प्रगतिशील किसान बोले, हित में हैं अध्यादेश, अब बढ़ेगी आय
जागरण संवाददाता फतेहाबाद केंद्र सरकार ने खेती-किसानी से जुड़े तीन अध्यादेश संसद में प
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
केंद्र सरकार ने खेती-किसानी से जुड़े तीन अध्यादेश संसद में पेश कर दिए जो अब जल्द ही कानून का रूप ले लेंगे। कुछ किसान नेता व राजनीतिक पार्टी इन कानून को किसान विरोधी बता रही हैं। उनका दावा है कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो जाएगी। वहीं अनेक प्रगतिशील किसान ऐसे हैं जो किसान हित में बनाए गए तीनों अध्यादेश का समर्थन कर रहे हैं। दैनिक जागरण संवाददाता ने इन अध्यादेशों के विरोध व समर्थन के बीच चल रही राजनीति पर उन किसानों से बातचीत की जो लंबे समय से उत्कृष्ट खेती कर रहे है। खेती किसानों पर जानकारी भी रखते हैं। किसानों का कहना है कि वे इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। पहले सरकार ने किसानों को दास बनाया हुआ था। जिनकी फसल खरीदने के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धा भी नहीं थी। नए नियमों से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे किसानों को उचित समर्थन मूल्य भी मिलेगा।
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अब किसान की फसल कोई भी खरीद सकता है :
मैं गांव धांगड़ का किसान हूं। लंबे समय से खेती कर रहा हूं। अब दो वर्ष से बागवानी शुरू की। इसके अलावा नर्सरी भी शहीद अमृता देवी बिश्नोई से नाम से बनाई हुई है। सरकार ने किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए ही कानून में बदलाव किया है। पहले सरकार द्वारा निर्धारित एजेंट ही फसल खरीद सकते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। फसल कोई भी खरीद सकता है। ऐसे में किसान को अधिक विकल्प मिला है। पहले फसल बेचने का विकल्प न होने के चलते किसानों को अधिक परेशानी आ रही थी। अब किसान के पास कई विकल्प होंगे। किसान मंडी में बेचने के अलावा बाहर भी फसल बेच सकता है। ये बदलाव बहुत पहले हो जाना चाहिए था। अब निर्धारित समर्थन मूल्य से अधिक पर फसल बिकेगी।
- राजकुमार भादू, किसान, गांव धांगड़।
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पहले सीधी उपज नहीं बेच सकते थे किसान : सैनी
पहले प्रावधान था कि किसान सीधे फसल नहीं बेच सकते थे। फसल का उत्पादन तो किसान कर सकता था, लेकिन सीधे उपभोक्ता तक अपनी फसल नहीं बेच सकते थे। सीधा बेचना अपराध था। अब ऐसा नहीं है। किसान अपनी फसल सीधी बेच या आढ़तियों के मार्फत। सभी प्रकार की किसानों को छूट मिल जाएगी। वहीं मंडी व्यवस्था तो प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि चलती ही रहेगी। ऐसे में विकास को अधिक विकल्प मिले हैं। किसान अब किसी का दवाब नहीं रहेगा। अन्यथा तो मंडियों में किसानों को शोषण होता आया है। मंडी में आढ़तियों से लेकर मार्केट कमेटी व खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी किसानों पर शोषण कर रहे थे। अब ऐसा नहीं होगा। इसका किसानों को लाभ मिलेगा। किसानों को नए नियमों का किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। नुकसान सिर्फ आढ़तियों को होगा।
- विनोद सैनी, प्रगतिशील किसान, गांव चिदड़
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सरसों व बाजरे की सरकारी खरीद इसी सरकार में हुई शुरू :
मैं पिछले 15 सालों से खेती कर रहा हूं। मैं आमजन को बताना चाहता हूं कि इसी भाजपा सरकार में ही बाजरे व सरसों की सरकारी खरीद हुई है। दोनों फसलों का भाव भी पिछले छह सालों में दोगुना हो गया। अब कुछ लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं कि मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी। ऐसा कुछ नहीं है। अनाज मंडी व्यवस्था संचालित होती रहेगी। अब अनाज मंडी में किसानों को कई प्रकार की परेशानी आती है। वजह थी कि किसान के पास फसल बेचने के लिए विकल्प नहीं थे। अब सरकार ने तीन अध्यादेशों के माध्यम से किसानों को विकल्प दे दिए। ऐसे में किसान को फायदा हुआ है। वहीं मंडी व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगा। इसका आश्वासन खुद प्रधानमंत्री ने दिया है। ऐसे में हम देश के प्रधानमंत्री पर विश्वास करके किसान भलाई के लिए शुरू की गई योजना का फायदा उठाना चाहिए। इतना ही नहीं इसमें कहीं भी मंडी को खत्म करने का वादा नहीं किया गया। ऐसे में बेमतलब का किसानों को विरोध नहीं करना चाहिए।
- राजीव कुमार, प्रगतिशील किसान गांव बड़ोपल