चार इंच के अंतर से मुकदमे में आया बड़ा फर्क

ब्रह्मजीत हत्याकांड मुकदमे में चार इंच के अंतर ने अदालत में बड़ा फर्क पैदा कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 07:19 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 07:19 PM (IST)
चार इंच के अंतर से मुकदमे में आया बड़ा फर्क
चार इंच के अंतर से मुकदमे में आया बड़ा फर्क

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : ब्रह्मजीत हत्याकांड मुकदमे में चार इंच के अंतर ने अदालत में बड़ा फर्क डाल दिया। 27 फरवरी 2018 को गांव बुढै़ना निवासी ब्रह्मजीत सेक्टर-11 में मिलन वाटिका के सामने से गायब हुए थे। वाटिका के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में वे लाल रंग की कार में बैठते दिखे। ब्रह्मजीत के स्वजन ने सेंट्रल थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, उसमें उनकी लंबाई पांच फुट आठ इंच बताई थी।

24 मार्च 2018 को पुलिस ने गांव मुनीरगढ़ी पलवल निवासी राजीव भाटी के होडल स्थित फार्म हाउस में जमीन के 10 फुट नीचे गड्ढा खोदकर एक कंकाल बरामद किया। पुलिस ने कंकाल ब्रह्मजीत के होने का दावा किया। प्रापर्टी कारोबारी राजीव भाटी व उसकी कर्मचारी स्वाति सेठी को ब्रह्मजीत की हत्या का आरोपित बनाया। फारेंसिक टीम ने कंकाल की लंबाई छह फुट होने का अनुमान लगाया। राजीव भाटी की तरफ से अदालत में पेश वकील शेखर आनंद व प्रशांत यादव ने लंबाई में चार इंच के अंतर को आधार बनाया। स्वजन ने ब्रह्मजीत की लंबाई पांच फुट आठ इंच बताई थी। इससे पुलिस पुलिस अदालत में यह साबित नहीं कर पाई कि कंकाल ब्रह्मजीत का ही था। इससे आरोपितों को संदेह का लाभ मिल गया। डीएनए की मांग को भी बनाया आधार

मुकदमे पर सुनवाई के दौरान ब्रह्मजीत के स्वजन ने अदालत में याचिका लगाई कि उन्हें संदेह है कि पुलिस द्वारा बरामद किया गया कंकाल ब्रह्मजीत का है। उन्होंने कंकाल का डीएनए कराने की मांग की ताकि पुख्ता हो सके कि कंकाल ब्रह्मजीत का ही था। अदालत के आदेश पर पुलिस द्वारा संरक्षित किए गए सैंपल डीएनए जांच के लिए भेजे गए। लैब ने कहा कि जांच के लिए सैंपल पर्याप्त नहीं हैं। चूंकि बरामद किए गए कंकाल का अंतिम संस्कार कर दिया गया था, इसलिए दोबारा सैंपल लेना भी असंभव था। स्वजन द्वारा कंकाल पर संदेह का लाभ भी आरोपितों को मिला। ये बिदु भी रहे अहम

पुलिस ने चार्जशीट में कहा था कि राजीव ने थप्पड़ का बदला लेने के लिए ब्रह्मजीत की हत्या की, जबकि स्वजन ने लेन-देन की बात कही। दोनों ही बातें पुलिस अदालत में साबित नहीं कर पाई। इसके अलावा जहां से शव बरामद हुआ, वहां एक दिन पहले पुलिस की मौजूदगी अदालत में साबित हो गई। पुलिस की इन खामियों का लाभ बचाव पक्ष को मिला।

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