गड़बड़़झाला : विजिलेंस के लिए रिकार्ड हासिल करना हुआ टेढ़ी खीर

विजिलेंस को नगर निगम में करोड़ों रुपये के गड़बड़झाले का रिकार्ड हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 02 Apr 2021 05:43 PM (IST) Updated:Fri, 02 Apr 2021 05:43 PM (IST)
गड़बड़़झाला : विजिलेंस के लिए 
रिकार्ड हासिल करना हुआ टेढ़ी खीर
गड़बड़़झाला : विजिलेंस के लिए रिकार्ड हासिल करना हुआ टेढ़ी खीर

अनिल बेताब, फरीदाबाद : विजिलेंस को नगर निगम में करोड़ों रुपये के गड़बड़झाले का रिकार्ड लेखा शाखा से हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। लेखा शाखा का स्टाफ कई दिनों से पिछले पांच वर्ष में ठेकेदार को किए गए भुगतान के वाउचर ढूंढ रहे हैं, मगर रिकार्ड में वाउचर ही नहीं हैं। विजिलेंस की ओर से मांग की गई है कि उन्हें भुगतान का पूरा ब्योरा मिले, ताकि इस आधार पर विजिलेंस की टीम फील्ड में जाकर जांच कर सके कि जो भुगतान किया गया है, उसके बदले में क्या काम हुआ है।

वैसे पिछले दिनों नगर निगम की इंजीनियरिग शाखा की ओर से करीब 26 करोड़ रुपये के काम और भुगतान का ब्योरा विजिलेंस को उपलब्ध कराया गया था। इस आधार पर विजिलेंस ने 26 मार्च को वार्ड नंबर 35, 36 तथा 37 में पार्षद दीपक चौधरी, महेंद्र सिंह, सुरेंद्र अग्रवाल, कपिल डागर के साथ जाकर निरीक्षण किया था। कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए विजिलेंस ने पूरे पांच वर्ष में ठेकेदार को किए गए भुगतान का ब्योरा मांगा है। अलग-अलग हैं बैंक खाते

नगर निगम की अलग-अलग योजनाओं के दो दर्जन से अधिक बैंक खाते हैं। किस योजना के तहत कब कितना पैसा किस ठेकेदार को दिया गया। इस मामले में अभी तक तस्वीर स्पष्ट नहीं है। मिसाल के तौरे पर सीएम घोषणा, जनरल फंड, अमरुत योजना, स्टांप ड्यूटी खाता, नीलामी वाला खाता तथा कावेडि-19 के नाम से नगर निगम के अलग-अलग खाते हैं। यह भी जांच का विषय है कि खातों से भुगतान करने में कहीं अनियमितताएं या गडबड़ी तो नहीं बरती गई।

अब अगर वाउचर नहीं मिलते हैं, तो विजिलेंस के लिए यह भी एक अलग जांच का कोण हो जाएगा कि वाउचर गायब कर दिए गए हैं या जला दिए गए हैं और यह काम किसने किसके इशारे पर किया है। यह है मामला

निगम पार्षद दीपक चौधरी, सुरेंद्र अग्रवाल, महेंद्र सिंह तथा दीपक यादव ने नगर निगम मुख्यालय से वर्ष 2017 से 2019 तक किए गए विकास कार्यों और भुगतान का ब्योरा मांगा था। जब ब्योरा मिला, तो पता चला कि कई क्षेत्रों में बिना काम के ठेकेदार को मोटा भुगतान किया गया है। मामला जोरशोर से उठने लगा, तो इसी दौरान पिछले वर्ष 16 अगस्त को लेखा शाखा में आग लग गई थी। इस दौरान रिकार्ड नष्ट होने की बात भी सामने आई। पार्षदों ने मामले की गंभीरता से जांच की मांग की, तो पिछले वर्ष तत्कालीन निगमायुक्त यश गर्ग ने कमेटी बनाकर जांच कराई थी। तत्कालीन मुख्य अभियंता टीएल शर्मा ने जांच रिपार्ट तैयार कर निगमायुक्त यश गर्ग को सौंप दी थी। मौजूदा मुख्य अभियंता रामजी लाल ने पिछले दिनों गड़बड़झाले की वही सारी रिपोर्ट विजिलेंस को सौंप दी थी। एनआइटी के विधायक नीरज शर्मा ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई थी, तो सरकार के आदेश पर विजिलेंस जांच शुरू की गई थी। बाक्स..

महापौर ने तलब किया रिकार्ड

महापौर सुमन बाला ने मुख्य अभियंता को पत्र लिख कर 2015 से 2020 तक किए गए विकास कार्यों और भुगतान के ब्योरे की रिपोर्ट तलब की है। सात दिन में ठेकेदार को किए गए भुगतान की रिपोर्ट मांगी गई है। पार्षद दीपक चौधरी ने महापौर सुमन बाला को पत्र लिख कर लेखा शाखा की ओर से किए गए गड़बड़झाले से अवगत कराया था। साथ ही कहा था कि ठेकेदार को किए गए भुगतान के बारे में सही जानकारी मिल जाए, तो ही सही तस्वीर सामने आएगी। मुख्य अभियंता रामजी लाल ने बताया कि विजिलेंस की ओर से जो रिकार्ड मांगा जा रहा है, हम उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं।

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