Navratri 2020: अपनी भेंटों से देवी मां का गुणगान कर रहे गीतकार अनिल कत्याल
अनिल कत्याल ने जागरण से बातचीत में बताया कि कई वर्ष पहले की बात है झंडेवाला मंदिर दिल्ली में माता रानी की चौकी थी। मां की कृपा से एक भजन लिखा था उन्होंने भजन को एक गायक को दिया तो उन्होंने गाने से मना कर दिया था।
फरीदाबाद, अनिल बेताब। गीतकार अनिल कत्याल को श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर की ओर से धर्म-संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाने पर सम्मानित किया गया। अनिल कत्याल अब तक छह हजार से अधिक माता की भेंटें लिख चुके हैं। इन भेंटों को देश के प्रसिद्ध गायक-गायिकाओं ने अपनी आवाज दी है। वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू में प्रतिदिन आरती के दौरान अनिल कत्याल की भेंटें गाई जाती हैं।
प्रसिद्ध गायक और लोकसभा सदस्य पद्मश्री हंसराज हंस ने भी इनकी लिखी भेंटों को गाया है। आओ जी अज, मां को मनाइये, सच्चियां ज्योतां वाली मां दी सच्ची ज्योत जगाइये, को हंसराज हंस ने गाया है। इनके अलावा कविता पौंडवाल, पंकज राज, अमित मैनी, अर्जून सूरी, लता परदेसी, उमा लहरी, कंचन मदान, विनोद अग्रवाल विनोद अरोड़ा,गौरव शर्मा, राज सहगल, श्याम सचदेवा, संजीव शेरा, पंकज पिंका, तथा अमित कात्यानी जैसे अन्य नामी गायकों ने इनके अनेक भजन गाए हैं। इनकी उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए ही श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर कमेटी की ओर से अध्यक्ष जगदीश भाटिया ने अनिल कत्याल को सम्मानित किया है।
फोटो में बाएं से श्री महारानी वैष्णो देवी मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया अनिल कत्याल को माता की चुनरी ओढ़ाकर सम्मानित करते हुए।
अनिल कत्याल ने जागरण से बातचीत में बताया कि कई वर्ष पहले की बात है झंडेवाला मंदिर, दिल्ली में माता रानी की चौकी थी। मां की कृपा से एक भजन लिखा था, उन्होंने भजन को एक गायक को दिया, तो उन्होंने गाने से मना कर दिया था। इससे उस समय उनका मन निराश हुआ था। उन्होंने माता रानी के दरबार में अपनी अर्जी लगाई, बोले, ऐ मां, मैं तो भक्ति में आपकी शान में लिखता हूं, किसी से रुपया, पैसा नहीं लेता हूं, फिर मेरी अनदेखी क्यों। वहीं से जिंदगी का नया मोड़ शुरू हुआ।
इसके बाद उन्होंने और भजन लिखने शुरू किए। अन्य कई गायकों से मुलाकात की, तो देवी मां की कृपा से उनके भजनों को आवाज मिली। अनिल कत्याल इसके लिए देवी मां की कृपा का जिक्र करते हैं, तो साथ ही पत्नी मीनू के प्रोत्साहन और बिटिया अंबिका और आईशी की भी चर्चा करते हैं। अनिल कत्याल कहते हैं कि वह रोजाना एक या दो भजन जरूर लिखते हैं।
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