फरीदाबाद में सामने आया ब्लैक फंगस का मामला, कोरोना मरीज की हालत नाजुक; जानिए कितना खतरनाक है यह

रवि भाटिया के अनुसार ब्लैक फंगस एक फंगल इंफेक्शन है। कानों से आंखों तक होते हुए मस्तिष्क तक ब्लैक फंगस पहुंचता है। शुरुआती लक्षणों की बात करें तो नाक के भीतरी हिस्से में और आंखों के आसपास काले निशान पड़ जाते हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 09:07 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 09:07 PM (IST)
फरीदाबाद में सामने आया ब्लैक फंगस का मामला, कोरोना मरीज की हालत नाजुक;  जानिए कितना खतरनाक है यह
कानों से मस्तिष्क तक वार करता है ब्लैक फंगस

फरीदाबाद [अनिल बेताब]। एनआइटी के 38 वर्षीय एक युवा में ब्लैक फंगस(म्यूकरमाइकोसिस) के लक्षण मिले हैं। इन लक्षणों के आधार पर मरीज का मेट्रो अस्पताल में इलाज चल रहा है। आठ मई को कोरोना के चलते मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया था। बाद में स्थिति बिगड़ती गई। मरीज अब कोमा की स्थिति में आ गया है। मेट्रो अस्पताल के डा. बनवारी लाल(एमडी मेडिसन)कहते हैं कि एनआइटी के युवा को पहले कोविड आइसीयू में भर्ती किया गया था। बाद में उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण देखे गए। जिला स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा. विनय गुप्ता कहते हैं कि निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस के एक संदिग्ध मामले की उन्हें जानकारी मिली है। उन्होंने मरीज की केस हिस्ट्री पढ़ी है।

कानों से मस्तिष्क तक वार करता है ब्लैक फंगस

सर्वोदय अस्पताल के नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ डा. रवि भाटिया के अनुसार ब्लैक फंगस एक फंगल इंफेक्शन है। कानों से आंखों तक होते हुए मस्तिष्क तक ब्लैक फंगस पहुंचता है। शुरुआती लक्षणों की बात करें, तो नाक के भीतरी हिस्से में और आंखों के आसपास काले निशान पड़ जाते हैं। कई बार मुंह के अंदर भी काले निशान पड़ जाते हैं। जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, वे ब्लैक फंगस के अधिक शिकार होते हैं। कोविड से रिकवर हो रहे मरीजों में ब्लैक फंगस की आशंका अधिक रहती है। जिन लोगों की डायलिसिस चल रही है, कैंसर से पीड़ित हैं, आर्गन ट्रांसप्लांट किया गया हो, उनमें भी रोगों से लड़ने की क्षमता घटती जाती है। ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस अन्य की अपेक्षा जल्दी चपेट में लेता है।

शुरुआती दौर में इलाज को गंभीरता से लिया जाए, तो बचाव संभव है। अगर कोई मरीज कोराेना संक्रमित है, उसकी आंखों में सूजन आ रही है, आंखे लाल हो रही हैं, इसे सामान्य संक्रमण न समझें, विशेषज्ञ चिकित्सक जैसे नाक, कान गला रोग विशेषज्ञ तथा नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना बेहतर साबित होता है। लापरवाही बरतने पर जोखिम होे सकता है। कई बार मरीज लकवाग्रस्त हो जाता है और कोमा की स्थिति बन जाती है।

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