लॉकडाउन में दूध हुआ सस्ता, नकली का कारोबार भी हुआ बंद

जागरण संवाददाता फतेहाबाद जिले में प्रतिदिन 4 लाख लीटर दूध की खपत हैं। यह औसत प्रति व्यक्ि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 08:56 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 08:56 AM (IST)
लॉकडाउन में दूध हुआ सस्ता, नकली का कारोबार भी हुआ बंद
लॉकडाउन में दूध हुआ सस्ता, नकली का कारोबार भी हुआ बंद

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

जिले में प्रतिदिन 4 लाख लीटर दूध की खपत हैं। यह औसत प्रति व्यक्ति 610 ग्राम के करीब है। दूध का व्यवसाय जिले में दिन रात बढ़ रहा है। इससे जिले के करीब 5 हजार युवाओं को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। जिन्होंने शहर व गांवों में डेयरी करने के अलावा दूधिया का काम करते है। जिले में साढ़े लाख से अधिक दुधारू पशु हैं। हालांकि अब कोरोना काल में दूध का भाव बहुत कम हो गए। विभिन्न बड़ी दूध कंपनियों ने दूध के भाव 50 रुपये प्रति लीटर 100 फैट के कर दिए हैं। जो सर्दियों में 70 रुपये के करीब थे। दूध उत्पादकों का कहना है कि पशुओं के फीड की कीमत बढ़ी है और दूध की कम हुई है। ऐसे में उनके बचत नहीं है। परंतु आम उपभोक्ताओं को फायदा हो गया। उन्हें अब दूध सस्ता मिल रहा है।

जिले में वीटा मिल्क प्लांट भूना में होने के अलावा कई निजी कंपनियों के प्लांट भी लगे हुए है। जिनसे 5 लाख लीटर के करीब दूध जिले के बाहर सप्लाई होता है। वैसे स्वास्थ्य विभाग से जुड़े फूड सेफ्टी विभाग द्वारा इस वर्ष में अभी तक एक भी सैंपल नहीं लिए गए। हालांकि बीते वर्ष में दूध के 12 सैंपल लिए गए थे। जिनकी रिपोर्ट संतुष्टिजनक रही है। 4 सैंपल ही सब स्टैंर्डड मिले थे। जिला में मिलावटी दूध के मामले अधिक नहीं है। विभाग भी समय समय पर अभियान चलाकर दूध के सैंपल लेता है

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गर्मियों में पहली बार सस्ता हुआ दूध :

ज्येष्ठ के महीने उत्पादन कम हो जाता है। ऐसे में अधिकांश कंपनियां दूध के भाव बढ़ा देती है। लेकिन इस बार गर्मियों में दूध के भाव कम हुए है। दूध का कारोबार करने वालों का कहना है कि ये पहली बार हुआ है। दूध सस्ता हुआ तो दूध नकली बनाकर बेचने वाले भी कम हो गए। इसके साथ ही कई बार दूध को ज्यादा लंबे समय तक रखने के लिए न्यूट्रालाइजर फामलिन का इस्तेमाल करते है, जो शरीर के लिए घातक हो सकता है। जिला में मिलावटी दूध तैयार करने के मामले कम ही सामने आए है।

----------------------- जिले में दुधारू पशुओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनेक योजना शुरू की हुई है। जो पशुपालक बड़ी डेयरी खोलना चाहते है उनका ऋण दिया जाता है। उस पर सरकार की तरफ से अनुदान भी मिलता है। वहीं दुधारू पशुओं में किसी प्रकार की बीमारी न आए। इसके लिए लगातार टीकाकरण अभियान चलाया जाता है।

- डा. काशीराम, उपनिदेशक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग।

------------ वैसे जिले में दूध में मिलावट के मामले बहुत कम है। बीते वर्ष दूध के एक दर्जन के करीब सैंपल लिये गए थे। इनमें फेंट इत्यादि तो कम ज्यादा मिली है परंतु यूरिया, कास्टिक जैसे घातक तत्व नहीं मिले। विभाग समय समय पर अभियान चलाकर दूध डेरियों, दूधियों व दूध प्लांटों में दूध की शुद्धता जांचता रहता है।

- डा. सुरेंद्र पूनिया, अधिकारी, फूड एंड सेफ्टी विभाग।

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