हर्बल पार्क ऐसा कि आप देखते रह जाएंगे, इम्युनिटी पावर बढ़ाने वाले औषधीय पौधे हैं यहां

हर्बल पार्क में खांसी-जुकाम से लेकर कैंसर के लिए कचनार सर्पगंधा दिल की बीमारी के लिए अर्जुन फेफड़ों व टीवी के लिए तुलसी शूगर के लिए इंसुलीन जोड़ों के दर्द के लिए हरि श्रृंगार पारिजात सहित अन्य बड़ी बीमारियों के इलाज से संबंधित औषधीय पौधे पनप रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 12:03 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 12:03 PM (IST)
हर्बल पार्क ऐसा कि आप देखते रह जाएंगे, इम्युनिटी पावर बढ़ाने वाले औषधीय पौधे हैं यहां
फरीदाबाद के नवादा में बनाया गया है हर्बल पार्कः फोटो- जागरण

फरीदाबाद [प्रवीन कौशिक]। कोरोना काल ने एक बार फिर देसी जड़ी-बूटियों की याद दिला दी है। हर कोई हर्बल पार्क की ओर रुख कर रहा है। ऐसे में तिगांव का निकटवर्ती गांव नवादा भी खूब चर्चा में है। यह गांव तो छोटा है लेकिन इसकी चर्चा खूब बड़ी-बड़ी हो रही हैं। चर्चा होना भी वाजिब है क्योंकि ग्राम पंचायत ने काम ही ऐसा किया हुआ है।

यहां 27 एकड़ में हर्बल पार्क विकसित किया हुआ है। 10 एकड़ में पपीता की खेती करने की तैयारी हो रही है। साथ ही एक एकड़ में तुलसी, आंवला और गिलोए सहित ऐसे पेड़-पौधे लगाए जाएंगे जिनसे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके। 20 से अधिक चंदन के पौधे भी लगा दिए गए हैं। गांव के सरपंच अब इस पार्क को औषधीय पार्क के रूप में विकसित करने में लगे हुए हैं।

आईये देखते हैं क्या है हर्बल पार्क में

गांव की आबादी से दूर राधा कृष्ण नाम से भव्य मंदिर बना हुआ है। इस परिसर के 27 एकड़ में वन है। इसके बीच हर्बल पार्क में खांसी-जुकाम से लेकर कैंसर के लिए कचनार, सर्पगंधा, दिल की बीमारी के लिए अर्जुन, फेफड़ों व टीवी के लिए तुलसी, शूगर के लिए इंसुलीन, जोड़ों के दर्द के लिए हरि श्रृंगार, पारिजात सहित अन्य बड़ी बीमारियों के इलाज से संबंधित सैंकड़ों किस्म के औषधीय पौधे पनप रहे हैं।

ग्राम पंचायत की योजना गौशाला में बड़े स्तर पर औषधालय स्थापना करने की है। जहां औषधीय पौधों को पंचगव्य (गाय का दूध, मूत्र, गोबर, दही, घी) में मिलाकर दवा तैयार की जाएगी। बड़ी संख्या में गांव ही नहीं आसपास के लोग औषधीय पौधों का दवा के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।

कदंब के वृक्ष हैं सदियों पुराने

हर्बल पार्क में सदियों पुराने कदंब के वृक्ष हैं जिन्हें गांव के सबसे अधिक बुजुर्गों की पीढ़ियां देखती आ रही हैं। इसके अलावा हबर्ल पार्क में पॉइज़न, आइवी, अंकोल, अजमोद, अजवायन, अनानास, अफ़ीम, अरंडी, अरबी सब्जी,अर्जुन वृक्ष, अश्वगंधा, इंग्लिश विलो, ईसबगोल, एकोनाइट, कढ़ी पत्ते कापेड़, करोंदा, कालमेघ, किवांच, कुसुम, कृष्ण नील, खरक, गिलोय, गुलाब,गेंदा, घृत कुमारी, चिरायता, चुकंदर, छुइमुइ पौधा, जायफल, जिन्कोबाइलोबा, जीरा, तुलसी (पौधा), दालचीनी, देवदार, धतूरा, नीबू घास(भारतीय), नीम, नीलगिरी वृक्ष, पान, पिपरमिंटपिप्पली, पीताम्बर, पुनर्नवा, पेनिसिलियम, फुलवारी, बिल्व, बीटावल्गैरिस, ब्राह्मी, हरीतकी, हिरन खुरी, हेमलाक के पौधे भी हैं।

सरपंच बेगराज कहते हैं कि इस पार्क को अभी और विकसित कर रहे हैं। यहां सैकड़ों प्रकार के औषधीय पौधे हैं। अभी कई और किस्म के पौधे लगाए जा रहे हैं। वैसे भी कोरोना काल में औषधीयुक्त पौधों की मांग बढ़ गई है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसी औषधियों का सेवन जरूरी है।

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