मोदी फैक्टर ने किया क्षेत्रीय दलों का सफाया

लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश में चली लहर के सामने जिले में राजनीतिक दलों का पूरी तरह से सफाया हो गया है। बहुजन समाज पार्टी(बसपा) को छोड़ कर इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) जननायक जनता पार्टी(जजपा) अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाई हैं। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण किसी भी स्तर पर संगठन का ना होना माना जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 06:56 PM (IST) Updated:Fri, 24 May 2019 06:25 AM (IST)
मोदी फैक्टर ने किया क्षेत्रीय 
दलों का सफाया
मोदी फैक्टर ने किया क्षेत्रीय दलों का सफाया

सुभाष डागर, फरीदाबाद : लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैक्टर के सामने जिले में क्षेत्रीय दलों का पूरी तरह से सफाया हो गया है। बहुजन समाज पार्टी(बसपा) को छोड़ कर इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो), जननायक जनता पार्टी(जजपा) अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाई हैं। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण किसी भी स्तर पर संगठन का ना होना माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने रिकार्ड मतों से अपनी जीत दर्ज कर दोबारा से सीट पर कब्जा किया है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना लाखों मतों से चुनाव हार गए। कांग्रेस प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना की हार का अहसास मतदान वाले दिन ही गया था। क्योंकि चुनाव वाले दिन कांग्रेस का संगठन न होने के कारण मतदान केंद्रों पर कांग्रेस नाम का कार्यकर्ता वोट की लड़ाई नहीं लड़ रहा था। जबकि भाजपा का कार्यकर्ता हर बूथ पर अपने प्रत्याशी की लड़ाई लड़ रहा था। बसपा के प्रत्याशी मनधीर सिंह मान ने एक लाख मतों के नजदीक पहुंच कर अपने कॉडर को बचा लिया है। हांलाकि उन्हें सहयोगी पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का कोई सहारा नहीं मिला। जजपा और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नवीन जयहिद न तो शहर में उपस्थिति दर्ज करा पाए और न ही उन्हें ग्रामीण क्षेत्र से मत मिले। जबकि जजपा का ग्रामीण क्षेत्र में अच्छा जनाधार माना जा रहा था, जो कहीं पर दिखाई नहीं दिया। इनेलो उम्मीदवार महेंद्र सिंह चौहान पार्टी के दो दलों में विभाजित होने के कारण अपनी पार्टी की साख को नहीं बचा पाए। जबकि उन्हें पूरी तरह से जाटलैंड पलवल का माना जाता है। उन्हें पलवल, पृथला, होडल, हथीन में भी मत नहीं मिले। इस तरह से अब इन दलों की टिकट के लिए विधानसभा चुनाव में ज्यादा प्रत्याशी लाइन में होंगे, ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है। यदि विधानसभा चुनाव में पार्टियों को उपस्थिति दर्ज करानी है, तो इन दलों की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अभी से मैदान में उतरना होगा।

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