महिला कोच राजबाला ने बदली ग्रामीणों की धारणा तो बेटियों ने जीते पदक

जागरण संवाददाता फतेहाबाद खेल विभाग की हॉकी कोच राजबाला की नियुक्ति वर्ष 2011 में गां

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 06:34 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 06:34 AM (IST)
महिला कोच राजबाला ने बदली ग्रामीणों की धारणा तो बेटियों ने जीते पदक
महिला कोच राजबाला ने बदली ग्रामीणों की धारणा तो बेटियों ने जीते पदक

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

खेल विभाग की हॉकी कोच राजबाला की नियुक्ति वर्ष 2011 में गांव धारनिया में हुई। उस दौरान गांव में खेल स्टेडियम नया-नया बना ही था। गांव में खेलों का माहौल बिल्कुल नहीं था। लड़के महज क्रिकेट व वालीबाल तक ही सीमित थे। बेटियों के खेलने का माहौल नहीं था। वैसे भी ठेठ ग्रामीण आंचल के गांव में बेटियां खेलों में भाग लेना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। ऐसे में हॉकी कोच राजबाला को शुरू में परेशानी आई। लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय खेल हॉकी को आगे बढ़ाने के लिए हिम्मत नहीं हारी, न ही उन्होंने कभी खुद के तबादला की सोची। गांव में ही खेल का माहौल विकसित करने में ध्यान लगा दिया। शुरूआत में बस खेल स्टेडियम था। हॉकी के मैदान के लिए तो बिल्कुल समतल मैदान चाहिए। इसके लिए पंचायत का सहयोग लेकर मैदान ठीक करवाया। गांव में बेटियों को खेलों से जोड़ने के लिए उनके स्कूल व घर तक गई। शुरूआत में छोटी बच्चियों को खेल से जोड़ा। जब बेटियां ने खेलना शुरू किया। लड़कों व लड़कियों की स्टेट में पॉजिशन आनी शुरू हुई तो गांव में खेलों का माहौल बन गया। पिछले 9 साल में हॉकी के खिलाडिय़ों ने गांव ही नहीं जिले का नाम रोशन किया हैं।

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हॉकी की बदौलत नौकरी के साथ साई में हुआ चयन :

गांव धारनिया के युवा अब खेलों में अपना खूब नाम कमाया है। हॉकी खेल की बदौलत पांच युवाओं को सेना में सीधी भर्ती हुई है। आसपास के युवा अब सेना में भर्ती के लिए गांव धारनियां में सुबह- शाम अभ्यास करते हैं। वहीं बड़ी संख्या में लड़के व लड़कियां चंडीगढ़ हॉकी अकेडमी में चयन हुआ हैं। इसके अलावा 4 खिलाड़ियों का चयन पंजाब के बादल में स्थित अकेडमी में हुआ हैं। 2 खिलाड़ी इंडियन आर्मी स्कूल बैंगलूर में पढ़ रहे हैं। 2 खिलाड़ियों का गत वर्ष खेलों इंडिया के तहत हॉकी में चयन हुआ है। 5 खिलाड़ी हिसार में स्थित साई में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

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30 से अधिक खिलाड़ी नेशनल में भागीदारी :

खिलाड़ियों का हॉकी में रुचि बढ़ी तो वे स्टेट में पदक जीत ही रहे है। वहीं उनकी नेशनल में भी भागीदारी बढ़ रही हैं। गांव धारनियां के 30 से अधिक खिलाड़ी नेशनल स्तर पर खेलों में भाग ले चुके हैं। हालांकि गांव के खिलाड़ियों का कहना है कि उनके गांव में हॉकी का टर्फन का ग्राउंड बनाया जाए। अब हॉकी सेंथेटिक मैदानों में खेली जाती है। जबकि उनके गांव में साधारण घास का मैदान। उसके बाद भी खिलाड़ी अपने कोच की बदौलत बड़े शहरों के खिलाड़ियों को टक्कर देते है।

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ग्रामीणों के सहयोग की बदौलत आया बदलाव : कोच

गांव धारनिया में ग्रामीणों का खूब सहयोग मिला। जिसके बदौलत बड़ी संख्या में बच्चों ने भाग लेना शुरू कर दिया। अब तो बेटे व बेटियों बड़ी संख्या में भाग लेने के लिए बच्चे आ रहे है। इसके चलते बड़ा बदलाव हुआ। अब तो अनेक बच्चे खेलों में उत्कृष्ट करते हुए विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की अकेडमियों व सेंटरों में चयनित हो चुके हैं।

- राजबाला, हॉकी कोच, गांव धारनिया।

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गांव में हॉकी कोच राजबाला पिछले 9 साल से कड़ी मेहनत करके खेलों का माहौल बनाया है। अब गांव में खेलों का माहौल ऐसा बना कि दूसरे गांव के खिलाड़ी भी राजबाला के पास प्रशिक्षण लेने के लिए उनके सेंटर में आते है। यह सब उनकी कड़ी मेहनत के बदौलत ही हुआ है। हमारी मांग है कि सरकार गांव में अंतरराष्ट्रीय स्तर का हॉकी का मैदान बनाए, ताकि पूरे जिले का लाभ मिल सके।

- रमेश भारती, सरपंच, धारनिया।

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