वन विभाग ने पांच साल में रोपे 10 लाख से अधिक पौधे

औद्योगिक नगरी को हरा-भरा करने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। यह बात हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। कई बार पीएम 2.5 का स्तर 500 तक पहुंच जाता है जो बेहद खतरनाक माना जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 06:58 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 06:58 PM (IST)
वन विभाग ने पांच साल में रोपे 10 लाख से अधिक पौधे
वन विभाग ने पांच साल में रोपे 10 लाख से अधिक पौधे

जासं, फरीदाबाद : औद्योगिक नगरी को हरा-भरा करने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। ये बात इसलिए कह सकते हैं, क्योंकि जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। कई बार पीएम 2.5 का स्तर 500 तक पहुंच जाता है, जो बेहद खतरनाक माना जाता है। अब बात करें पौधारोपण की, तो वन विभाग हर साल दो लाख से अधिक पौधे रोपने का दावा करता है। इनमे से बचते कितने हैं, इसका सही आंकड़ा देने में वह असमर्थ हैं। अधिकारियों के दावे को मानें, तो पौधारोपण के बाद पौधे जीवित रहने का फीसद 50 से 60 फीसद तक होता है, लेकिन हकीकत यह है कि महज 30 फीसद ही पौधे मुश्किल से बच पाते हैं। हर साल लाखों पौधे रोपने का दावा :

वन अधिकारियों की माने, तो करीब दो लाख पौधे तो खुद वन विभाग हर साल रोपता है। इसके अलावा सरकारी महकमों को, स्कूलों, पंचायतों व आरडब्ल्यूए को भी मुफ्त पौधे बांटे जाते हैं। इस हिसाब से रोपने वाले पौधों की संख्या 4 से 5 लाख तक पहुंच जाती है। वन विभाग द्वारा देशी कीकर, पापड़ी, नीम, शीशम, कनेर, बकेन, बरगद, अमरूद, शहतूत, गुलमोहर, पीपल, जामुन, अशोक आदि पौधे लगाए जाते हैं। इनमे से देशी कीकर, नीम, शीशम, कनेर, बकेन के बचे रहने का फीसद अधिक है।

वन क्षेत्र का रकबा है 6900 हेक्टेयर :

जिले में कुल वन क्षेत्र का रकबा 6900 हेक्टेयर है। इसमे 5400 हेक्टेयर पीएलपीए में शामिल है। इस वन क्षेत्र में भी तरह-तरह से अवैध निर्माण हो रहे हैं। इससे इसका रकबा हर साल घटता जा रहा है। शासन-प्रशासन की नाकामी का खामियाजा पर्यावरण को भुगतना पड़ रहा है।

वर्जन..

हर साल पौधारोपण के बाद इनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी संबंधित ठेकेदार की होती है। हमारे बीट अधिकारी अपने-अपने इलाके में पौधों की निगरानी करते हैं। कोशिश की जाती है कि छायादार, फलदार पौधे अधिक से अधिक रोपे जाएं।

- राजकुमार, जिला वन अधिकारी।

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