पराली जलाने पर मामला दर्ज होने पर गुस्साए किसान, कुलां-फतेहाबाद मार्ग पर लगाया जाम

संवाद सूत्र जाखल गांव के खेतों में पराली जलाने पर प्रशासन द्वारा किसानों पर मुकदमा दर्ज करन

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 07:30 AM (IST)
पराली जलाने पर मामला दर्ज होने पर गुस्साए किसान, कुलां-फतेहाबाद मार्ग पर लगाया जाम
पराली जलाने पर मामला दर्ज होने पर गुस्साए किसान, कुलां-फतेहाबाद मार्ग पर लगाया जाम

संवाद सूत्र, जाखल :

गांव के खेतों में पराली जलाने पर प्रशासन द्वारा किसानों पर मुकदमा दर्ज करने से गुस्साए किसानों ने जाखल-कुलां सड़क मार्ग पर सुबह दस बजे जाम लगाकर रोष जताया। करीब साढ़े पांच घंटे तक जाम से वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जाम की सूचना मिलने पर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंच कर सुलह-समझौता करते हुए जाम खुलवाने का प्रयास किया। इसके बाद टोहाना के डीएसपी बिरम सिंह, बीडी पीओ नरेंद्र कुमार, नायब तहसीलदार रामचंद्र अहलावत, कृषि विभाग एसडीओ डा. अजय ढिल्लों व थाना प्रभारी सहित अन्य अधिकारी धरना स्थल पर पहुंचे। किसानों ने डीएसपी के समक्ष अपनी गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा कि किसी भी किसान की गिरफ्तारी नहीं होगी। यदि पराली जलाने के मामले में किसी भी किसान पर मुकदमा दर्ज किया या किसान को गिरफ्तार किया तो किसान एकजुटता से इसका विरोध करेगें।

किसानों ने पांच दिन का दिया अल्टीमेटम-कहा दर्ज मामले रद हों और पराली प्रबंधन की मशीनें मिलें मनजीत नथवान ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर पुलिस प्रशासन किसी भी किसान को पराली जलाने के मामले में पकड़ने के लिए आता है या उसकी गिरफ्तारी की जाती है तो उसके लिए किसान संघर्ष कमेटी किसी भी तरह का घेराव करने से पीछे नही हटेगी। किसान संघर्ष समिति सदस्यों व धरने पर मौजूद किसानों ने जाखल के नायब तहसीलदार को जिला उपायुक्त के नाम ज्ञापन भी सौपा। किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि प्रशासन 28 अक्टूबर तक जाखल ब्लॉक में किसानों को पराली से गांठें बनाने के लिए उपकरण उपलब्ध नहीं करवाता तो किसान 28 अक्टूबर के बाद पराली को खुद आग लगाने के लिए मजबूर होंगे। -------------------------

कहा-दोहरी नीति अपनाई जा रही है सरकार व प्रशासन की ओर से

इस मौके पर लाभ सिंह उदयपुर, नवजोत सिंह विक्की, पूर्व सरपंच चेत सिंह, बाबू सिंह, जग्गी महल, मोहिद्र सिंह, अमित सिधानी, बलकार जाखल, संत सिंह, हरविद्र सिंह, अंग्रेज सिंह, रसविन्द्र सिंह, राजिद्र सिंह, अमरीक सिंह, जगा सिंह, सुरजीत कौर, गुरमीत कौर, हरदेवी पंच, सतपाल कौर सहित अनेक महिलाएं भी धरने पर बैठी रही। उन्होंने कहा कि खेती में मजबूरीवश अगली फसल की बिजाई के लिए अन्नदाता यदि पराली जला दे तो उस पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। जबकि शहरों में सरेआम अवैध तौर पर फैक्ट्रियां कबाड़ जलाकर 24 घंटे धुआं उगलती हैं और खुलेआम कूड़ा जलता है। उस पर कार्रवाई नहीं हो रही। सरकार व प्रशासन की ये दोहरी नीति है।

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