हरियाणा सरकार और बोर्ड नहीं देना चाहते निर्माण मजदूरों को सुविधाओं को लाभ

भवन निर्माण कामगार यूनियन हरियाणा संबंधित सीटू के आह्वान पर सरकार और बोर्ड की कार्यप्रणालियों से तंग आकर निर्माण मजदूरों ने अपनी मांगों एवं समस्या को लेकर हड़ताल करते हुए उपायुक्त कार्यालय पर पड़ाव डाला और जमकर नारेबाजी की। धरने की अध्यक्षता जिला प्रधान ओमप्रकाश अनेजा ने की व संचालन जिला कैशियर जगीर सिंह ने किया। इसके बाद यूनियन का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिला और उन्हें प्रधानमंत्री और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम ज्ञापन सौंपा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 05:43 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 05:43 PM (IST)
हरियाणा सरकार और बोर्ड नहीं देना चाहते निर्माण मजदूरों को सुविधाओं को लाभ
हरियाणा सरकार और बोर्ड नहीं देना चाहते निर्माण मजदूरों को सुविधाओं को लाभ

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

भवन निर्माण कामगार यूनियन हरियाणा संबंधित सीटू के आह्वान पर सरकार और बोर्ड की कार्यप्रणालियों से तंग आकर निर्माण मजदूरों ने अपनी मांगों एवं समस्या को लेकर हड़ताल करते हुए उपायुक्त कार्यालय पर पड़ाव डाला और जमकर नारेबाजी की। धरने की अध्यक्षता जिला प्रधान ओमप्रकाश अनेजा ने की व संचालन जिला कैशियर जगीर सिंह ने किया। इसके बाद यूनियन का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिला और उन्हें प्रधानमंत्री और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम ज्ञापन सौंपा।

धरने को धर्मपाल, साधुराम, सेवा सिंह, दर्शन सिंह आदि ने भी संबोधित किया। निर्माण मजदूरों को संबोधित करते हुए जिला प्रधान ओमप्रकाश अनेजा और राज्य महासचिव सुखबीर सिंह ने कहा कि देश और प्रदेश सरकार आज मजदूरों को सुविधाओं से वंचित करना चाहती है। इसके विरोध में निर्माण मजदूरों का अखिल भारतीय संगठन के आह्वान पर 2 व 3 दिसंबर को देशभर में राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने पर मजबूर होना पड़ा है। दो दिन की हड़ताल के बाद भी यदि मजदूरों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो इस हड़ताल को अनिश्चितकालीन भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड का काम उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास है, मगर बार-बार बातचीत होने के बाद समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा।

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ज्ञापन में निर्माण मजदूरों ने इन मांगों को उठाया

भवन निर्माण कामगार यूनियन ने उपमुख्यमंत्री से हुई बातचीत में मानी गई मांगों को लागू करने की मांग की। इसके अलावा सेंट्रल प्रोसेसिग सिस्टम के लागू होने के बाद अधिकारियों द्वारा बेमानी आपत्ति सुविधा फार्मों पर लगाई जा रही है, बिना किसी कारण आपत्ति लगाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए तथा रद्द किए गए सुविधा फार्म बहाल किए जाए। 90 दिन की वेरिफिकेशन का अधिकार यूनियनों को दिया जाए। पूरे प्रदेश में बोर्ड के कार्यों में एकरूपता लाई जाए। लाभ दिए जाने की समय सीमा तय की जाए। एक ही बार आपत्ति का नियम लागू किया जाए। फैमिली आईडी के नाम पर रद्द किए गए पंजीकरण व सुविधा फार्म बहाल की जाए। दिहाड़ी मारने वालों पर कार्यवाही करने, लेबर चौकों पर शेड का निर्माण करने, सभी गांव में मनरेगा का 200 दिन काम और 600 रुपये दिहाड़ी देने की मांग की गई है।

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