आइएमए से जुड़े डाक्टर रहे हड़ताल पर, मरीज परेशान

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए)ने आयुष से जुड़े डाक्टरों ने ओपीडी सेवाएं बंद रखीं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 11 Dec 2020 07:09 PM (IST) Updated:Fri, 11 Dec 2020 07:09 PM (IST)
आइएमए से जुड़े डाक्टर रहे 
हड़ताल पर, मरीज परेशान
आइएमए से जुड़े डाक्टर रहे हड़ताल पर, मरीज परेशान

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए)ने आयुष से जुड़े डाक्टरों को सर्जरी की अनुमति दिए जाने को लेकर किए जा रहे विरोध के तहत शुक्रवार को ओपीडी सेवाएं बंद रखीं। निजी डाक्टरों की ओर से सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ओपीडी सेवाएं नहीं देने के चलते कई जगह लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। ऐसे जरूरतमंद मरीजों ने जिला नागरिक अस्पताल का रुख किया।

आइएमए की जिलाध्यक्ष डा. पुनीता हसीजा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जिला उपायुक्त यशपाल यादव से मिला और प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन दिया। डा.पुनीता हसीजा, पूर्व जिलाध्यक्ष डा.सुरेश अरोड़ा, डा.सुनील मुथनेजा, डा.ललित हसीजा, डा.शिप्रा गुप्ता और डा.वंदना उप्पल ने कहा है कि सरकार ने आयुर्वेदिक डाक्टरों को विभिन्न प्रकार की सर्जरी करने की अनुमति दी है। इससे मिक्सोपैथी को बढ़ावा देने से अपरिपक्व सर्जन पैदा होंगे। आइएमए आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ नहीं है, पर सर्जरी के लिए जरूरी अनुभव बिना उन्हें ऐसा कार्य करने की अनुमति देना आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है। निजी अस्पतालों की ओपीडी बंद होने से मरीजों को बिना उपचार के बैरंग लौटना पड़ा, जिनको ज्यादा तकलीफ थी, वो बादशाह खान अस्पताल पहुंचे, यहां आम दिनों की तरह ओपीडी खुली रही। गुलाबी रिबन बांध कर दी सेवाएं

जिले में आयुष से जुड़े 400 से अधिक डाक्टरों ने गुलाबी रिबन बांध कर दिन भर ओपीडी में सेवाएं दीं। सर्जरी की अनुमति मिलने पर केंद्र सरकार के प्रति आभार जताया। नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) के चेयरमैन डा. अनिल शर्मा ने हैरानी जताई कि डाक्टरों का एक वर्ग केंद्र सरकार के फैसले का विरोध कर रहा है। डा.अनिल शर्मा ने कहा कि आयुर्वेदिक सर्जन को सर्जरी का अधिकार 9 वर्ष के पूरे प्रशिक्षण के बाद ही दिया जाएगा। इसलिए गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं उठाए जाने चाहिए, बल्कि स्वागत होना चाहिए। स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए हर पद्धति की अपनी अहमियत है। नीमा के अध्यक्ष डा.सुरेश पासी, महासचिव डा.अतुल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष डा. शिवानु गोयल ने कहा कि वह देशहित में स्वस्थ समाज के लिए पहले से बेहतर काम करेंगे। मेरा पांच नंबर क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल के डाक्टर से इलाज चल रहा है। हाथ में दर्द हो रहा था। इसलिए डाक्टर के यहां आया था। ओपीडी बंद होने के चलते अब मुझे शनिवार बुलाया गया है।

-सत्य प्रकाश, एनआइटी तीन निवासी। मेरे बेटे मानव को खांसी और बुखार है। उसे दिखाने के लिए मैं पहले एक डाक्टर के पास गया था। वहां ओपीडी बंद थी, फिर मुझे दूसरे डाक्टर के पास जाना पड़ा।

-राम मिश्रा। हमारे सभी अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र और आयुष्मान वेलनेस सेंटर में ओपीडी सेवाएं जारी रहीं। कहीं भी मरीजों को कोई परेशानी नहीं हुई। कई केंद्रों में कोरेाना जांच शिवर भी लगाए गए थे।

-डा. रणदीप पूनिया, मुख्य चिकित्सा अधिकारी। आयुष के डाक्टरों के बारे में कहा जा रहा है कि वे सर्जरी नहीं कर पाएंगे। मैं कहना चाहता हूं कि कोर्स में हमें भी सर्जरी और मॉडर्न मेडिसिन का विषय पढ़ाया जाता है। जिस तरह एमबीबीएस करके शल्य चिकित्सा के लिए पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) में दखिला लिया जाता है। इसी तरह हमारे बीएएमएस भी सर्जरी में दाखिला के लिए अपनी योग्यता परीक्षा देकर ही दाखिला लेंगे। इसलिए इसका विरोध नहीं होना चाहिए। सरकार का फैसला देशहित में है।

-डा. वीपी सिगला, अध्यक्ष, इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन, आयुष।

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