संस्थान है वाणिज्यिक और संपत्ति कर भर रहे रिहायशी का

नगर निगम क्षेत्र के कई लोग वाणिज्यिक संस्थान चला रहे हैं मगर वे रिहायशी श्रेणी में आने वाले संपत्ति कर भर नगर निगम को चूना लगा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 08:14 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 08:14 PM (IST)
संस्थान है वाणिज्यिक और संपत्ति कर भर रहे रिहायशी का
संस्थान है वाणिज्यिक और संपत्ति कर भर रहे रिहायशी का

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : नगर निगम क्षेत्र के कई लोग वाणिज्यिक संस्थान चला रहे हैं, मगर वे रिहायशी श्रेणी में आने वाले संपत्ति कर भर नगर निगम को चूना लगा रहे हैं। कई वर्षों से सही तरीके से संपत्ति कर सर्वे न होने के कारण यह स्थिति बनी हुई है। इस काम में कहीं-कहीं निगम कर्मचारियों की दखल भी हो सकती है, जो लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए रिकार्ड में गड़बड़ करते रहे हैं। लोगों की ओर से संपत्ति कर के मामले में किए गए स्वयं मृल्यांकन के स्थान पर गलत मूल्यांकन देने से भी रिकार्ड में अब तक खामियां बरकरार हैं।

वार्ड नंबर 11 के पार्षद मनोज नासवा के पास ऐसी कुछ शिकायतें आईं, तो उन्होंने निगमायुक्त यशपाल यादव को अवगत कराया।

बता दें कि नगर निगम क्षेत्र में संपत्ति कर के दायरे में लगभग तीन लाख इकाइयां हैं। इनमें से एक लाख से अधिक ऐसी इकाइयां हैं, जिनमें मकान हैं, तो दुकानें भी बनी हुई हैं। एनआइटी में वाणिज्यिक संस्थान अधिक हैं। ओल्ड फरीदाबाद और बल्लभगढ़ में औद्योगिक इकाइयों की संख्या अधिक है। तीनों श्रेणियों के संपत्ति कर में काफी अंतर है।

------- केस एक

नगर निगम क्षेत्र में 50 गज में दो दुकानें बनी हैं। संपत्ति कर वाणिज्यिक श्रेणी में आता है, मगर दुकान मालिक कई वर्षों से मकान का ही संपत्ति कर भर रहा है। कई बार लोग स्वयं मूल्यांकन करके गलत रिपोर्ट दे देते हैं। या फिर कई मकानों में बाद में दुकानें बन जाती हैं, तो नगर निगम में रिकार्ड ठीक नहीं करवाते, ताकि अधिक संपत्ति कर न भरना पड़े। --------

केस दो

नगर निगम के रिकार्ड में डबुआ कालोनी डी ब्लाक में एक 100 का मकान बना हुआ है। मकान मालिक ने जब कई वर्षों तक संपत्ति कर जमा नहीं कराया, तो मौके पर निगम के कर्मचारी नोटिस लेकर पहुंचे थे। वहां देखा, तो पता चला कि मकान में दुकानें बनी हुई हैं। निगम की टीम ने बाद में रिपोर्ट के आधार पर रिकार्ड को ठीक किया गया था।

-------- रिकार्ड में हैं बड़ी खामियां

संपत्ति कर के रिकार्ड में बड़ी खामियां हैं। किसी का वाणिज्यिक संस्थान है, मगर नगर निगम के रिकार्ड में रिहायशी श्रेणी में दर्ज है। इसका कारण है कि वर्ष 2008-09 से ऐसा कोई सर्वे नहीं हुआ है, जिससे रिकार्ड को दुरुस्त किया जा सके। वर्ष 2018 में निजी एजेंसी की ओर से नई यूनिट को जोड़ने के लिए जो सर्वे किया गया है, उस मुताबिक अब तक रिकार्ड ठीक नहीं हो पाया है। असल में निजी एजेंसी के कर्मचारी जब फील्ड में सर्वे करने को गए थे, तो उस दौरान न तो निगम का पुराना रिकार्ड उनके पास था और न ही संबंधित शाखा के कर्मचारी फील्ड में गए थे। इस वजह से निजी एजेंसी की सर्वे की रिपोर्ट से

पुराने रिकार्ड का मिलान नहीं हो पा रहा है।

------- मेरे सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जिनसे पता चलता है कि रिकार्ड में गड़बड़ है। मैंने सारी स्थिति से निगमायुक्त यशपाल यादव को अवगत कराया है। अगर रिकार्ड सही हो जाए, तो नगर निगम को भारी राजस्व हासिल होगा।

-मनोज नासवा, पार्षद। -------

हम गलत मूल्यांकन करके रिपोर्ट देने वालों को नोटिस भेज रहे हैं। जिन लोगों ने गलत रिपोर्ट के आधार पर कम संपत्ति कर जमा कराया है, उनसे वसूली की जाएगी। हमारे टीमें फील्ड में जाकर मामले की जांच करेंगी।

-यशपाल यादव, निगमायुक्त।

--------- बड़ा अंतर है रिहायशी, वाणिज्यिक और औद्योगिक यूनिट के संपत्ति कर में

-श्रेणी, संपत्ति कर

-50 गज का मकान, 50 रुपये वार्षिक -50 गज में दो दुकानें बनी हैं, वाणिज्यिक श्रेणी, 3600

-100 गज, वाणिज्यिक श्रेणी, 4800 -संपत्ति कर पर फायर टैक्स-10 फीसद

-50 गज का फ्लैट-450 रुपये -औद्योगिक यूनिट, 50 गज-250 रुपये

औद्योगिक यूनिट, 300 गज-1500 रुपये -कुल संपत्ति कर पर फायर टैक्स-10 फीसद

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