड़ी मात्रा में बाहरी राज्यों से सस्ता चावल मंगव

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 07:49 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 07:49 PM (IST)
यूपी व बिहार से सस्ता चावल मंगवाकर सरकार को चूना लगाने की फिराक में राइस मिलर्स,
यूपी व बिहार से सस्ता चावल मंगवाकर सरकार को चूना लगाने की फिराक में राइस मिलर्स,

संवाद सूत्र, जाखल

क्षेत्र में इन दिनों राइस मिलर्स बड़ी मात्रा में बाहरी राज्यों से सस्ता चावल मंगवाकर सरकार को चुना लगाने की फिराक में है। जानकर सूत्रों मुताबिक बता दे कि यह धान का पूरा खेल अधिकारियों से सांठगांठ कर प्रतिवर्ष किया जाता है। ऐसे तो हर बार शासन का राइस मिलरों को धान देकर चावल लौटाने के क्रम चलता है परंतु इस बार हेर फेर से सरकार को करोड़ों रुपए का फटका लगना लगभग तय है। धान सीजन शुरू होते ही मिलर्स ने हरियाणा पंजाब के बाहरी राज्यों से भारी मात्रा में धान व चावल मंगवा लिया है। जानकर सूत्र बताते हैं कि क्षेत्र में कुछ मिल संचालक मंडी प्रशासन से मिलीभगत कर फर्जी ढंग से मंडी के रिकार्ड में धान की फ सल आई दर्शा रहें हैं अथवा तत्पश्चात दूसरे राज्यों से सस्ता चावल मंगवाकर सरकार को पूर्ति कर दी जाएगी। इससे शासन को इस सीजन भी करोड़ों रुपए का फ टका लगाना तय है। इससे किसानों को भी सीधा नुकसान हो रहा है चूंकि इस प्रकार घोटाले से कागजों में सरकार का कोटा पूरा हो जाएगा और असली किसान का धान सरकारी रेट पर बिकने से रह जायेगा। फि र चावल मिल मालिक उसे अपनी मनमर्जी से औने पौने दामों पर खरीद करेंगे। बाद में यदि किसान इस संदर्भ में आवाज भी उठाता है तो सरकारी अधिकारी उसे कोटा पूरा होने का हवाला दे देते है।

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दोहरा मुना़फा कमाते हैं मिलर :

होता यूं है कि इस गड़बड़झाले से मिल मालिक दोहरा मुनाफ ा कमाते हैं। सूत्रों मुताबिक बाहरी राज्यों से ये धान 300 से 500 प्रति किवंटल कम दाम में मिल जाता है। मिलर दूसरे प्रदेशों से उक्त धान मंगा कर बाद में इसे पूरे रेट पर मंडी रिकार्ड में आया दर्शा देते हैं। ये तो रहीं धान में घोटाले की बात। बाद में मिलर धान कुटाई कर अच्छी गुणवत्ता का चावल मार्केट में बेच देते हैं। नियमानुसार मिल संचालक को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज धान की एवज में 67 फ सद चावल देना होता है सूत्र बताते है कि इसके लिए मिल मालिक बिहार, यूपी जैसे राज्यों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सस्ता चावल मंगवा कर सरकार को लगा देते हैं। इस पूरे प्रकरण के पीछे मंडी अधिकारियों का हाथ मिल मालिकों के सिर पर रहता है। गुप्त सूचना अनुसार बहुतायत मिल मालिकों ने इससे पहले ही बाहरी राज्यों से चावल लाकर स्टॉक कर लिया है। जानकारों का कहना है कि यदि खाद्य आपूर्ति विभाग के आला अफसर संज्ञान लेकर प्रशासनिक टीम गठित कर इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करें तो बड़े स्तर पर हो रहें इस घोटाले का पर्दाफाश किया जा सकता है।

------------------ अन्नदाता का हो रहा शोषण

जानकारी मुताबिक बता दे कि धान सीजन का कार्य इन दिनों पूरे जोर पर है। अन्नदाता भी अपनी फ सल को बेचने के लिए मंडियों में ला रहे है। ऐसे में जानकार सूत्रों की माने तो राइस मिल मालिकों ने पहले ही बड़ी मात्रा में बिहार व यूपी राज्यों से चावल व धान मंगवाकर स्टॉक कर लिया है। जिसके चलते अब क्षेत्र के किसानों की फ सल भी कम खरीदने को लेकर भी मामला सामने आ सकता है। बता दे कि राइस मिलरों द्वारा मंगवाया गया धान मंडी रिकार्ड में दर्शाकर सरकार को लगाया जाएगा।

--------------------- किसान संगठनों ने भी दी चेतावनी :

किसान संघर्ष समिति के प्रधान लाभ सिंह, उपप्रधान जग्गी महल,जगसीर सिंह, उत्तम सिंह, हरविदर सिंह, अमित कुमार सहित अन्य किसानों ने क्षेत्र के सभी राइस मिलरों को चेतावनी देते हुए कहा कि जो राइस मिल मालिक परमल धान का चावल यूपी राज्यों से मंगवा रहे है वह भी गलत है किसान पदाधिकारियों ने कहा कि अगर इन दिनों कोई भी बाहरी राज्य से चावल या धान का आया हुआ ट्रक की सूचना किसानों को मिलती है तो उस पर सीधे तौर पर कार्यवाही की जाएगी। वही स्टॉक किए गए धान को लेकर किसानों ने कहा कि राइस मिलरों द्वारा बाहरी राज्यों से मंगवाया गया चावल स्टॉक करने पर सरकार के राजस्व विभाग को बहुत बड़ा नुकसान होगा।

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लगातार जारी किया नोटिस : गर्ग

राइस मिलरों को बीते दिन ही नोटिस जारी किया गया है। कि अगर वह बाहरी राज्यों से चावल मंगवा रहे है तो वह उसके बिल की कॉपी मार्केट कमेटी कार्यालय में जमा करवाए तथा साथ ही अपने स्टॉक रजिस्टर में उसकी एंट्री करे। अब तक सभी सेंटरों की 2 लाख क्वांटल के करीब खरीद की जा चुकी हैं। पिछले वर्ष के मुताबिक अभी तक 8 लाख क्विटल धान मंडी में और आनी है।

संदीप कुमार गर्ग सचिव मार्किट कमेटी जाखल

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