मूंगफली की खेती से कम पानी में अधिक मुनाफा पाएं

किसानों का कपास की फसल से मोहभंग हो रहा है। महंगी होती कपास की खेती से उत्पादन लगातार कम हो रहा है। वहीं बीमा भी सरकार अधिक काटती है। लाभ उस हिसाब से मिल नहीं पाता। ऐसे में अब किसान कपास का विकल्प के तौर पर मूंगफली की खेती शुरू कर रहे है। पहले जिले में मूंगफली की खेती भट्टूकलां क्षेत्र के किसान करते थे। लेकिन अब इसकी खेती फतेहाबाद व भूना क्षेत्र में भी किसान खूब करने लग गए। इसकी वजह है कि कम पानी में अधिक पैदावार होती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:28 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:28 AM (IST)
मूंगफली की खेती से  कम पानी में अधिक मुनाफा पाएं
मूंगफली की खेती से कम पानी में अधिक मुनाफा पाएं

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

किसानों का कपास की फसल से मोहभंग हो रहा है। महंगी होती कपास की खेती से उत्पादन लगातार कम हो रहा है। वहीं बीमा भी सरकार अधिक काटती है। लाभ उस हिसाब से मिल नहीं पाता। ऐसे में अब किसान कपास का विकल्प के तौर पर मूंगफली की खेती शुरू कर रहे है। पहले जिले में मूंगफली की खेती भट्टूकलां क्षेत्र के किसान करते थे। लेकिन अब इसकी खेती फतेहाबाद व भूना क्षेत्र में भी किसान खूब करने लग गए। इसकी वजह है कि कम पानी में अधिक पैदावार होती है।

किसान को सही से बीज मिल जाए तो प्रति एकड़ 15 से 17 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है। सरकारी भाव अब 5150 रुपये है। जिसमें बढ़ोतरी होगी। ऐसे में बढि़या फसल धान की फसल से किसान को अधिक मुनाफा देती है। मूंगफली में खर्च सिर्फ बीज पर ही होता है। महज एक पानी से इतनी पैदावार हो जाती है। गांव बनमंदोरी के किसान मनीष सिवर को मूंगफली की अधिक पैदावार लेने पर जिला प्रशासन ने सम्मानित भी किया।

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खरीफ सीजन में किसान मूंगफली की खेती कर सकते है। जिले में तेल वाली मूंगफली की खेती किसान करते है। जो 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी बिजाई किसान जून महीने में करें। यदि कहीं पर किसान ने पहले बिजाई करनी है तो मई के आखिरी सप्ताह में ही बिजाई करें। ज्यादा अगेती बिजाई करने पर भी उत्पादन पर असर पड़ता है।

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20 किलोग्राम तक डालें बीज :

मूंगफली की खेती बीज पर निर्भर है। स्पेशल तेल निकालने के लिए बोई जाने वाली मूंगफली का पौधा अधिक नहीं फैलता। ऐसे में बीज कम से कम 20 किलोग्राम तक डालना चाहिए। वहीं कई किसान 30 किलोग्राम तक बीज का प्रयोग करते है। बीज सही व विश्वसनीय दुकान से ही लेना चाहिए। अनेक किसान राजस्थान के शहर नोहर से भी मूंगफली का बीज लाते है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीज पहले उपचारित करते हुए ही बुआई करनी चाहिए। इससे दीमक का खतरा कम हो जाता है। मूंगफली में एक मुख्य बीमारी दीमक की है। जिसे रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते हुए खत्म किया जा सकता है।

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जिले में मूंगफली के प्रति रूझान बढ़ा है। मूंगफली के लिए अपने जिले का मौसम अनुकूल है। किसान को चाहिए कि वे बीज प्रामाणिक दुकान से खरीदे। इसकी खेती बीज पर निर्भर है। वहीं बिजाई का कार्य मई के आखिरी सप्ताह से शुरू करें। ज्यादा अगेती बुआई भी सही नहीं है। वैसे जून महीने में मूंगफली की बिजाई के लिए उत्तम है।

- डा. भीम सिंह कुलड़िया, एसडीओ, कृषि एंव किसान कल्याण विभाग।

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