हरियाणा की बेटी दीक्षा मदान राजस्थान में बनेंगी जज, पहले ही प्रयास में मिली 3rd रैंक

न्यायिक सेवा में आने की प्रेरणा दीक्षा को अपनी माता नीलम से मिली। इसीलिए वह 12वीं के बाद एलएलबी की पढ़ाई करने लगीं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 08:39 PM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 08:39 PM (IST)
हरियाणा की बेटी दीक्षा मदान राजस्थान में बनेंगी जज, पहले ही प्रयास में मिली 3rd रैंक
हरियाणा की बेटी दीक्षा मदान राजस्थान में बनेंगी जज, पहले ही प्रयास में मिली 3rd रैंक

फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। सेक्टर-29 निवासी दीक्षा मदान ने राजस्थान न्यायिक सेवा की परीक्षा तीसरी रैंक के साथ उत्तीर्ण कर औद्योगिक जिला फरीदाबाद, पड़ोसी जिला पलवल और हरियाणा राज्य का नाम रोशन किया है। प्रतिभाशाली दीक्षा मदान हैफेड में सहायक के पद पर नियुक्त अशोक मदान व जिला अदालत में स्टेनो के पद पर कार्यरत नीलम मदान की सुपुत्री हैं।

पलवल के कैंप कॉलोनी-बाली नगर के मूल निवासी अशोक-नीलम मदान ने कुछ वर्षों पूर्व फरीदाबाद में ही स्थाई रूप से आशियाना बना लिया था। दीक्षा का जन्म भी पलवल का ही है, पर उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई सेक्टर-46 स्थित आयशर पब्लिक स्कूल से की और 2014 में 12वीं की परीक्षा 95 फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण की।

न्यायिक सेवा में आने की प्रेरणा मां से मिली

न्यायिक सेवा में आने की प्रेरणा दीक्षा को अपनी माता नीलम से मिली। इसीलिए उन्होने 12वीं के बाद सीधे गुरु गोबिंद सिंह आइपीए यूनिवर्सिटी में एलएलबी में प्रवेश लेकर वकालत की पढ़ाई शुरू की। पढ़ाई के दौरान ही नामी जजों के फैसलों का अध्ययन करने पर दीक्षा में जज बनने की इच्छा और प्रबल हुई। इसी साल उन्होंने राजस्थान न्यायिक सेवा की परीक्षा देने का फैसला किया और अपने पहले ही प्रयास में दीक्षा की मेहनत रंग लाई। अब प्रशिक्षण के बाद 23 वर्षीय प्रतिभाशाली दीक्षा राजस्थान की अदालत में जज की कुर्सी पर बैठ कर न्याय करती नजर आएंगी।

दैनिक जागरण से बातचीत में दीक्षा मदान ने कहा कि कहीं भी अन्याय होता दिखता है, तो उनके मन में पीड़ा अवश्य होती है और उस समय मन में यह आता है कि अगर उनके हाथ में कुछ होता, तो ऐसा कतई न करने देती। यहीं से उन्हें अपने हर क्षेत्र में कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिलती चली गई और जब उन्होंने ठान लिया, तो फिर कोई भी मुश्किल उनकी मंजिल में बाधा नहीं बन सकी।

रोजाना 8 घंटे करती थीं पढ़ाई

प्रतिदिन आठ घंटे तक पढ़ने वाली दीक्षा बताती हैं कि उनके पेपर अच्छे हुए थे और यह तो उम्मीद थी कि परीक्षा उत्तीर्ण कर लेंगी, पर इसकी आशा नहीं थी कि टॉप थ्री में उनका नाम होगा। दीक्षा अपनी सफलता का श्रेय स्वयं की कड़ी मेहनत के अलावा माता-पिता, इंजीनियर बहन पूजा को देती हैं, जिन्होंने उन्हें कदम-कदम पर सहयोग दिया।

दैनिक जागरण के अभियान "बेटी को और पढ़ाओ' को सराहा

दीक्षा मदान ने कहा कि दैनिक जागरण का अभियान बेटी को और पढ़ाओ बेहद सराहनीय है। मैं स्वयं इस बात का उदाहरण हूं। मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ने की और अपने मन मुताबिक अपना क्षेत्र चुनने की पूरी आजादी दी। दूसरा उदाहरण राजस्थान न्यायिक सेवा का परिणाम भी है, जिसमें 50 फीसद से ज्यादा लड़कियां उत्तीर्ण हुई हैं। पढ़ी-लिखी सुशिक्षित लड़कियों के लिए अपना चमकदार भविष्य बनाने की असीम संभावनाएं हैं।

दीक्षा मदान ने कहा कि मेरी उन सभी अभिभावकों से अपील की कि अपनी बेटियों को खूब पढ़ाएं और उन्हें खुले मन से आगे बढ़ने दें। लड़कियां भी माता-पिता के विश्वास को बनाए रखते हुए खूब मेहनत कर अपनी मंजिल हासिल करें।

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