खोरी से उजड़े लोगों को मिला ठिकाना और खाना, राधास्वामी सत्संग ब्यास के सेवादार पेश कर रहे सेवा की मिसाल

सत्संग घर के सचिव सुजीत कुमार के अनुसार लगभग सभी काे कोरोना से बचाव का टीका लगवाया जा चुका है। यहां ठहरे लोगों के सामान्य उपचार के लिए डाक्टर की भी व्यवस्था रहती है। मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं को सेनेटरी पैड दिए जाते हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 06:57 PM (IST) Updated:Sun, 29 Aug 2021 06:57 PM (IST)
खोरी से उजड़े लोगों को मिला ठिकाना और खाना, राधास्वामी सत्संग ब्यास के सेवादार पेश कर रहे सेवा की मिसाल
भोजन भंडार गृह में महिला सेवादारों द्वारा रोटी बनाने का दृश्य।

फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। मानवता की मिसाल देखनी है तो राधास्वामी सत्संग ब्यास (आरएसएसबी) से संबद्ध सूरजकुंड सत्संग घर पर चले आइए, जहां खोरी में अवैध निर्माण ढहाने जाने के बाद बेघर हुए सैकड़ों लोगों का अस्थाई ठिकाना बना है। सत्संग घर के सेवादारों द्वारा प्रतिदिन लोगों की सेवा-सुश्रूषा पिछले एक महीने से अधिक समय से की जा रही है। प्रतिदिन दो समय का भोजन के अलावा सुबह व शाम को चाय-नाश्ता के अलावा बच्चों के लिए दूध का प्रबंध रहता है, साथ में जरूरत पड़ने पर डाॅक्टरी उपचार भी।

रहने के साथ खाने का भी है इंतजाम

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अरावली वन क्षेत्र में स्थित खोरी बस्ती में अवैध निर्माण ढहाने की कार्रवाई 14 जुलाई को शुरू हुई थी। ऐसे में आवाज उठी थी कि जिनके मकान टूट रहे हैं, वो कोरोना संक्रमण के इस दौर में कहां जाएं। तब जिला प्रशासन को एक बार फिर राधास्वामी सत्संग ब्यास की याद आई। पिछले वर्ष जब तीन महीने का लाकडाउन था, तब कामगारों को इसी सत्संग घर में ठहराया गया था और उनके भोजन की भी व्यवस्था की गई थी। शुरुआत में खोरी के लोगों के लिए 16 जुलाई से लंगर की सेवा शुरू की गई थी और फिर 28 जुलाई से यहां उनके रुकने व ठहरने का भी प्रबंध किया गया।

सेवाभाव की अद्भुत मिसाल

ठीक एक महीने बाद 29 अगस्त को सत्संग घर में बेघर हुए लोगों के ठहरने और खान-पान की सुविधा की पड़ताल की गई, तो सेवाभाव की अद्भुत मिसाल नजर आई। रविवार दोपहर का 1.30 बजा था और सत्संग घर के लंगर शेड में उस समय साफ-सुथरे माहौल में गुरुघर के सेवादार खोरी के करीब 500 लोगों को भोजन परोस रहे थे। सेवादार बीच-बीच में राधास्वामी जी के संबोधन के साथ यह भी हिदायत दे रहे थे कि जूठा नहीं छोड़ना है, जितना खा सकते हैं, उतना ही लें। अंदर भोजन भंडार गृह में बीबियां (महिला सेवादार) बड़े चूल्हे पर रोटियां तैयार कर रही थीं। भोजन के बाद बर्तनों को धोने की जिम्मेदारी भी सेवादारों ने संभाली हुई थी। यही सिलसिला रात्रि भोजन में भी नजर आता है।

75 परिवार इस समय ठहरे हुए हैं

खोरी बस्ती में हजारों मकान तोड़े गए हैं, इनमें बड़ी संख्या में सक्षम लोगों ने अब किराए पर मकान तलाश लिए हैं, पर जिनके पास किराया भरने के पैसे नहीं हैं, उनमें से 75 परिवारों ने अब सत्संग घर में शरण ली हुई है। यहां अस्थाई रूप से रुके बिहार के मुंगेर जिले के हैदर अली व नूरजहां, मधुबनी की मंजू देवी, लालेश्वर, मसूरी के एरिक ने बताया कि उन्हें यहां ठहरने, खान-पान से लेकर नहाने-कपड़े धोने तक की कोई दिक्कत नहीं है। अच्छी बात यह भी देखने को मिली कि सभी के चेहरों पर मास्क नजर आए। दिन में दिहाड़ी कमाने के लिए लोग काम पर चले जाते हैं, तो उनके बच्चों की देखभाल की बखूबी जिम्मेदारी भी सेवादार संभालते हैं। मुख्य प्रवेश द्वार से आवागमन करने वाले प्रत्येक शख्स का रिकार्ड रखा जाता है।

 

सभी का हुआ है वैक्सीनेशन

सत्संग घर के सचिव सुजीत कुमार के अनुसार लगभग सभी काे कोरोना से बचाव का टीका लगवाया जा चुका है। यहां ठहरे लोगों के सामान्य उपचार के लिए डाक्टर की भी व्यवस्था रहती है। मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं को सेनेटरी पैड दिए जाते हैं। इतना सब कुछ सत्संग घर अपने खर्चे पर कर रहा है, बिना एक पैसे की प्रशासन से मदद लिए। सेवा करने वाले सेवादारों ने कहा कि उन्हें सेवा करने में असीम सुख की अनुभुति होती है, सेवा अनमोल है और यह सब अपने बाबा जी के हुकुम से कर रहे हैं।

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