किराए की कोख का कारोबार: सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली

किराए की कोख के कारोबार के मामले में तिलपत पंचायत क्षेत्र के गिरधावर एन्क्लेव में नीलम फर्टिलिटी केयर सेंटर चलाए जाने की बात सामने आई है मगर हैरानी की बात है कि इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को खबर तक नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 05:10 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 05:10 PM (IST)
किराए की कोख का कारोबार: सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली
किराए की कोख का कारोबार: सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली

अनिल बेताब, फरीदाबाद

किराए की कोख के कारोबार की मुख्य आरोपित नीलम तिलपत पंचायत क्षेत्र के गिरधावर एन्क्लेव स्थित अपने घर में पिछले लंबे समय से नीलम फर्टिलिटी केयर सेंटर के नाम से काम कर रही थी। हैरानी ये कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है। यह हाल तब है, जब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत हर आशा वर्कर और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता पर जच्चा-बच्चा पर निगरानी की जिम्मेदारी है। महिला के गर्भधारण करने से लेकर बच्चे के जन्म तक आशा वर्कर को ही अहम भूमिका निभानी होती है। आशा वर्कर को ही गर्भवती महिला को पास के स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल तक लाना होता है।

स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार, गिरधावर एन्क्लेव और साथ लगती टीटू कालोनी में जच्चा-बच्चा को सेवा देने को स्वास्थ्य विभाग की ओर से आठ आशा वर्कर और दो महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है। महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता ही इन क्षेत्रों में जाकर टीकाकरण कार्यक्रम चलाती हैं। एनएचएम के तहत आशा वर्कर को इन सेवाओं की एवज में प्रोत्साहन राशि दी जाती है, पर किसी ने भी नीलम के क्रियाकलापों के बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों को या तो जानकारी दी नहीं या फिर उनके द्वारा दी गई सूचनाओं पर गौर नहीं किया गया। ऐसे में अवैध रूप से ये धंधा फलता-फूलता रहा। घर से मिले दस्तावेज, सीरिंज व दवाएं

शनिवार शाम जब आगरा पुलिस नीलम को लेकर उसके घर पहुंची थी, तो वहां पुलिस को नीलम फर्टिलिटी केयर सेंटर संबंधी कई दस्तावेज मिले थे। साथ ही कई दवा, सीरिंज और कॉटन भी मिली। पुलिस ने नीलम फर्टिलिटी केयर सेंटर संबंधी कई दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए थे। यही वो वजहें हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए)की जिलाध्यक्ष डॉ.पुनीता हसीजा तथा पूर्व अध्यक्ष डॉ.सुरेश अरोड़ा ने भी स्वास्थ्य विभाग की अनभिज्ञता पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मिलकर जिला स्तर पर ऐसे केंद्रों की बारीकी से जांच की मांग की जाएगी। फर्टिलिटी सेंटर का भी होता है पंजीकरण

चिकित्सक बनने के लिए सामान्य एमबीबीएस का कोर्स साढ़े पांच वर्ष में पूरा करना होता है। अगर किसी महिला चिकित्सक को महिला रोग विशेषज्ञ बनना है, तो और पढ़ाई करनी होगी। एक वर्ष बाद आइवीएफ एक्सपर्ट बन सकते हैं। अब सवाल ये कि जब नीलम खुद को नर्स बता रही है और फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं कि नर्स होने संबंधी दस्तावेज नीलम के पास हैं या नहीं, तो वो फिर फर्टिलिटी सेंटर कैसे चला सकती है। इसके अलावा प्रसव पूर्व तकनीक अधिनियम (पीएनडीटी एक्ट)के तहत भी केंद्र का पंजीकरण अनिवार्य होता है। अवैध रूप से चल रहे ऐसे केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग को करनी होती है। वर्जन..

ये मामला गंभीर है। संबंधित स्वास्थ्य केंद्र से जानकारी लेकर मामले की बारीकी से जांच कराई जाएगी। अगर कोई दोषी मिला, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

-डॉ.रणदीप सिंह पूनिया, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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