पुलिस को ईमानदारी और पारदर्शिता का पाठ,

जिले के हर गांव को चाइल्ड फ्रेंडली विलेज बनाया जाएगा। ये कमेटियां बच्चों को उनके अधिकार बारे जागरूक करेंगी। यह बात उपायुक्त डा. नरहरि सिंह बांगड़ ने कहीं। वे यहां किशोर न्याय यानी बालकों का संरक्षण एवं देखभाल अधिनियम 2015 यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिन सेमिनार के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 07:06 AM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 07:06 AM (IST)
पुलिस को ईमानदारी और पारदर्शिता का पाठ,
पुलिस को ईमानदारी और पारदर्शिता का पाठ,

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

जिले के हर गांव को चाइल्ड फ्रेंडली विलेज बनाया जाएगा। ये कमेटियां बच्चों को उनके अधिकार बारे जागरूक करेंगी। यह बात उपायुक्त डा. नरहरि सिंह बांगड़ ने कहीं। वे यहां किशोर न्याय यानी बालकों का संरक्षण एवं देखभाल अधिनियम, 2015, यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिन सेमिनार के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।

उपायुक्त डा. नरहरि सिंह बांगड़ ने कहा कि एक सर्वे में यह सामने आया है कि 60 प्रतिशत बच्चे शोषण का शिकार हो रहे हैं और उनमें से आधे से अधिक लड़के हैं। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर चेतावनी है। बच्चों पर हो रहे शोषण और बच्चों द्वारा किए जा रहे अपराधों को रोकने के लिए समाज को भी आगे आना होगा। सरकारी स्तर पर अनेक एजेंसियां उनके कल्याण के लिए काम कर रही है। जो बच्चे रास्ते से भटक चुके हैं उनको मुख्य धारा में लाना जरूरी है। देश की आबादी 60 फीसद युवा है और इस युवा शक्ति में बच्चों को शामिल होना है। इसलिए एक स्वस्थ समाज निर्माण में बच्चों पर हो रहे शोषण और उन द्वारा किए जा रहे अपराधों बारे हमें गंभीरता से सोचना होगा।

उपायुक्त डा. बांगड़ ने सेमिनार में हिस्सा ले रहे विभिन्न थानों से आए जांच अधिकारियों को कहा कि पुलिस कर्मियों की कार्यशैली पारदर्शी होनी चाहिए और यह समाज को प्रतीत भी होनी चाहिए। उपायुक्त ने सेमिनार में भाग ले रहे सभी जांच अधिकारियों, बाल कल्याण समिति सदस्यों से कहा कि वे बालकों के संरक्षण एवं देखभाल अधिनियम व यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की पूरी जानकारी लें और अपनी कार्यशैली को दक्ष करें। पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी बच्चे को उसके धर्म, जात व जन्म स्थान व अन्य प्रकार के भेदभाव के आधार पर उसके अधिकार को वंचित नही कर सकता है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट व पोक्सो एक्ट बच्चों के अधिकार की रक्षा करने के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस का यह कर्तव्य होता है कि उनके समक्ष पहुंचे पीड़ित बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें तथा कानून अंतर्गत उसे सहायता प्रदान करें। उन्होंने लैंगिक अपराध से पीड़ित बच्चों के प्रति पुलिस तथा न्यायालय के कर्तव्य के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

इस मौके पर पीओ आइसीडीएस राजबाला जांगड़ा, जिला बाल संरक्षण अधिकारी प्रदीप कुंडू, सुरजीत बाजिया सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।

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