दो दिन से छिपे थे, खुफिया तंत्र को नहीं लगी भनक

विकास दुबे और उसके साथी कार्तिकेय उर्फ प्रशांत के यहां छिपने के मामले में फरीदाबाद पुलिस का खुफिया तंत्र बुरी तरह विफल साबित हुआ। इतना चर्चित अपराधी दो दिन तक जिले में मौजूद रहा। इस दौरान वह ग्रेटर फरीदाबाद के हरी नगर से बडखल मोड़ स्थित श्रीशाशाराम होटल तक मोटरसाइकिल से गया और आया भी। मगर पुलिस को भनक नहीं लग पाई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 06:32 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 06:32 PM (IST)
दो दिन से छिपे थे, खुफिया  तंत्र को नहीं लगी भनक
दो दिन से छिपे थे, खुफिया तंत्र को नहीं लगी भनक

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : विकास दुबे और उसके साथी कार्तिकेय उर्फ प्रभात के यहां छिपने के मामले में फरीदाबाद पुलिस का खुफिया तंत्र बुरी तरह विफल साबित हुआ। इतना चर्चित अपराधी दो दिन तक जिले में मौजूद रहा। इस दौरान वह ग्रेटर फरीदाबाद के हरी नगर से बड़खल मोड़ स्थित श्रीसासाराम होटल तक मोटरसाइकिल से गया और आया भी। मगर पुलिस को भनक नहीं लग पाई। जब पुलिस को भनक लगी तब तक वह चकमा देकर ओझल हो चुका था। पुलिस को उसके एक साथी प्रभात की गिरफ्तारी से ही संतोष करना पड़ा। विकास दुबे को लेकर पुलिस लकीर पीटती रह गई।

सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे और उसका साथी कार्तिकेय उर्फ प्रभात 6 जुलाई की तड़के बस से फरीदाबाद पहुंचे थे। हरि नगर में विकास दुबे का रिश्तेदार अंकुर रहता है। 6 जुलाई को वे दिनभर अंकुर के घर पर रहे। रात को उन्होंने किसी होटल में ठहराने की मांग की। अंकुर ने अपने व पिता श्रवण के पहचान पत्रों पर दोनों के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़खल मोड़ स्थित होटल में कमरा बुक करा दिया। इसके बाद दोनों अंकुर की मोटरसाइकिल से होटल पहुंचे, रात में वहीं रुके। सात जुलाई मंगलवार को दोपहर 12 बजे उन्होंने होटल से चेकआउट किया। इसके बाद दोनों मोटरसाइकिल पर ही वापस हरी नगर अंकुर के घर पहुंचे। शाम करीब 3 बजे पुलिस को विकास के हरी नगर में मौजूदगी की सूचना मिली और पुलिस सक्रिय हुई। उससे पहले ही विकास दुबे हरी नगर से अकेला ही पैदल निकल गया। पुलिस ने हरी नगर में छापेमारी कर प्रभात, अंकुर व अंकुर के पिता श्रवण को गिरफ्तार किया। यहां छापेमारी के बाद पुलिस टीम बड़खल मोड़ स्थित उस होटल में पहुंची, जहां विकास और उसका साथी ठहरे हुए थे। फेल साबित हुआ पुलिस का खुफिया तंत्र

कानपुर से फरार होने के बाद विकास दुबे के दिल्ली-एनसीआर में सरेंडर करने की चर्चा दो दिन से चल रही थी। इसके बावजूद जिले की पुलिस पहले सक्रिय नहीं हुई। सही समय पर जानकारी ना मिल पाने के कारण पुलिस के पास गैंगस्टर को दबोचने का सुनहरा मौका खो दिया।

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