हरियाणा की छात्राओं का कमाल, चढ़ावे के फूलों से बना डाला स्वास्थ्यवर्धक सिरप

फरीदाबाद स्थित मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स की छात्रा चेनिका पूजा जिंदल हरप्रीत कौर और मुस्कान ने फूलों का बिल्कुल सही इस्तेमाल किया है। सब ने मिलकर फूलों में समाहित पोषक तत्वों पर रिसर्च की है।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 12:14 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 12:14 PM (IST)
हरियाणा की छात्राओं का कमाल, चढ़ावे के फूलों से बना डाला स्वास्थ्यवर्धक सिरप
मानव रचना शैक्षणिक संस्थान की न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स की छात्राओं की फाइल फोटो।

फरीदाबाद [अभिषेक शर्मा]। मानव रचना शैक्षणिक संस्थान की न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स की छात्राओं ने आम के 'आम के आम और गुठलियों के दाम' वाली कहावत को चरितार्थ किया है। इन छात्राओं ने फूलों में छिपे पोषक तत्वों को पहचाना और स्वास्थ्यवर्धक सिरप और फ्लावर बार तैयार किए हैं। ये स्वास्थ्य वर्धक होने के साथ खाने एवं पीने में भी स्वादिष्ट लगते हैं। इन्हें बनाने में मंदिरों में पूजा के बाद फेंके जाने वाले फूलों का इस्तेमाल होता है। 

यहां पर बता दें कि भारतीय संस्कृति में फूलों का विशेष महत्व है। फूल हिंदू अपने देवी-देवताओं को अर्पित करते हैं, पूजा में इस्तेमाल होते हैं, दूल्हा-दुल्हन के गले की वरमाला भी बनती है, तो मुस्लिम संस्कृति में पीर-फकीरों की दरगाह पर फूलों की चादर बना कर चढ़ाई जाती है। सिख, ईसाई व अन्य धर्मों में भी फूलों का महत्व है। हर सुख-सुख में भी इनका इस्तेमाल होता है, तो विशेष उत्सव पर विशेष अतिथियों का स्वागत करने सहित कई शुभ कार्यों में किया जाता है। इन फूलों के उपयोग के बाद इन्हें नदी-नहरों में बहा दिया जाता है। कई बार यह नदी किनारे सड़ते भी रहते हैं। मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स की छात्रा चेनिका, पूजा जिंदल, हरप्रीत कौर और मुस्कान ने फूलों का बिल्कुल सही इस्तेमाल किया है।

चेनिका ने बताया कि वह दिल्ली स्थित झंडेवालान मंदिर से एकत्र किए और उनसे स्वास्थ्यवर्धक सिरप और फ्लावर बार तैयार करने में जुट गई। हम सब ने मिलकर फूलों में समाहित पोषक तत्वों पर रिसर्च की और एक मंदिर में रोजाना चढ़ने वाले फूलों के बारे में जानकारी जुटाई और प्रोजेक्ट तैयार किया। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को डेवलपमेंट ऑफ वैल्यू एडेड प्रोडक्ट फ्रॉम टेंपल फ्लोरल वेस्ट नाम दिया। शुरुआती दौर में गुलाब और केलैन्डुला के फूलों को अपने प्रोजेक्ट को आधार बनाया। छात्रों के अनुसार गुलाब के फूलों में रक्त को साफ करने, अस्थमा, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ, बुखार, हाजमे को दुरुस्त करने की क्षमता होती है, जबकि कैलेन्डुला के फूलों में भी महिलाओं को होने वाली बीमारियों से बचाव करने वाले पोषक तत्व समाहित होते हैं। यह प्रोजेक्ट प्राथमिक चरण में है और इसमें और कई बदलाव किए जाएंगे, ताकि उन्हें बाजार में उतारा जा सके।

प्राकृतिक तरीके से तैयार किए गए है सिरप व बार

छात्रा पूजा जिंदल के अनुसार बाजारों में मिलने वाले सिरप में सुगंध के लिए फूलों का सार (एब्सट्रैक्ट) मिलाया जाता है, लेकिन छात्राओं ने इन्हें पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से तैयार किया है और इसे तैयार करने में दो दिनों का समय लगता है। इसमें केवल चीनी, गुड़ और नींबू के रस का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि गुड़ में आयरन की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो महिलाओं के लिए सबसे अधिक लाभकारी है। इसमें केवल फूलों को अच्छी तरह धोया जाता है। इसके बाद फूलों को चुनकर गर्म पानी में तैयार किया जाता है। गुलाब और कैलेन्डुला के बाद अब वह गेंदे के फूलों के सिरप व बार तैयार करने के बारे में विचार कर रही हैं, क्योंकि पूजा में सबसे अधिक गेंदे के फूलों का इस्तेमाल होता है।

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