Faridabad: स्वस्थ समाज, जेबखर्ची के पैसे से छात्रों ने खरीदी छह हजार सेनेटरी नैपकिन
फरीदाबाद दिल्ली गुरुग्राम सहित अन्य कई जिलों के छात्रों की। सभी छात्र देशभर के विभिन्न कालेज में पढ़ाई कर रहे हैं। इन छात्रों ने कोनोटेशन यूथ आर्गेनाइजेशन बनाया है। छात्रों ने अपनी जेबखर्ची से पैसे बचाकर 6 हजार सेनेटरी नैपकिन खरीद ली हैं।
प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। सामाजिक दायित्व निभाने की कोई उम्र नहीं होती, लेकिन यह दायित्व अगर छात्र-छात्राएं अपनी जेबखर्ची से बचाए हुए पैसों से निभाएं तो बात कुछ अलग हो जाती है। इतना ही नहीं छात्राें की यह पहल दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका तक पहुंच जाए तो सोने पर सुहागा हो जाता है।
हम बात कर रहे हैं फरीदाबाद, दिल्ली, गुरुग्राम सहित अन्य कई जिलों के छात्रों की। सभी छात्र देशभर के विभिन्न कालेज में पढ़ाई कर रहे हैं। इन छात्रों ने कोनोटेशन यूथ आर्गेनाइजेशन बनाया है। छात्रों ने अपनी जेबखर्ची से पैसे बचाकर 6 हजार सेनेटरी नैपकिन खरीद ली हैं। अब इन्हें फरीदाबाद के बल्लभगढ़ व दिल्ली में बांटना शुरू कर दिया है।
कुछ नया करने की जिद ने बढ़ाए कदम
फरीदाबाद के सेक्टर-9 निवासी जतिन गोयल ने बताया कि उनके साथ दिल्ली वसंतकुंज निवासी सुअली सुराल, साकेत से अर्शिया, सेक्टर-16 से गितांक, ग्रेटर फरीदाबाद से कौशल सिंह, सेक्टर-15ए से काव्या बजाज सहित पटियाला, बेंगलुरू व लखनऊ से भी कई छात्र जुड़े हुए हैं। कोई 12वीं कक्षा का छात्र है तो किसी ने 12वीं कक्षा पास कर ली है। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने महसूस किया कि निर्धन वर्ग की महिलाओं के लिए सबसे अहम सेनेटरी नैपकिन होनी चाहिए, क्याेंकि ऐसे महिलाएं आर्थिक तंगी की वजह से नैपकिन नहीं खरीदती हैं, जिसकी वजह से तमाम तरह की बीमारियों का शिकार हो जाती हैं।
शुरू किया नेक कार्य, तो बढ़ता चला गया कारवां
जतिन, सुअली और गीतांक के अनुसार जब उन्होंने यह आर्गेनाइजेशन शुरू किया तो कुछ ही छात्र थे, लेकिन धीरे-धीरे और भी जुड़ते चले गए। किसी ने अपनी जेबखर्ची से 100 रुपये दिए तो किसी ने हजार। कई छात्र ऐसे थे जिन्होंने इस बारे में स्वजन को बताए बगैर चुपचाप जेबखर्ची के पैसे समाजसेवा के लिए देते रहे। इंटरनेट मीडिया पर जब अमेरिका निवासी एक शख्स ने उनकी यह पहल देखी तो 100 डालर उनके अकाउंट में भिजवा दिए। छात्रों ने बताया कि वह अपनी इस पहल को और बड़े स्तर पर ले जाएंगे। कोशिश होगी कि धीरे-धीरे सभी शहरों में छात्रों का ही संगठन तैयार कर दें तो जरूरतमंद महिलाओं को नैपकिन उपलब्ध करा सकें। छात्रों की इस पहल को देख अब उनके स्वजन को भी इन पर गर्व महसूस हो रहा है।
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