कोविड सेंटर में किया काम, 20 दिनों तक अपने परिवार से अलग रही अलका
संवाद सूत्र रतिया पिछले एक साल से हम कोरोना का दंश झेल रहे हैं। कई लोगों ने तो घर
संवाद सूत्र, रतिया : पिछले एक साल से हम कोरोना का दंश झेल रहे हैं। कई लोगों ने तो घर का कोई सदस्य खो दिया तो कईयों का उपचार चल रहा है। जो भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हुआ परिवार के सदस्य भी उसका साथ छोड़ गए। लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस संकट की घड़ी में भी साथ नहीं छोड़ा। उनमें डाक्टर व स्टाफ सदस्य आगे हैं। रतिया के गांव लाली निवासी अलका का नाम भी इसमें आता है। अलका निजी अस्पताल के कोविड सेंटर में कार्यरत है। पिछले साल जब कोरोना आया तो मरीजों ने यहां से इलाज लिया। ऐसे में उसकी चौबीस घंटे ड्यूटी रही। अलका 20 दिनों तक अपने घर नहीं गई और यहां पर रहकर मरीजों की सेवा की। बेशक प्राइवेट अस्पताल में सेवा दी लेकिन समाजसेवा उन्होंने कभी नहीं छोड़ी। गांव लाली में डोर-टू-डोर जाकर लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक किया। गांव के लोग सैंपल देने के लिए कतरा रहे थे तो ऐसे में अलका ने इन लोगों को समझाया। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कर चुका है सम्मानित
अलका के इस कार्य के लिए अस्पताल प्रशासन सम्मानित कर चुका है। वहीं जिला स्तर पर अनेक कार्यक्रम में भी अलका सम्मानित हो चुकी है। अलका पहले नर्सिंग के दौरान सरकारी अस्पताल में जाती थी। कोरोना शुरू हुआ उससे पहले ही निजी अस्पताल में ड्यूटी संभाली थी। लेकिन उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि उसे कोविड सेंटर की देखेख की जिम्मेदारी दी गई। कुछ नर्स स्टाफ ने इस सेंटर में ड्यूटी न लगाने की गुहार भी लगाई थी। लेकिन अलका को जब ड्यूटी दी गई तो उसने पल भर में हां भर दी।
----------------------------
अस्पताल में हर बीमारी के मरीज आते हैं। मैंने कोविड सेंटर में काम किया। कोरोना नियमों का पालन किया। यहीं कारण है कि वह आज तक पॉजिटिव नहीं हुई। यहां पर ड्यूटी खत्म करने के बाद उसने गांव वालों को भी जागृत किया। अब मेरी सभी से अपील है कि अब फिर से कोरोना की लहर आ गई है ऐसे में सुरक्षा जरूर अपनाएं।
अलका, एएनएम रतिया।