नंदीशाला और गोशाला में रह रहे पशुओं को नहीं लगे टैग, अंधेरा होते ही आ रहे बाहर
जिला कागजों में फ्री स्ट्रे कैटल जरूर हो गया है लेकिन हकीकत इससे परे है। फतेहाबाद शहर का जिक्र करे तो जहां भी नजर दौड़ाए बेसहारा पशु नजर अवश्य आ जाएंगे। ऐसा नहीं कि नंदीशाला प्रबंधक पशुओं को पकड़ नहीं रहा लेकिन पकड़ तो अवश्य रहा है लेकिन कुछ समय बाद वही पशु सड़कों पर बैठे नजर आ रहे है।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : जिला कागजों में फ्री स्ट्रे कैटल जरूर हो गया है, लेकिन हकीकत इससे परे है। फतेहाबाद शहर का जिक्र करे तो जहां भी नजर दौड़ाए बेसहारा पशु नजर अवश्य आ जाएंगे। ऐसा नहीं कि नंदीशाला प्रबंधक पशुओं को पकड़ नहीं रहा, लेकिन पकड़ तो अवश्य रहा है लेकिन कुछ समय बाद वही पशु सड़कों पर बैठे नजर आ रहे है। यह इसलिए हो रहा है कि नंदीशाला व गोशाला में रह रहे बेसहारा पशुओं को टैग नहीं लगा है। जिला प्रशासन ने करीब दो साल पहले आदेश दिए थे कि नंदीशाला व गोशाला में रह रहे बेसहारा पशुओं पर टैग लगाए। टैग पर गोशाला व नंदीशाला का नाम होना चाहिए। अगर निरीक्षण के दौरान सड़क पर ये पशु नजर आए तो प्रबंधक पर कार्रवाई होगी। लेकिन ये आदेश आज तक लागू नहीं हुए है।
फतेहाबाद शहर में बीघड़ रोड पर नंदीशाला बनी हुई है। नगरपरिषद की तरफ से हर महीने डेढ़ लाख रुपये की राशि भी दी जा रही है। यह राशि इसलिए दी जा रही है ताकि सड़कों पर जो बेसहारा पशु नजर आ रहे है उन्हें पकड़कर नंदीशाला में भेजा जाए, लेकिन वास्तव में ऐसा हो नहीं रहा है। नंदीशाला से पशु बाहर आने का यह भी एक कारण
नंदीशाला में रह रहे पशुओं का खर्च उठाना भी बड़ा मुश्किल है। अब जो गोशाला व नंदीशाला चल रही है वो केवल समाजसेवा के तौर पर चल रही है। सरकारी साल में एक पशु के लिए 150 रुपये जारी करता है। ऐसे में कैसे संभव हो सकता है कि एक पशु सालभर में 150 रुपये का ही चारा खतरा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब नंदीशाला या गोशाला में पशुओं की संख्या अधिक हो जाती है तो यहां पर रखना भी बड़ी चुनौती है। ऐसे में सरकार की तरफ से केवल 20 पैसे प्रतिदिन के मिल रहे है। जबकि एक पशु का प्रतिदिन का चारा 30 रुपये में पड़ता है। ऐसे में सरकार को भी चाहिए कि चारे के लिए जो राशि दी जा रही है उसे बढ़ाए। जिले में गोशालाएं : 62
इनमें गोवंश : 55,000 जिले में नंदीशाला : 9
इनमें गोवंश : 20,000 हमारी तरफ से पशुओं को पकड़ा जा रहा है
नगरपरिषद की तरफ से राशि अवश्य मिल रही है। लेकिन हमारी तरफ से पशुओं को पकड़ा जा रहा है। नंदीशाला प्रबंधक की तरफ से इन पशुओं को नहीं छोड़ा जा रहा है। बाहर से लोग इन पशुओं को शहर में छोड़कर चले जाते है जिससे इनकी संख्या बढ़ जाती है। समाजसेवी लोगों से भी अपील है कि नंदीशाला में दान देते रहे ताकि इन पशुओं के चारे में कोई दिक्कत न आए।
विनोद तायल, प्रबंधक नंदीशाला फतेहाबाद।