उपेक्षा की भेंट चढ़ी गांवों में जल निकासी व्यवस्था

चंद दिनों बाद मानसून दस्तक दे देगा लेकिन गांवों में वर्षा जल संरक्षण के लिए अभी तक प्रशासन कुंभकर्णी नींद से उठा नहीं है। क्षेत्र के अधिकांश गांवों में जलस्त्रोत तालाबों की सफाई नहीं हुई है। भले ही प्रशासन मानसून से पूर्व जल संरक्षण के पुख्ता इंतजाम करने का दावा कर रहा है लेकिन धरातल पर स्थिति अलग ही बयां कर रही है। गांवों में जोहडों की सफाई उपेक्षा की भेंट चढ़ गई है। जोहड़ की दशा देखने के बाद अधिकारियों के आदेश हवा हवाई नजर आ रहे हैं। आलम ये है कि अधिकांश गांवों में लंबे समय से तालाबों की सफाई न होने से तालाब ओवरफ्लो होने से बिना वर्षा के ही घरों का दूषित पानी गली व सड़कों पर भरा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 07:40 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 07:40 AM (IST)
उपेक्षा की भेंट चढ़ी गांवों में जल निकासी व्यवस्था
उपेक्षा की भेंट चढ़ी गांवों में जल निकासी व्यवस्था

संवाद सूत्र, कुलां : चंद दिनों बाद मानसून दस्तक दे देगा, लेकिन गांवों में वर्षा जल संरक्षण के लिए अभी तक प्रशासन कुंभकर्णी नींद से उठा नहीं है। क्षेत्र के अधिकांश गांवों में जलस्त्रोत तालाबों की सफाई नहीं हुई है। भले ही प्रशासन मानसून से पूर्व जल संरक्षण के पुख्ता इंतजाम करने का दावा कर रहा है, लेकिन धरातल पर स्थिति अलग ही बयां कर रही है। गांवों में जोहडों की सफाई उपेक्षा की भेंट चढ़ गई है। जोहड़ की दशा देखने के बाद अधिकारियों के आदेश हवा हवाई नजर आ रहे हैं। आलम ये है कि अधिकांश गांवों में लंबे समय से तालाबों की सफाई न होने से तालाब ओवरफ्लो होने से बिना वर्षा के ही घरों का दूषित पानी गली व सड़कों पर भरा हुआ है। बीते दिनों हुई मामूली बारिश के बाद गांव धारसूल कलां, धारसूल खुर्द, नन्हेडी व कुलां में जगह जगह जलभराव हो गया है। हालात ये हैं कि लोगों का पानी से गुजरना मुश्किल हो गया है। ऐसे में स्वयं ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि शीघ्र ही प्रशासन ने इस ओर ध्यान न दिया तो मानसून की बरसातों में स्थिति कितनी भयावह होगी। गांवों में तालाबों की सफाई न होने से बनी इस स्थिति का निराकरण कराने को गांव के मुखिया अब जवाबदेही से किनारा कर रहें हैं, क्योंकि इन दिनों सरपंचों के पास चार्ज नहीं होने से वे ग्राम विकास कराने को अधिकृत नहीं है। ग्राम विकास की जिम्मेदारी अब ग्राम सचिवों व अधिकारियों पर है, परंतु अधिकारियों द्वारा अभी तक जोहड़ की स्वच्छता कराने का मुहूर्त तक नहीं किया है। जिसका खामियाजा गंदगी महामारी के रूप में आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है।

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कचरों से भरे पड़े हैं गांवों के जोहड़

गांवों में जल निकासी के लिए जोहड़ बने है, लेकिन सफाई के अभाव में जोहड़ गंदगी से बजबजा रहें है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाबों की सफाई कई वर्षों से नहीं हुई है। ग्रामीणों मुताबिक वह इसकी शिकायत ग्राम सरपंच से लेकर पंचायत अधिकारियों से कर चुके हैं। इसके बाद भी जोहड़ की सफाई नहीं हो रही है। लिहाजा इससे जोहड़ ओवरफ्लो होने से गंदा पानी गलियों व सड़कों पर जमा हो रहा है। गंदा पानी भरा रहने से घातक किस्म के मच्छर मक्खियां उत्पन्न होते हैं, जिससे बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। यहीं नहीं, बारिश के दिनों में तो पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर जाता है।

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अवैध कब्जे बने है बाधा

गंदे पानी की निकासी अवरूद्ध होने का मुख्य कारण जोहड़ की भूमि पर अतिक्रमण होना भी है। कई गांवों में जोहड़ पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जे किए हुए हैं। अवैध कब्जों के कारण जोहड़ का दायरा कम हो गया है। आलम ये है कि कुछ जोहड़ तो विलुप्त होने की कगार पर है। इसी के चलते जोहड़ की सफाई भी नहीं हो पा रही है। गांव शकरपुरा में दबंगों ने जोहड़ की भूमि पर कब्जा किया हुआ है। जिससे जोहड़ का दायरा अपेक्षाकृत कम हो गया है। स्थिति ये बनी है जोहड़ में निकासी पूरी तरह से अवरूद्ध हैं। घरों के दूषित पानी की निकासी गांव के पास से गुजरते रंगोई नाले में की जा रही है। अवैध कब्जों को हटवाने के लिए ग्रामीण कई बार अधिकारियों को शिकायत दे चुके हैं, पर अवैध कब्जे नहीं हट पाए हैं। इसके अलावा गांव धारसूल, नन्हेडी व अन्य गांवों में भी कुछ दबंगों ने जोहड़ के इर्द-गिर्द बौंगे-बिटोड़े रख लिए है। धीरे-धीरे जोहड़ के आस-पास की जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं।

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ये मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। मानसून सिर पर होने के चलते सभी गांवों में जल निकासी की पुख्ता व्यवस्था होना अनिवार्य है। यदि ऐसा है तो आज ही खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी को आदेशित कर यथाशीघ्र समस्या का निराकरण करा दिया जाएगा।

गौरव अंतिल, एसडीएम टोहाना

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