लौटेगी चहचहाहट : पंछियों के लिए बनेंगे दो लाख घरौंदे
कभी सुबह पंछियों की चहचहाहट से होती थी लेकिन धीरे-धीरे गौरैया जैसी प्रजाति अब विलुप्त हो रही है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : कभी सुबह पंछियों की चहचहाहट से होती थी लेकिन धीरे-धीरे गौरैया जैसी प्रजाति अब विलुप्त हो रही है। इसका कारण शहरीकरण का तेजी से बढ़ना है। स्मार्ट सिटी में अब पंछियों की गायब हो रही चहचहाहट वापस लाने की कवायद हो रही है। इसके लिए घर की छत से लेकर आसपास पेड़ों पर इनके घरौंदे बनाने की तैयारी है। फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण (एफएमडीए) और डीपीएस ग्रेटर फरीदाबाद की ओर से यह पहल की जा रही है। पंछियों के घरौंदे स्कूली बच्चों से बनवाए जाएंगे। इन्हें सभी बच्चे अपने घर के आंगन, गैलरी से लेकर आसपास के पेड़ों पर टांग देंगे। उम्मीद है कि इन घरौंदों में पंछी अपना आशियाना बनाएंगे। इससे विलुप्त होती जा रही पंछियों की प्रजाति फिर से लौटने की उम्मीद रहेगी।
स्कूलों से चलेगा अभियान
डीपीएस ग्रेटर फरीदाबाद के प्रो. वाइस चेयरमैन एवं एफएमडीए के गैर सरकारी सदस्य रोहित जैनेंद्र जैन ने पंछियों के लिए आशियाने बनाने का सुझाव दिया था। साथ ही इस अभियान को व्यापकता प्रदान करने की भी जिम्मेदारी उठाई है। सबसे पहले वे इसकी शुरुआत अपने ही स्कूल से कर रहे हैं। स्कूली बच्चों को वेस्ट से पंछियों के सुंदर घोसले बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए स्कूल में ही बच्चों को अलग से समय दिया जाता है। साथ ही बच्चों को अपने घर पर भी इसी तरह का प्रयोग करने के लिए कहा जा रहा है। रोहित जैनेंद्र जैन के अनुसार अन्य निजी स्कूल संचालकों से भी बात की जा रही है। ताकि स्कूलों के बच्चे भी इस तरह के घोसले तैयार कर अपने घर के आसपास टांग सकें। करीब दो लाख घोंसले बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।
सरकारी स्कूलों में भी चलेगा अभियान
पंछियों के घोंसले बनाने की मुहिम को सरकारी स्कूलों तक ले जाया जाएगा। इस बारे में जिला उपायुक्त के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारी को कहा जाएगा। वे सभी स्कूलों के लिए आर्डर जारी करेंगी। जिससे हर बच्चा अपने घर में वेस्ट से पंछी के घोसले बनाए।
अंदर होगा दाना-पानी
एफएमडीए की अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. गरिमा मित्तल के अनुसार घर के वेस्ट से घोसले बनाने की मुहिम काफी सराहनीय है। इन घोसलों के अंदर दाना-पानी रख सकेंगे। उम्मीद है कि जो प्रजाति घोसले, दाना-पानी के चक्कर में यहां से विलुप्त हो रही हैं, वह वापस आ जाएंगी। घर के आसपास बाग-बगीचों में भी घोसले लगाए जाएंगे। एक बार फिर से पंछियों की चहचहाहट सुनने को मिलेगी।