सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना टेस्ट कर इलाज के लिए भेजा जा रहा शहर

शहरों के बाद अब कोरोना संक्रमण गांवों में प्रवेश कर गया है। ग्रामीणों खंडों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बने हैं पर यहां किसी प्रकार की सुविधा ग्रामीणों को नहीं मिल रही है। अगर किसी को बुखार है तो वहां पर टेबलेट मिल जाएगी और आपका बीपी चेक कर बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 07:35 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 07:35 AM (IST)
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना टेस्ट कर इलाज के लिए भेजा जा रहा शहर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना टेस्ट कर इलाज के लिए भेजा जा रहा शहर

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

शहरों के बाद अब कोरोना संक्रमण गांवों में प्रवेश कर गया है। ग्रामीणों खंडों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बने हैं पर यहां किसी प्रकार की सुविधा ग्रामीणों को नहीं मिल रही है। अगर किसी को बुखार है तो वहां पर टेबलेट मिल जाएगी और आपका बीपी चेक कर बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया जाएगा।

जिले के कुछ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को कोविड सेंटर बनाए हैं वहां पर ऑक्सीजन बेड की सुविधा भी उपलब्ध करवाई है। लेकिन इलाज करने के लिए यहां पर पर्याप्त स्टाफ नहीं है। इन कोविड सेंटरों पर केवल मेडिकल ऑफिसर ही काम चला रहे है। ऐसे में अगर देखे तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य का ढांचा इतना मजबूत नहीं है जितना शहरों में है।

जिले में कागजों में छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं। लेकिन हकीकत में पांच है। जिले में रतिया, भट्टूकलां, जाखल, बड़ोपल व भूना है। कागजों में भूथनकलां का नाम भी शामिल है। लेकिन यहां पर अब भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है। डाक्टरों की पोस्ट भी दो है। बड़ोपल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को कोविड सेंटर नहीं बनाया गया है। वहीं भूना में केवल एक ही मेडिकल ऑफिसर है। यहां पर 6 डाक्टरों की पोस्ट खाली है। इसके अलावा जिले में 21 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। लेकिन यहां पर डाक्टरों की कमी के कारण ग्रामीणों को इलाज नहीं मिला है। एक सामुदायिक केंद्र में 18 से 20 गांव आ रहे है।

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सामुदायिक केंद्रों पर नहीं एक भी वेंटिलेटर

जिले के सामुदायिक केंद्रों का जिक्र करे तो पिछले दिनों रतिया सामुदायिक केंद्र को नागरिक अस्पताल का दर्जा मिल चुका है। यहां पर दो वेंटिलेटर भी है। लेकिन इसे चलाने के लिए विशेषज्ञ नहीं है। इसके अलावा जिले के अन्य चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी वेंटिलेटर नहीं है। ऐसे में अगर कोई गंभीर मरीज आ रहा है तो उसे तुरंत रेफर किया जा रहा है। भट्टूकलां के सामुदायिक केंद्र में स्टाफ कम होने के बावजूद यहां पर अच्छा काम हो रहा है। मरीजों को इलाज मिलने के साथ ही वैक्सीन लगाने में भी यह सेंटर अव्वल है।

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति

अस्पताल स्वीकृत पद कार्यरत खाली

भट्टूकलां 7 2 5

भूना 7 1 6

जाखल 7 4 3

बड़ोपल 7 1 6

रतिया 13 2 11

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भट्टूकलां अस्पताल में बेड की व्यवस्था

बिना ऑक्सीजन बेड भरे हुए बेड खाली बेड

18 0 18

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ऑक्सीजन बेड भरे हुए बेड खाली बेड

12 6 6

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जाखल अस्पताल में बेड की व्यवस्था

बिना ऑक्सीजन बेड भरे हुए बेड खाली बेड

0 0 0

ऑक्सीजन बेड भरे हुए बेड खाली बेड

12 6 6

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भूना अस्पताल में बेड की व्यवस्था

बिना ऑक्सीजन बेड भरे हुए बेड खाली बेड

18 0 18

ऑक्सीजन बेड भरे हुए बेड खाली बेड

12 10 2

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रतिया अस्पताल में बेड की व्यवस्था

बिना ऑक्सीजन बेड भरे हुए बेड खाली बेड

0 0 0

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ऑक्सीजन बेड भरे बेड खाली बेड

18 15 3

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आइसीयू बेड भरे हुए बेड खाली बेड

2 0 2

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वेंटिलेटर बेड भरे हुए बेड खाली बेड

2 0 2

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से जुड़े ये तथ्य भी जानें

खंड मरीज मिले एक्टिव मौत

रतिया 1132 289 48

भट्टूकलां 1470 535 23

बड़ोपल 535 173 8

भूना 1412 427 27

जाखल 965 111 30

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जिले में डाक्टरों की कमी शुरू से रही है। स्वास्थ्य विभाग ने कई बार पत्र भी भेजा है। इस समय कोरोना संक्रमण चल रहा है ऐसे में इस समय डाक्टर मिलने मुश्किल है। हमारे पास जितने भी संसाधन है उससे काम चलाया जा रहा है। अभी तक जिले में स्थिति ठीक है। ऑक्सीजन की कमी दूर हुई है।

डा. नरहरि सिंह बांगड़, उपायुक्त फतेहाबाद।

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