Faridabad: बेसहारा बच्ची को मिला इटली दंपती का साथ, दिलाई अपने देश की नागरिकता

करीब चार साल की उम्र में पिता की मौत के बाद मां का मानसिक रूप से दिव्यांग हो जाना ऐसे में इतनी छोटी बच्ची के भविष्य का क्या होगा यह सोचकर भी डर लगता है। कुछ ऐसा हुआ बल्लभगढ़ बस अड्डे के पास एक चार वर्षीय बच्ची वैष्णवी के साथ।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Tue, 08 Dec 2020 03:08 PM (IST) Updated:Tue, 08 Dec 2020 03:08 PM (IST)
Faridabad: बेसहारा बच्ची को मिला इटली दंपती का साथ, दिलाई अपने देश की नागरिकता
इटली के दंपती ने बच्ची को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद गोद ले लिया है।

प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। करीब चार साल की उम्र में पिता की मौत के बाद मां का मानसिक रूप से दिव्यांग हो जाना, ऐसे में इतनी छोटी बच्ची के भविष्य का क्या होगा, यह सोचकर भी डर लगता है। कुछ ऐसा ही हुआ बल्लभगढ़ बस अड्डे के पास एक चार वर्षीय बच्ची वैष्णवी के साथ। हालात ऐसे हो गए कि बच्ची की मां ही इसे पत्थरों से पीटने लगी। कुछ दिन बाद मां की भी मृत्यू हो गई, लेकिन किस्मत देखो आज जिस बच्ची का भविष्य के बारे में लोग तरह-तरह की बातें करते थे, आज वही बच्ची इटली की नागरिक बन गई है। बेचारी बच्ची को तो खैर क्या पता होगा, लेकिन भगवान ने उसके लिए कुछ अलग ही सोचा हुआ था। इटली के दंपती ने बच्ची को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद गोद ले लिया है।

बालग्राम में रही एक साल

29 अप्रैल 2019 को बल्लभगढ़ बस अड्डे के पास एक महिला चार साल की बच्ची को पत्थरों से पीट रही थी। बेचारी बच्ची बिलख रही थी। आसपास के लोगों से यह नहीं देखा गया। जैसे-तैसे बच्ची को महिला के चंगुल से छुड़ाया और पुलिस को सूचित किया। बाद में पता लगा कि यह महिला बच्ची की मां है, जो पति की मौत के बाद मानसिक रूप से दिव्यांग हो चुकी है। पुलिस ने बच्ची को चाइल्ड लाइन की मदद से चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष पेश किया। वहां से बच्ची को एसओएस बालग्राम भेज दिया गया। वहां बच्ची करीब एक साल रही। इसके बाद बच्ची मिरेकल सोसायटी के पास आ गई। यहां बच्ची की जानकारी सेंट्रलाइज्ड पोर्टल पर डाली गई। यहां जानकारी देख इटली के एक दंपती ने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई और आवेदन किया।

भाषा समझने के लिए रखा ट्रांसलेटर

इटली के दंपती बच्ची को गोद लेने के लिए तैयार तो हो गए, लेकिन बच्ची की भाषा कैसे समझी जाए, यह मुश्किल था। जिला बाल संरक्षण इकाई की अधिकारी गरिमा सिंह, चेयरमैन श्रीपाल करहाना, जिला कार्यक्रम अधिकारी अनीता, मिरेकल चैरिटेबल सोसायटी की परियोजना निदेशक सिमरन और सलाहकार अपर्णा ने आपस में चर्चा की। इसके बाद दंपती ने सुझाव दिया कि वह बच्ची की भाषा समझने के लिए ट्रांसलेटर रखेंगे। इसके बाद बच्ची को 10 नवंबर को दंपती को सौंप दिया गया। दंपती ने अब फोन कर अधिकारियों को सूचित किया है कि बच्ची को इटली की नागरिकता भी मिल गई है। यह सुनकर सभी अधिकारियों को खुशी हुई। जिला बाल संरक्षण इकाई अधिकारी गरिमा सिंह ने बताया कि अब बच्ची का भविष्य संवर जाएगा।

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