पेयजल आपूर्ति : टैंकरों की होगी निगरानी, ट्रायल शुरू

शहर के लाखों लोगों तक पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए टैंकर से पानी की भी आपूर्ति की जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 08:05 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 08:05 PM (IST)
पेयजल आपूर्ति : टैंकरों की 
होगी निगरानी, ट्रायल शुरू
पेयजल आपूर्ति : टैंकरों की होगी निगरानी, ट्रायल शुरू

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : शहर के लाखों लोगों तक पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए टैंकरों पर निगरानी बढ़ेगी। शहर में इधर-उधर पानी ले जाने वाले टैंकरों को सूचीबद्ध किया जा रहा है। इन सभी टैंकरों का डाटा तैयार होने के बाद इनमें जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिग सिस्टम) लगाया जाएगा। इनकी निगरानी कमांड एवं कंट्रोल सेंटर से होगी। यहां पता रहेगा कि टैंकर कहां से कहां जा रहा है। यह ट्रायल 30 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद एक जनवरी से सभी टैंकरों पर निगरानी शुरू हो जाएगी। इसकी आनलाइन रिपोर्ट निगमायुक्त सहित अन्य अधिकारियों के पास होगी। रिपोर्ट के आधार पर ही टैंकरों का भुगतान किया जाएगा। इससे पारदर्शिता रहेगी और टैंकरों के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लग सकेगी।

बता दें शहर में गर्मी के दिनों में हर बार पेयजल किल्लत हो जाती है। अभी शहर की बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां रेनीवेल की सप्लाई नहीं है। आसपास लगे ट्यूबवेल भी खराब होते रहते हैं। ऐसे में नगर निगम द्वारा टैंकरों से पानी पहुंचाया जाता है। मुख्य रूप से एनआइटी के क्षेत्र में समस्या होती है। यहां कालोनियों में कई-कई दिन पानी नहीं आता। यदि आता भी है तो कुछ देर। इस कारण लोग निगम मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं। संबंधित वार्ड के पार्षद भी कई बार पेयजल किल्लत का मुद्दा निगमायुक्त के समक्ष उठा चुके हैं, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो सका है। खूब होती है धांधली

टैंकरों से पेयजल सप्लाई के नाम पर खूब धांधली होती है। कागजों में ही टैंकर चलते रहते हैं और लाखों रुपये का भुगतान हो जाता है। इसकी निगरानी आनलाइन नहीं है। संबंधित जोन के जेई, एसडीओ व कार्यकारी अभियंता तक ही निगरानी सीमित हो जाती है। इस कारण हर बार टैंकरों के बिल भुगतान को लेकर सवाल खड़े होते हैं। बता दें शहर में मांग के अनुरूप सप्लाई में 100 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) का अंतर है। टैंकरों को सूचीबद्ध करने के बाद जीपीएस सिस्टम से लैस किया जाएगा। ट्रायल के तौर पर देख रहे हैं कि यह सिस्टम कितना कारगर साबित होगा।

-एनडी वशिष्ठ, मुख्य अभियंता, एफएमडीए

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