मामूली बारिश में ढह रही ढाई करोड़ की पाइपलाइन, विजिलेंस से जांच की मांग

जन स्वास्थ्य विभाग ने बड़ोपल के ग्रामीणों को पेयजल सप्लाई देने के लिए पाइपलाइन बिछाई गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 07:19 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:19 AM (IST)
मामूली बारिश में ढह रही ढाई करोड़ की पाइपलाइन, विजिलेंस से जांच की मांग
मामूली बारिश में ढह रही ढाई करोड़ की पाइपलाइन, विजिलेंस से जांच की मांग

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : जन स्वास्थ्य विभाग ने बड़ोपल के ग्रामीणों को पेयजल सप्लाई देने के लिए बिछाई गई पाइपलाइन मामूली बारिश में ढह रही है। विभाग के अधिकारी खुद के कार्य को सही बता रहे है। इतना ही नहीं वे गांव के चरवाहों पर तोड़ने का आरोप लगा रहे है। जबकि ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों व राजनेताओं ने मिलकर गड़बड़ी की है। अब इसकी जांच विजिलेंस से करने की मांग की है। इतना ही नहीं, उन्होंने भाजपा निगरानी कमेटी से भी आग्रह किया है कि वे भी इसका निरीक्षण करके सरकार को रिपोर्ट भेजे। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग के कार्यकारी अभियंता गौरव कांसल का कहना है कि पाइपलाइन टूटने की उनको जानकारी नहीं, लेकिन बूस्टिग स्टेशन के टैंक में पूरा पानी है। निर्माण में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ। हालांकि उनके जूनियर अधिकारी जेई व एसडीओ इसका आरोप गांव के चरवाहों पर लगा रहे है।

गांव बड़ोपल पंचायत के निवर्तमान सदस्य रामसिंह गोदारा व रामनिवास भादू उर्फ डा. सेठी ने बताया कि उनके गांव के जलघर को फतेहाबाद ब्रांच नहर से जोड़ने के लिए ढाई करोड़ रुपये में पाइपलाइन बिछाई थी। अब वो जगह जगह से ढह रही है। गत दिनों आई मामूली बारिश से उसमें दरार आ गई। वहीं शुक्रवार को आई बारिश से भी कुछ जगह ढह गई। उन्होंने सरकार से मांग कि है कि पूरी पाइपलाइन बिछाने में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी हुई है। इसकी जांच विजिलेंस से करवाई जाए। इसको लेकर उन्होंने सरकार को पत्र लिखा है। वहीं भाजपा की निगरानी कमेटी से भी आग्रह किया है कि वे इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजे।

निवर्तमान दोनों पंचों ने बताया कि दो साल पहले गांव धांगड़ के जलघर को फतेहाबाद ब्रांच लाइन से जोड़ने के लिए 95 लाख रुपये सीमेंट पाइपलाइन बिछाई थी। जो कि करीब 6 किलोमीटर हैं। अब गांव बड़ोपल में करीब 3 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने में ढाई करोड़ रुपये खर्च कर दिए। इसमें एक बूस्टिग स्टेशन अतिरिक्त बनाया है। जबकि रुपये ढाई गुणा अधिक खर्च किए है। उसके सीमेंट पाइपलाइन जगह जगह से टूटकर गिर रही है। प्लास्टिक पाइपलाइन भी लीकेज हो रही है। ऐसे में पूरे प्रकरण की जांच जरूरी है। उन्होंने मांग कि जेई गिरिश का उनके क्षेत्र से तबादला किया जाए। वे कई सालों से उनके गांव के जेई बन हुए है। इतना ही नहीं जेई गिरिश के पास शहर का चार्ज होने के साथ कई गांवों की जिम्मेदारी दी हुई। मांग : ढाई करोड़ रुपये कहा खर्च हुए किए जाए सार्वजनिक :

ग्रामीणों की मांग है कि जन स्वास्थ्य विभाग ने जो जलघर तक पाइपलाइन बिछाई है। इस पर ढाई करोड़ रुपये कहा खर्च हुए हैं। ये जानकारी जल्द से जल्द सार्वजनिक करनी चाहिए। ताकि सबको पता चले सके। जब टेंडर प्रक्रिया आनलाइन हो गई तो पूरा ब्योरा सार्वजनिक होगा। रनिग एस्टीमेट से लेकर एमबी यानी मेजरमेंट बिल तक सभी जानकारी आम लोगों को पता चलनी चाहिए। जिसके लिए सरकार ने पानी की तरह रुपया बहाया। उसे छूपा कर अधिकारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है। अब ग्रामीणों का कहना है कि एमबी को सार्वजनिक नहीं किया गया तो वे इसकी आरटीआई लगाएंगे। पाइपलाइन टूटने की जानकारी नहीं : गौरव कंसल

पाइपलाइन टूटने की जानकारी नहीं है। वैसे मेरी जानकारी में है कि बूस्टिग स्टेशन के लिए बनाए गए टैंक में पूरा पानी है। गांव में पेयजल की किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही। एमबी सार्वजनिक नहीं की जा सकती। निर्माण में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ।

- गौरव कंसल, कार्यकारी अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक।

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