Faridabad Nagar Nigam: 200 करोड़ रुपये के बिना काम भुगतान घोटाले में खूब चला फर्जी हस्ताक्षर का खेल

मई 2020 को फरीदाबाद नगर निगम के चार पार्षदों ने निगमायुक्त को शिकायत दी थी कि निगम के लेखा विभाग ने एक ठेकेदार की विभिन्न फर्मों को बिना काम कराए ही भुगतान कर दिया है। इस पर निगमायुक्त ने तत्कालीन मुख्य अभियंता ठाकुर लाल शर्मा से मामले की जांच कराई।

By Jp YadavEdited By: Publish:Sat, 03 Apr 2021 02:20 PM (IST) Updated:Sat, 03 Apr 2021 02:20 PM (IST)
Faridabad Nagar Nigam: 200 करोड़ रुपये के बिना काम भुगतान घोटाले में खूब चला फर्जी हस्ताक्षर का खेल
फरीदाबाद नगर निगम मुख्यालय की फाइल फोटो।

नई दिल्ली/फरीदाबाद [विजेंद्र बंसल]। फरीदाबाद नगर निगम में बिना काम कराए 200 करोड़ रुपये का भुगतान घोटाला परत दर परत खुल रहा है। घोटाले में तकनीकी विभाग के जिन अधिकारियों के नाम आ रहे हैं, उन्होंने ऐसे तथ्य भी पेश कर दिए हैं कि ठेकेदार और लेखा विभाग के अधिकारियों ने फर्जी हस्ताक्षर कर यह पूरा खेल खेला है। इसके अलावा घोटाले की मुख्य अभियंता से कराई प्राथमिक जांच भी संदेह के घेरे में आ गई है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन राय ने निगमायुक्त द्वारा भेजी गई रिपोर्ट भी चार सवाल पूछकर लौटा दी है। निगमायुक्त ने अपनी रिपोर्ट मुख्य अभियंता ठाकुर लाल शर्मा की जांच के आधार पर बनाई थी। घोटाले की जांच के लिए शिकायतकर्ता पार्षद से लेकर चंडीगढ़ तक अब कुछ ऐसे तथ्य भी सामने आए हैं कि मुख्य अभियंता ठाकुर लाल शर्मा ने भी बड़े घोटालेबाजों को बचाने के लिए कुछ मामले छुपाए हैं।

बता दें, 28 मई 2020 को फरीदाबाद नगर निगम के चार पार्षदों ने निगमायुक्त को शिकायत दी थी कि निगम के लेखा विभाग ने एक ठेकेदार की विभिन्न फर्मों को बिना काम कराए ही भुगतान कर दिया है। इसके आधार पर निगमायुक्त ने तत्कालीन मुख्य अभियंता ठाकुर लाल शर्मा से मामले की जांच कराई। मुख्य अभियंता की जांच के आधार पर निगमायुक्त ने लेखा और तकनीकी विभाग में कार्यरत चार कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया तथा एक नियमित कर्मचारी को भी निलंबित कर दिया। इसके अतिरिक्त मामले में संलिप्त होने के कारण मुख्य अभियंता डीआर भास्कर, रमन शर्मा व मुख्य लेखाधिकारी विशाल कौशिक के ऊपर भी एफआइआर दर्ज कराने की अनुमति सरकार से मांग ली।

 अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निम्न बिंदुओं पर निगमायुक्त ने मांगा जबाव

 जांच कमेटी के सदस्यों ने जिन तथ्यों के आधार पर मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारियों को आरोपी माना है,उनका ब्योरा।   इस मामले की जांच स्टेट विजिलेंस सहित कितनी सरकारी एजेंसियां कर रही हैं?  नगर निगम में काम के बदले भुगतान करने की क्या प्रक्रिया है और जब ये भुगतान हुए तब कौन अधिकारी व कर्मचारी तैनात थे।   विभिन्न जांच रिपोर्ट के आधार पर निगमायुक्त के दृष्टिकोण में यह पूरा मामला क्या है?

 तबादले के बाद सौंपी अधूरी रिपोर्ट

जांच अधिकारी मुख्य अभियंता ठाकुर लाल का 17 नवंबर 2020 को तबादला हो गया था मगर उन्होंने अपनी रिपोर्ट इसी तारीख को निगमायुक्त को सौंपी। इस जांच में ठाकुर लाल ने अपने समकक्ष मुख्य अभियंता डीआर भास्कर, रमन शर्मा को जांच में शामिल ही नहीं किया। रमन शर्मा को जांच में शामिल होने के लिए लिखित नोटिस भेजकर 19 नवंबर को बुलाया गया मगर इससे पहले ही 17 नवंबर को ठाकुर लाल ने अपनी रिपोर्ट दे दी। रमन शर्मा ने इसकी बाबत तत्कालीन निगमायुक्त को लिखित तौर पर चिट्ठी भी दी हुई है। इसके अलावा शिकायतकर्ता पार्षद दीपक चौधरी को इस घोटाले में 36 करोड़ के जो दस्तावेज ठाकुर लाल ने दिए थे, उनका जांच में जिक्र ही नहीं किया।

 फर्जी हस्ताक्षर खोलेंगे असल घोटालेबाजों का राज

अभी तक जो जांच रिपोर्ट सामने आ रही हैं उनमें यह कहा जा रहा है कि जेई, एसडीओ,एक्सईएन सहित अधीक्षक अभियंता और मुख्य अभियंता के हस्ताक्षर भुगतान से पहले होते हैं मगर अब यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि घोटालेबाजों ने ईमानदार अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर भी बिलों पर किए हैं। एक एसडीओ और एक मुख्य अभियंता जो तब बल्लभगढ़ जोन में एक्सईएन तैनात था, ने यह भी कहा है कि घोटालेबाजों ने उनके फर्जी हस्ताक्षर किए क्योंकि वे उनके खेल में शामिल नहीं होते थे। 

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