लाकडाउन में काम धंधा छूटा तो अपराध की तरफ बढ़ाए कदम

पिछले दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें पकड़े गए अपराधियों ने पुलिस से कहा कि लाकडाउन में काम-धंधा छूट गया तो उन्होंने अपराध की तरफ कदम बढ़ा दिए

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 05:02 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 05:02 PM (IST)
लाकडाउन में काम धंधा छूटा तो अपराध की तरफ बढ़ाए कदम
लाकडाउन में काम धंधा छूटा तो अपराध की तरफ बढ़ाए कदम

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद

पिछले दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें पकड़े गए अपराधियों ने पुलिस से कहा कि लाकडाउन में काम-धंधा छूट गया तो उन्होंने अपराध की तरफ कदम बढ़ा दिए, पर जल्दी ही पुलिस के हत्थे चढ़ गए। अब आसान कमाई के लालच ने उन पर न केवल अपराधी होने का टैग लगा दिया, बल्कि थाने-कचहरी के ऐसे चक्कर में डाल दिया जिससे निकलने में काफी धन और समय खर्च होगा। हाल में क्राइम ब्रांच की टीमों ने चोरी, लूट, झपटमारी, जुआ, अवैध शराब के मामलों में एक दर्जन से अधिक ऐसे कई लोगों को पकड़ा है। अपराध के दलदल में पहला कदम रखने वाले ऐसे आरोपितों ने पुलिस पूछताछ में कहा है कि पहले वे नौकरी या कोई अन्य काम करते थे। केस एक :

क्राइम ब्रांच ने जुनैद नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया। आरोपित ने क्राइम ब्रांच से कहा कि पहले वे एप बेस्ड फूड कंपनी में डिलीवरी बाय के रूप में काम करता था। लाकडाउन में काम छूट गया तो उसने मोबाइल झपटमारी शुरू कर दी। केस दो :

क्राइम ब्रांच ने गांव भनकपुर निवासी हंसराज को कैंटर में अवैध रूप से शराब ले जाते हुए पकड़ा था। पूछताछ में उसने बताया कि पहले वह स्कूल बस चलाता था, मगर लाकडाउन में नौकरी छूट गई। तब उसने गलत रास्ते से धन कमाने की सोची। वह कैंटर से अवैध रूप से शराब सप्लाई में जुट गया। केस तीन :

क्राइम ब्रांच सेंट्रल ने नीरज नाम के आरोपित को गांजा सहित गिरफ्तार किया। आरोपित ने बताया कि पहले वह मजदूरी करता था। लाकडाउन में काम छूट गया, इसलिए वह गांजा बेचने लगा। लाकडाउन में काम धंधा छूटने के कारण अपराध के रास्ते पर चलने की बात कहने वाले केवल बहाना बना रहे हैं। असल में वे पहले से आपराधिक प्रवृत्ति के रहे होंगे। अब जब पकड़े गए हैं तो पुलिस की सहानुभूति के लिए लाकडाउन का राग अलाप रहे हैं। एक-दो ऐसे मामले हो सकते हैं, जिनमें व्यक्ति की सचमुच मजबूरी रही हो।

-डा.राजबीर सिंह, समाज विज्ञानी किसी के अपराधी बनने के पीछे पूरा मनोविज्ञान काम करता है। व्यक्ति पहली बार वारदात करता है और पकड़ा नहीं जाता तो उसका हौसला बढ़ता है। वह दोबारा वारदात करता है। इस तरह सिलसिला बढ़ता चला जाता है। इसके बाद अपराध उनकी आदत में शुमार हो जाता है। हो सकता है कुछ समय के लिए वे सुधर जाएं, मगर मौका मिलते ही फिर वारदात कर बैठते हैं। ऐसे लोगों को काउंसिलिग के जरिये सही रास्ते पर लाया जा सकता है।

-एसपी सिंह, मनोवैज्ञानिक युवाओं के मन में होता है कि गलत रास्ते से वे जल्दी धन कमा लेंगे, और पकड़े भी नहीं जाएंगे। कुछ तो ऐसे भी हैं जो सोचते हैं कि कुछ दिन गलत रास्ते से कमाई कर छोड़ देंगे। मगर जो एक बार इस रास्ते पर चल पड़ता है, वह इसमें फंसता ही चला जाता है। पकड़े जाने पर उसे धन व समय का इतना नुकसान हो जाता है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। वहीं मुकदमा दर्ज होने के कारण बाद में नौकरी मिलने में भी परेशानी हो सकती है। औद्योगिक नगरी में काम की कोई कमी नहीं है और कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता। इसलिए युवाओं को धैर्य से काम लेते हुए सही रास्ते तलाशने चाहिए।

- ओपी सिंह, पुलिस आयुक्त फरीदाबाद

chat bot
आपका साथी