विभिन्न गांवों में पराली प्रबंधन कार्यों का निरीक्षण, किसानों से की पराली न जलाने की अपील

संवाद सूत्र जाखल उपमंडल कृषि अधिकारी डा. अजय ढिल्लो ने जाखल ब्लॉक के गांव चांदपूरा दीवाना

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 07:48 AM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 07:48 AM (IST)
विभिन्न गांवों में पराली प्रबंधन कार्यों का निरीक्षण, किसानों से की पराली न जलाने की अपील
विभिन्न गांवों में पराली प्रबंधन कार्यों का निरीक्षण, किसानों से की पराली न जलाने की अपील

संवाद सूत्र, जाखल: उपमंडल कृषि अधिकारी डा. अजय ढिल्लो ने जाखल ब्लॉक के गांव चांदपूरा, दीवाना, शंकरपुरा, ढाणी लखवानी व नथवाल आदि विभिन्न गांवों को दौरा किया। उन्होंने धान की फसल के अवशेष प्रबंधन कार्यों का निरीक्षण किया। डा. अजय ढिल्लो ने बताया कि धान की फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों का जहां पर कई जागरूक किसान सही प्रबंधन करके इसे आमदनी का जरिया बनाने के साथ-साथ पर्यावरण सरंक्षण मित्र बन रहे हैं। ये किसान दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन रहे हैं।

ऐसे ही किसान सुखविदर, जगतार, मनजीत सिंह, हरदीप सिंह, लवदीप सिंह व सतनाम सिंह आदि जो पराली को जलाने की बजाए उसका सही प्रबंधन किया। किसानों से बातचीत करते हुए कहा कि वे पराली को न जलाएं। पराली जलाने से जहां उनकी भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म होती है, वहीं पर्यावरण प्रदूषित होता है। स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ पर्यावरण का होना बहुत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसान पराली प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों का इस्तेमाल करें। पराली का प्रबंधन करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। पराली का सही प्रबंधन करने से जहां पर्यावरण स्वच्छ रहता है, वहीं भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है। हैप्पी सीडर, बेलर, फेयर हैट सहित अन्य माध्यमों से कम समय में पराली प्रबंधन किया जा सकता है। बेलर से धान की फसल के अवशेषों के गांठे तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि बेलर से गांठें बनाने से पहले हैरेक से अवशेषों को लाइन में एकत्रित किया जाता है, ताकि बेलर से गांठें सही प्रकार से बनाए जा सकें। इसके बाद बेलर द्वारा एकत्रित फसल अवशेषों की गांठें बनाई जाती हैं।

उन्होंने बताया कि पराली प्रबंधन की यह तकनीक किसानों के लिए आमदनी का जरिया भी है। इस अवसर पर एडीओ सुभाष अन्य किसान मौजूद रहे।

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