भय के साथ सफर पर निकलती है आधी आबादी

स्वतंत्रता के 74 साल बाद भी हम आधी आबादी को बिना भय के कहीं भी आने-जाने की आजादी नहीं दे पाए हैं। प्रशासन महिला सुरक्षा को लेकर कितने भी दावे करे मगर सच्चाई यही है कि बस ट्रेनों में आज भी महिलाएं अज्ञात डर के साए में यात्रा करती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Dec 2019 06:51 PM (IST) Updated:Mon, 16 Dec 2019 06:51 PM (IST)
भय के साथ सफर पर निकलती है आधी आबादी
भय के साथ सफर पर निकलती है आधी आबादी

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : स्वतंत्रता के 74 साल बाद भी हम आधी आबादी को बिना भय के कहीं भी आने-जाने की आजादी नहीं दे पाए हैं। प्रशासन महिला सुरक्षा को लेकर कितने भी दावे करे, मगर सच्चाई यही है कि बस, ट्रेनों में आज भी महिलाएं अज्ञात डर के साए में यात्रा करती हैं। शहर में ऐसी महिला या युवतियों की बड़ी संख्या है जिन्हें कामकाज या पढ़ाई के लिए नियमित बस, ट्रेन में यात्रा करनी पड़ती है। आधी आबादी को यात्रा के दौरान किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, यह जानने के लिए दैनिक जागरण टीम ने शहर के विभिन्न रेलवे स्टेशन और बस अड्डों का दौरा किया। इस दौरान देखा कि वे स्थान महिलाओं के लिए कितने सुरक्षित हैं। वहां आ-जा रही महिलाओं से बातचीत कर उन्हें आ रही दिक्कतों को जाना। निचोड़ यही है कि घूरती नजरें, फब्तियां कसा जाना व जाने-अनजाने शरीर छूने जैसी घटनाओं से महिलाओं को आए दिन दो-चार होना पड़ता है। ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन

ओल्ड फरीदाबाद शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन है। स्टेशन में प्रवेश के दो मुख्य रास्ते हैं। एक एनआइटी की तरफ से है, वहीं दूसरा राष्ट्रीय राजमार्ग से। एनआइटी की तरफ वाला रास्ता अपेक्षाकृत सुरक्षित है। देर रात तक यहां मार्केट गुलजार रही है। इस रास्ते पर रात में उजाला भी रहता है, पुलिसकर्मी भी तैनात मिलते हैं। समस्या राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ वाले रास्ते पर है। इस रास्ते पर स्ट्रीट लाइट लगीं हैं, मगर आधी खराब हैं। पूरे रास्ते पर ट्रक व टेंपो खड़े रहते हैं। दोनों तरफ जगह सुनसान है। यहां रात में पुलिसकर्मी भी नदारद रहते हैं। इससे शाम को ही नहीं दिन में भी यहां से गुजरने में महिलाओं को डर लगता है। एनआइटी रेलवे स्टेशन

एनआइटी रेलवे स्टेशन में राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ वाले रास्ते पर भी बड़ी संख्या में ऑटो, ट्रक व टेंपो खड़े होते हैं। रात में यह रास्ता अंधेरा में डूबा रहता है। रास्ते के दोनों तरफ झुग्गियां हैं। यह पूरा रास्ता भी बुरी तरह टूटा हुआ है। इस तरह महिलाओं के लिए इस रास्ते से आना-जाना बेहद डराने वाला होता है। यहां पुलिस की पीसीआर कभी-कभी दिखती है। बल्लभगढ़ बस अड्डा व रेलवे स्टेशन का रास्ता

बल्लभगढ़ में जिले का सबसे बड़ा बस अड्डा है। इसके साथ ही लगता रेलवे स्टेशन है। दोनों का रास्ता एक ही है। यहां मेट्रो स्टेशन के पास वाले रास्ते पर दिन में लोग आते-जाते हैं, इसलिए ज्यादा समस्या नहीं है। मगर दिन छिपते ही इस रास्ते पर अंधेरा छा जाता है। इस रास्ते के एक तरफ झुग्गियां और दूसरी तरफ खुला मैदान है। इसके चलते रात में यह रास्ता महिलाओं को डराता है।

क्या कहती हैं महिलाएं

ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन के राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ वाले रास्ते पर रात में सुरक्षा की जरूरत है। कई बार यहां से गुजरते हुए डर लगता है। यहां पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाए।

-शांति मुझे अक्सर ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन से होकर गुजरना पड़ता है। यहां रास्ते पर रोशनी का प्रबंध होना चाहिए, दोनों तरफ खड़े ट्रक, टेंपो हटाए जाने की जरूरत है।

-सारिका मुझे एनआइटी बस अड्डे से आना-जाना पड़ता है। यहां रास्ता तो ठीक है, मगर बस अड्डे में शाम होते ही अंधेरा हो जाता है। बस अड्डे के अंदर सुरक्षा इंतजाम किए जाने की जरूरत है।

-पूजा एनआइटी रेलवे स्टेशन के रास्ते पर दोनों तरफ बड़ी संख्या में खड़े रहने वाले ट्रक और टेंपो डराते हैं। अंधेरा होने पर यहां से अकेले गुजरना बेहद डरावना अनुभव होता है।

-राधा एनआइटी रेलवे स्टेशन के रास्ते पर रात में रोशनी का प्रबंध किया जाना चाहिए। इसके अलावा यहां पुलिस की गश्त भी नियमित किए जाने की जरूरत है।

-विमल सिगला सभी लोकल ट्रेनों में महिलाओं के लिए लोकल कोच हैं, लेकिन उनमें अक्सर पुरुष यात्री चढ़ जाते हैं। पुलिस एक-दो दिन अभियान चलाकर चुप बैठ जाती है। महिला कोचों में नियमित जांच होनी चाहिए।

-प्रतीक्षा कई बार बस या ट्रेन में भीड़ के दौरान असामाजिक तत्व महिलाओं को गलत तरीके से छूते हैं। महिलाओं को चाहिए कि इसका तुरंत विरोध करें। ऐसा करने वाले को सबक सिखाएं।

-आशा शर्मा बस, ट्रेनों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़, घूरना व फब्तियां कसना आम बात है। इससे बचने के लिए महिलाओं को खुद ही बोल्ड होना होगा। किसी भी तरह की छेड़छाड़ का तुरंत मुंहतोड़ जवाब दें।

-खुशबू बल्लभगढ़ बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन की तरफ जाने वाले रास्ते पर रात में अंधेरा रहता है। यहां से गुजरते हुए कई बार मुझे डर लगा। इस रास्ते पर रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए।

-वंदना बल्लभगढ़ बस अड्डे के रास्ते पर आते-जाते डर लगता है। यहां रात में आस-पास झाड़ियों में असामाजिक तत्व दिखाई देते हैं। पुलिस को यहां नियमित गश्त करनी चाहिए।

-सुनीता

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