फरीदाबाद में कोरोना का कहर : 10 दिन में एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत

फ्रंटियर कालोनी के प्रधान अजय अरोड़ा ने बताया कि कालोनी निवासी 55 वर्षीय महीपाल कोरोना संक्रमित थे। इनकी 20 अप्रैल को मृत्यू हो गई। इसके बाद इनकी पत्नी भारती भी कोरोना संक्रमित हो गई। इनकी भी 23 अप्रैल को मौत हो गई।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 06:39 PM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 06:39 PM (IST)
फरीदाबाद में कोरोना का कहर : 10 दिन में एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत
तरुण की मौत हो गई तब भी बिना पूरा भुगतान किए उसके शव को अस्पताल ने परिजनों को नहीं सौंपा।

फरीदाबाद [प्रवीन कौशिक]। औद्योगिक नगरी में कोरोना संक्रमण से मौत तो काफी हुई हैं, लेकिन इससे एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत का पहला मामला सामने आया है। इसमें दंपती और उसके दो जवान बेटे शामिल हैं। अब केवल घर में दो बहुएं ही रह गई हैं। परिवार में एक बेटे की शादी तो करीब 25 दिन पहले ही हुई थी। शुक्रवार को एक बेटे की मौत को लेकर सोहना रोड स्थित अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए हंगामा किया। काॅलोनी के लोग अस्पताल प्रबंधन पर मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे थे। हालांकि, इसकी शिकायत पुलिस को नहीं दी गई थी।

काॅलोनी वाले स्तब्ध

फ्रंटियर काॅलोनी के प्रधान अजय अरोड़ा ने बताया कि काॅलोनी निवासी 55 वर्षीय महीपाल कोरोना संक्रमित थे। इनकी 20 अप्रैल को मृत्यू हो गई। इसके बाद इनकी पत्नी भारती भी कोरोना संक्रमित हो गई। इनकी भी 23 अप्रैल को मौत हो गई। उस दौरान 35 वर्षीय बड़े बेटे विपुल और 28 वर्षीय छोटे बेटे रोहित उर्फ तरुण भी कोरोना संक्रमित थे। विपुल ने 28 अप्रैल को एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। जबकि शुक्रवार को बल्लभगढ़-सोहना रोड स्थित एक निजी अस्पताल में तरुण ने दम तोड़ दिया। विपुल को एक बेटा व बेटी है, जबकि तरुण की शादी करीब 25 दिन पहले हुई थी।

अस्पताल प्रबंधन पर आरोप

प्रधान के अनुसार तरुण का अस्पताल में करीब पांच लाख का बिल बना दिया। वह धीरे-धीरे पैसे जमा कराते रहे, लेकिन प्रबंधन लगातार और पैसे जमा कराने पर जोर देता रहा। शुक्रवार को तरुण ने उन्हें फोन कर बताया कि भैया मुझे बचा लो, ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो रहा है। प्रधान के अनुसार उन्होंने तरुण को आश्वासन दिया कि सिलेंडर का इंतजाम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब मरीज इतना गंभीर है तो अस्पताल प्रबंधन को सिलेंडर खत्म होने की सूचना मरीज को नहीं देनी चाहिए थी। इस बारे में अस्पताल प्रबंधन से काफी बहस हुई, लेकिन डाॅक्टर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि उनके पास ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं है। इतना ही नहीं जब तरुण की मौत हो गई तब भी बिना पूरा भुगतान किए उसका शव नहीं सौंपा। प्रधान ने बताया कि उन्होंने तरुण से बातचीत का आडियाे जिला उपायुक्त, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को भेजा। लेकिन, कहीं से भी मदद नहीं मिली। उनकी मांग है कि ऐसे अस्पताल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

chat bot
आपका साथी