दीवाली पर गोबर के दीयों से रोशन करें घर-आंगन

इस बार औद्योगिक नगरी में अमावस्या के अंधेरे को गोमाता के गोबर के दीयों से रोशन करने की तैयारी की जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:00 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 06:00 PM (IST)
दीवाली पर गोबर के दीयों से रोशन करें घर-आंगन
दीवाली पर गोबर के दीयों से रोशन करें घर-आंगन

अभिषेक शर्मा, फरीदाबाद : इस बार औद्योगिक नगरी में अमावस्या के अंधेरे को गोमाता के गोबर से बने दीयों से दूर किया जाएगा। गोबर के दीये से निकलने वाली प्रकाश की रोशनी न सिर्फ अमावस्या की काली रात के अंधेरे को दूर करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगी। इनमें मिट्टी का सोंधापन व गाय के गोबर की सुगंध भी शामिल होगी। यह कार्य नीमका गांव स्थित देवाश्रय पशु चिकित्सालय के रवि दुबे और उनकी टीम करने जा रही है। उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर गाय के गोबर से सुंदर दीपक बनाने शुरू कर दिए हैं। इन दीयों से होने वाली आय को गोमाता के उत्थान में ही खर्च किया जाएगा। अस्पताल में बेहतर इलाज के संसाधनों को जुटाया जाएगा।

रवि दुबे ने बताया कि देवाश्रय पशु चिकित्सालय की गऊ संपत्ति टीम के प्रमुख केशव एवं तहजीब की देखरेख में दीयों का निर्माण हो रहा है। इन्हें बेचने के लिए उचित बाजार भी तलाशे जा रहे हैं। यह प्रयास कर रहे हैं कि दीवाली पर इस बार बाजार में चाइनीज की बजाय गाय के गोबर से बने दीये अधिक दिखाई दें। देवाश्रय में करीब 300 गाय हैं। इनके गोबर से दीयों का निर्माण किया जा रहा है और एक हजार दीये बनाए भी जा चुके हैं। बाजार की उपलब्धता होने तक लोग चिकित्सालय से मात्र 12 रुपये में एक दीया प्राप्त कर सकते हैं। गो संवर्धन को मिलेगा बढ़ावा

तीन दशक पहले तक गोबर का बहुत अधिक महत्व था। यह भोजन, खेती के अलावा घर के आंगन व दीवारों को सजाने के लिए इसकी लिपाई में की जाती थी। गोबर की लिपाई का वैज्ञानिक महत्व भी है। इससे आंगन में मक्खियां नहीं आती हैं, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में गोबर का महत्व धूमिल हो गया है। गऊ संपत्ति टीम एक बार फिर से गोबर के महत्व को युवा पीढ़ी को रूबरू कराने की कोशिश कर रही है। इसकी शुरुआत दीयों से की है। दीयों से प्राप्त होने वाली राशि को गोमाता के लिए बेहतर चिकित्सा एवं अन्य सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। जैविक खेती में भी कर रहे हैं सहयोग

रासायनिक खेती के दुष्परिणाम से परिचित होने के बाद लोग एक बार फिर से किसानों का रुझान जैविक खेती की ओर बढ़ने लगा है। देवाश्रय पशु चिकित्सालय में गोबर को सड़ाकर वर्मी कंपोस्ट भी तैयार की जा रही है। इस वर्मी कंपोस्ट में वह सभी पोषक तत्व मौजूद हैं, जो रासायनिक खाद में होते हैं। गोबर की लकड़ी बनाने की चल रही है तैयारी

देवाश्रय में जल्द ही गोबर की लकड़ियां भी बनाई जाएंगी। इनका इस्तेमाल अंतिम संस्कार में किया जा सकेगा, ताकि अंतिम संस्कार के लिए वनों को काटने की आवश्यकता नहीं पड़े।

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