किसान अपनाएं बागवानी, बढे़गी आमदनी

उपायुक्त डा. नरहरि सिंह बांगड़ ने बागवानी विभाग द्वारा जिला में किसानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का निरीक्षण किया। उपायुक्त ने गांव जांडली कलां में किसान सुरेश कुमार के किन्नू के बाग का दौरा किया व किन्नु की गुणवता व पैदावार के बारे में किसान से जानकारी ली। उन्होंने पानी भंडारण टैंक सूक्ष्म सिचाई सोलर सिस्टम की तकनीक तथा सूक्ष्म सिचाई प्रणाली से पानी की बचत किस प्रकार से होती है इसके बारे में किसान से पूर्ण जानकारी ली।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2021 07:06 AM (IST) Updated:Fri, 12 Feb 2021 07:06 AM (IST)
किसान अपनाएं बागवानी, बढे़गी आमदनी
किसान अपनाएं बागवानी, बढे़गी आमदनी

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद

उपायुक्त डा. नरहरि सिंह बांगड़ ने बागवानी विभाग द्वारा जिला में किसानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का निरीक्षण किया। उपायुक्त ने गांव जांडली कलां में किसान सुरेश कुमार के किन्नू के बाग का दौरा किया व किन्नु की गुणवता व पैदावार के बारे में किसान से जानकारी ली। उन्होंने पानी भंडारण टैंक, सूक्ष्म सिचाई, सोलर सिस्टम की तकनीक तथा सूक्ष्म सिचाई प्रणाली से पानी की बचत किस प्रकार से होती है, इसके बारे में किसान से पूर्ण जानकारी ली।

इस मौके पर किसान सुरेश कुमार ने उपायुक्त को बताया कि बागवानी विभाग द्वारा विभिन्न मदों में अनुदान दिया गया, जिसके कारण आज उन्हें परंपरागत खेती की बजाए मधुमक्खी पालन, केंचुआ पालन व बागवानी में ज्यादा मुनाफा हो रहा है। उपायुक्त ने शहद प्रोसेसिग यूनिट के बारे में भी विस्तार से जानकारी ली। उपायुक्त ने मौके पर आए हुए दूसरे किसानों को भी सुरेश कुमार से प्रेरणा लेकर आधुनिक तकनीक से बागवानी की तरफ बढ़े, जिससे किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके। इसके बाद उपायुक्त ने भूना व बैजलपुर में बागवानी विभाग द्वारा पंजीकरण नर्सरियों का दौरा किया और उन्होंने वहां अमरूद व आडू के पौधे किस तरह तैयार किये जाते हैं, उनके बारे में नर्सरी मालिकों से जानकारी ली। उपायुक्त ने नर्सरी मालिकों को कहा कि किसानों को अच्छी गुणवता के पौधे तैयार करके बेचे, जिससे आस-पास के क्षेत्र में बागवानी को बढ़ावा मिले। मौके पर नर्सरी में लगे हुए फलों के पौधों के बारे में भी जानकारी ली। इसके उपरांत उपायुक्त ने गांव दिवाना में स्ट्राबेरी के खेत का दौरा किया और किसान से स्ट्राबेरी के बारे में जानकारी ली और किसान से पूछा की स्ट्राबेरी को लगाने से लेकर बेचने तक किस प्रकार की परेशानी आई।

किसान ने बताया कि स्ट्राबेरी में मुख्यत: पौधों की गुणवत्ता की समस्या रहती है क्योंकि स्ट्राबेरी के पौधे हिमाचल या पूणे में तैयार किये जाते हैं, जिनकी गुणवता के लिए नर्सरी मालिकों पर निर्भर रहना पडता है। दूसरा मौसम के ऊपर भी फसल की पैदावार निर्भर करती है। स्ट्रॉबेरी की आस-पास मार्केट न होने के कारण किसानों का रूझान इसकी तरफ कम है, क्योंकि फसल को बेचने के लिए लुधियाना व दिल्ली जाना पड़ता है, यदि आस-पास के किसान इकट्ठा होकर स्ट्राबेरी की खेती कर तो इसमें दूसरी फसलों से ज्यादा मुनाफा कमा सकते है। उपायुक्त ने बताया कि बागवानी विभाग द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है, जिसको किसान अपनाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

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