बरसात के बाद बढ़ी उमस से नरमे की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप
जागरण संवाददाता फतेहाबाद पिछले दिनों हुई बरसात के बाद एकाएक उमस व गर्मी बढ़ने के का
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: पिछले दिनों हुई बरसात के बाद एकाएक उमस व गर्मी बढ़ने के कारण नरमे की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप हो गया है। हालांकि इस बार इतना नहीं है कि कोई घबराने वाली बात हो। अगर किसानों ने जल्द ही इसके प्रकोप को कंट्रोल नहीं किया तो नुकसानदायक हो सकती है। अगर कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया गया तो यह नरमे के पौधे को सूखा देगी और पौधा खराब हो जाएगा। हालांकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान कुछ राहत भी दे रहा है। अगर बरसात हुई तो इस सफेद मक्खी से अपने आप ही राहत मिल जाएगी। इ
इस समय तापमान 38 डिग्री के आसपास है। पिछले दिनों कुछ स्थान पर बरसात हुई थी। इसका असर नरमे की फसल पर दिख रहा है। कुछ खेतों में नरमे के पौधे पर सफेद मक्खी भी उड़ रही है। लेकिन इसको देखकर घबराने की कतई जरूरत नहीं है। कृषि अधिकारियों की माने तो जब तक एक पत्ते पर 30 से अधिक मक्खियां नहीं होगी तब तक ये बेअसर है। अगर इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है तो इसकी रोकथाम के लिए किसान कीटनाशक का छिड़काव कर सकते है।
----------------------------जिले में 79 हजार हेक्टेयर भूमि में है कपास की फसल
किसानों ने जिले में करीब 79 हजार हेक्टेयर भूमि में नरमे की बिजाई की है। गांव धांगड़, बड़ोपल, खजूरी, मोहम्मदपुर रोही सहित अनेक गांवों में नरमे की फसल में सफेद मक्खी देखी गई है। जब पौधे को हिलाकर देखते है तो अनेक सफेद मक्खियां उड़ रही है। अगर इस समय एक अच्छी बरसात हो गई तो इसका असर भी खत्म हो जाएगा
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क्या है सफेद मक्खी
सफेद मक्खी छोटा सा तेज उड़ने वाला पीले शरीर और सफेद पंख का कीड़ा है। छोटा एवं हल्के होने के कारण ये कीट हवा द्वारा एक दूसरे से स्थान तक आसानी से चले जाते हैं। इसके अंडाकार शिशु पत्तों की निचली सतह पर चिपके रहकर रस चूसते रहते हैं। भूरे रंग के शिशु अवस्था पूरी होने के बाद वहीं पर यह प्यूपा में -बदल जाते हैं। ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। जिन काली फंफूदी लग जाती है।
----------------------------------किसान ये करे उपचार
नरमे की फसल पर प्रति एकड़ एक लीटर नीम के तेल को 200 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करे तो सफेद मक्खी के प्रकोप को समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा 2 किलोग्राम यूरिया में आधा किलोग्राम जिक (21 प्रतिशत) के साथ इसे 200 लीटर पानी में मिलाकर भी इस बीमारी से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके अलावा किसान अन्य कीटनाशक का प्रयोग ना करे। कृषि विशेषज्ञों से बात करने के बाद ही इसका उपचार किया जाए।
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उसम के मौसम में कुछ बीमारी उत्पन्न हो जाती है। अभी सफेद मक्खी इतनी नहीं कि कोई नुकसान हो सके। फिर भी किसान सचेत रहे। बीमारी आने का समय यही है। आने वाले समय में बरसात होने की संभावना है। ऐसे में यह मक्खी भी अपने आप ही मर जाएगी।
डा. राजेश सिहाग
उपकृषि निदेशक फतेहाबाद।