दाता बंदी छोड़ ने बल्लभगढ़ में की थी मेहर की वर्षा

दाता बंदी छोड़ यानी मीरी-पीरी के मालिक सिख पंथ के छठे गुरु हरगोबिंद का संबंध बल्लभगढ़ से भी रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 07:49 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 07:49 PM (IST)
दाता बंदी छोड़ ने बल्लभगढ़ में की थी मेहर की वर्षा
दाता बंदी छोड़ ने बल्लभगढ़ में की थी मेहर की वर्षा

सुशील भाटिया, फरीदाबाद : दाता बंदी छोड़ यानी मीरी-पीरी के मालिक सिख पंथ के छठे गुरु हरगोबिद राय का संबंध ऐतिहासिक नगरी बल्लभगढ़ से भी रहा है। गुरु जी कृपा से जब 400 वर्ष पूर्व मुगल सम्राट जहांगीर की कैद से जिन 52 राजाओं ने मुक्ति पाई थी, तब उनमें एक राजा बलराम सिंह, जो राजा बल्लू सिंह के नाम से विख्यात हुए। राजा बल्लू के आग्रह पर ही गुरु हरगोबिद राय बल्लभगढ़ उपमंडल के गांव दयालपुर में आए और यहां तीर मार कर गांव में मीठा पानी उपलब्ध कराया था, जहां आज ऐतिहासिक गुरुद्वारा संतपुरा पातशाही छेंवी प्राचीन सरोवर नानकसर है।

गुरु हरगोबिद दाता बंदी छोड़ के नाम से इसलिए प्रसिद्ध हुए कि उन्हें मुगल सम्राट जहांगीर ने ग्वालियर के किले में बंद किया था। इस किले में और भी कई रियासतों के शासक पहले से ही कारावास भोग रहे थे। महान सूफी फकीर मियां मीर गुरु घर के श्रद्धालु थे। उन्होंने जहांगीर को गुरुजी की महानता से परिचित करवाया और छोड़ने का आग्रह किया। बाबा बु्ढ्डा व भाई गुरदास ने भी गुरु साहिब को बंदी बनाने का विरोध किया। इस पर जहांगीर ने गुरु हरगोबिद को रिहा करने के आदेश दिए, पर गुरुजी ने कहा कि वो तभी रिहा होना पसंद करेंगे जब अन्य राजाओं को भी मुक्त किया जाए। इस पर जहांगीर ने कहा कि जो आपके कुर्ते का कोना पकड़ सकेगा, उसे आजाद कर दिया जाएगा। इस पर गुरुजी ने अपने बुद्धि कौशल का परिचय देते हुए 52 कली का कुर्ता बनवाया और इस तरह किले में बंद सभी राजा 52 कली को पकड़ कर रिहा हो गए। मुक्त होने वाले राजाओं में बल्लभगढ़ के राजा बल्लू भी शामिल थे। इस तरह गुरु जी दाता बंदी छोड़ के रूप में विख्यात हुए।

रिहा होने के बाद राजा बल्लू ने गुरु जी को बल्लभगढ़ रियासत में आने का निमंत्रण दिया। गुरु हरगोबिद तब एक गांव पहुंचे, जहां ग्रामीणों ने गांव में मीठा पानी उपलब्ध कराने की विनती की। तब गुरुजी ने अपने धनुष से एक बाण छोड़ा। बाण जहां गिरा, वहीं धरा से पानी की धारा फूट पड़ी। यह मीठा पानी था और आज इसी स्थान पर बड़ा सरोवर है, जिसे नानक सर सरोवर के नाम से जाना जाता है। यहीं पर एक गुरुद्वारा भी है। यह भी कहा जाता है कि गुरु के दयाल होने से ही इस गांव का नाम दयालपुर पड़ा। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के संयोजक चमकौर सिंह के अनुसार गुरुद्वारा में कार सेवा करने के लिए दूर-दूर से हर रविवार को संगत आती हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी 15 मई-2015 को गांव दयालपुर आए थे।

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