फादर स्टेन स्वामी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की मांग

हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा फादर स्टेन स्वामी की स्मृति में अभिव्यक्ति की आजादी व यूएपीए कानून विषय का सेमिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 07:55 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:55 AM (IST)
फादर स्टेन स्वामी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की मांग
फादर स्टेन स्वामी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की मांग

फतेहाबाद, विज्ञप्ति : हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा फादर स्टेन स्वामी की स्मृति में अभिव्यक्ति की आजादी व यूएपीए कानून विषय का सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता प्रोफेसर सुभाष शर्मा, पूर्व निदेशक एमएम कॉलेज व मास्टर राजपाल ने की। सेमिनार का संचालन संदीप महिया द्वारा किया गया। सेमिनार में पहले फादर स्टेन स्वामी और किसान आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

सेमिनार को संबोधित करते हुए कृष्ण नैन ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में इस विषय पर चर्चा करना बहुत जरूरी है। स्टेन स्वामी का जन्म 26 अप्रैल 1937 को मद्रास में हुआ था। विदेशों में अपनी पढ़ाई के दौरान ही स्टेन स्वामी रोमन कैथोलिक चर्च की ''गरीबों का परलोक सुधारने से पहले, इहलोक सुधारने की लहर के संपर्क में आ गए थे और उसी से प्रभावित होकर भारत में आकर अपने घर तमिलनाडु में रहने की बजाय झारखंड में चाईबासा में आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के संघर्ष में शामिल हो गए। स्टेन स्वामी ने 60 के दशक से लगातार आदिवासियों के बीच में रहकर आदिवासियों की कारपोरेट द्वारा शोषण के खिलाफ चल रही जल-जंगल और जमीन की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इस शोषण के खिलाफ उनका संघर्ष जीवनभर चलता रहा। वर्तमान बीजेपी की सरकार देशभर में सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों पर यूएपीए लगाकर उनको जेल में डाल रही है। स्टेन स्वामी जिनकी उम्र 84 साल थी, आदिवासियों के लिए संघर्ष कर रहे थे, उन्हें न केवल जेल में डाला गया बल्कि बीमार होते हुए भी ना पीने के लिए पानी, ना दवाई और विभिन्न तरह की सुविधाओं से वंचित रखा गया। उन्हें भीमा कोरेगांव की घटना से जोड़कर गिरफ्तार करके जेल में डाला और उनको जमानत तक नहीं दी गई। इसी तरह अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवी लोगों को, जो सरकार के खिलाफ बोलते हैं, उन पर यूएपीए लगाकर जेलों में डाल रखा है। विक्रम मित्तल एडवोकेट ने कहा कि यूएपीए कानून व सेडिशन कानून दोनों ही हमारे देश के संविधान के खिलाफ है। इस कानून के तहत पुलिस बिना सबूत के किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है और अग्रिम जमानत का प्रवाधान नहीं है। सूरत में 122 लोगों को यूएपीए लगाकर 19 साल जेल में रखा गया और 19 साल बाद उन्हें निर्दोष मानकर रिहा किया गया।

प्रोफेसर सुभाष शर्मा ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि फादर स्टेन स्वामी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की का अभियान चलाना चाहिए। अगर फादर स्टेन स्वामी को नोबेल शांति पुरस्कार मिलता है तो यह हमारे देश की सत्ता के चेहरे पर तमाचा के रूप में होगा।

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