दूसरी लहर के बाद 35.725 मीट्रिक टन आक्सीजन उत्पादन क्षमता बढ़ी

कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट की आहट को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 07:25 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 07:25 PM (IST)
दूसरी लहर के बाद 35.725 मीट्रिक 
टन आक्सीजन उत्पादन क्षमता बढ़ी
दूसरी लहर के बाद 35.725 मीट्रिक टन आक्सीजन उत्पादन क्षमता बढ़ी

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट की आहट को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी प्रतिदिन निजी अस्पताल प्रतिनिधियों के साथ समीक्षात्मक बैठक कर रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का दावा है कि दूसरी लहर की तरह इस बार कोरोना संक्रमितों को आक्सीजन की वजह से परेशान नहीं होना पड़ेगा। जिले के नागरिक अस्पताल एवं स्वास्थ्य केंद्रों सहित 23 निजी अस्पतालों में विभिन्न क्षमताओं वाले आक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं।

जिले में इस समय 85.73 मीट्रिक टन आक्सीजन का उत्पादन प्रतिदिन किया जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की वजह से कोरोना संक्रमितों को काफी परेशान होना पड़ा था। अधिकारियों को आशंका थी कि कोरोना संक्रमण नए वैरिएंट के रूप में दोबारा लौटकर आ सकता है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग एवं निजी अस्पताल प्रबंधकों ने दूसरी लहर के कमजोर होने के साथ तैयारियां शुरू कर दी थी और नागरिक अस्पताल व 10 स्वास्थ्य केंद्रों और 13 निजी अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी किए थे कि 50 बेड से अधिक अस्पताल वालों को आक्सीजन प्लांट लगाना आवश्यक है। 55 मीट्रिक टन की थी मांग

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रतिदिन 55 मीट्रिक टन आक्सीजन की आवश्यकता प्रतिदिन होती थी। जिले में आक्सीजन प्लांट लगने के बाद पिछली बार की तुलना में अब 35.725 मीट्रिक टन अतिरिक्त आक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा जिले में 43.56 मीट्रिक लिक्विड मेडिकल आक्सीजन की भी व्यवस्था है। आक्सीजन सिलेंडर की भी है पर्याप्त व्यवस्था

स्वास्थ्य अधिकारियों को दावा है कि जिले में आक्सीजन सिलेंडर की भी पर्याप्त व्यवस्था है। जिले में 2510 डी टाइप आक्सीजन सिलेंडर हैं। एक सिलेंडर में 46 लीटर आक्सीजन होती है, जबकि 1813 बी टाइप सिलेंडर हैं। इनमें 10 लीटर आक्सीजन होती है। वहीं 227 एक टाइप सिलेंडर हैं। इसमें 20 लीटर आक्सीजन होती है। इसके अलावा जिले में 1049 आक्सीजन कंसंट्रेटर भी हैं। इसमें करीब 21.5 मीट्रिक टन आक्सीजन का मुहैया कराई जा सकती है। हमारा प्रयास है कि आक्सीजन की कमी की वजह से किसी भी संक्रमित एवं तीमारदार को परेशान नहीं होना पड़े। कोरोना की दूसरी लहर में सिर्फ दो अस्पतालों में ही आक्सीजन प्लांट थे। अब इनकी संख्या बढ़कर अब 23 हो गई है।

-डा. विनय गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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